बच्चियों और महिलाओं में ADHD को लेकर समाज क्यों नहीं है जागरूक?

समाज बच्चियों और महिलाओं में ADHD, समाज अक्सर हार्मोनल इनबैलेंस से जुड़ा हुआ मानता आया हैं। महिलाएं सोशल कंडीशनिंग के कारण शांत और सुलझी हुई मानी जाती हैं, और जब वह इससे जूझती हैं समाज इसे परिस्थिति बताकर, इसके symptom को नजरअंदाज कर देता हैं।

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Nainsee Bansal
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ADHD

Photograph source: (pinterest(Vogue India)+freepik)

समाज बच्चियों और महिलाओं में ADHD जिसे Attention Deficit Hyperactivity Disorder कहा जाता हैं, समाज अक्सर इसे छुपाता या हार्मोनल इनबैलेंस से जुड़ा हुआ मानता आया हैं। इसके लक्षण महिलाओं में पारंपारिक male-centric standard से अलग होते हैं। अक्सर महिलाएं सोशल कंडीशनिंग के कारण शांत और सुलझी हुई मानी जाती हैं, और जब वह इससे जूझती हैं समाज इसे परिस्थितियों या किसी सामान्य कारणवश होने के कारण बताकर, इसके symptom को नजरअंदाज कर देता हैं।

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बच्चियों और महिलाओं में ADHD को लेकर समाज क्यों नहीं है जागरूक ?

क्यों करता हैं समाज इसे बच्चियों और महिलाओं में अनदेखा?

1. लक्षणों की भिन्नता

महिलाओं में ADHD अक्सर असावधानी, मानसिक थकान, भावनात्मक अस्थिरता और टालमटोल के रूप में दिखता हैं, न कि अतिसक्रियता (Hyyperactivity) के रूप में जिसके कारण इसे पहचानना भी आसान नहीं होता हैं।

2. पुरुषों से इसका जुड़ाव करना

 जब बच्चा या महिलाएं ध्यान नहीं देती तो अक्सर उन्हें चिड़चिड़ा या मूड स्विंग का नाम दे दिया जाता हैं।जब बच्ची शरारत करती हैं या गुस्सा तो उन्हें लड़कों जैसा जिद्दी कहकर उनके डायग्नोसिस को देर से ही मापा जाता हैं।

3. रिसर्च का लिंग पूर्वाग्रह 

ADHD पर हुई अब तक की शोध male-centric रही हैं, जिससे निदान standard भी पुरुषों के लक्षणों पर आधारित हैं।

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4. सामाजिक अपेक्षाएं और छुपाना

 महिलाओं को विशेषकर भारतीय समाज में दबाव महसूस करती हैं, इस कारण उनके लक्षण संकुचित प्रवृत्ति के कारण दिखते नहीं हैं।महिलाएं खुद को सोशल -conditioning के चलते व्यवस्थित रख लेती है, और उनका डायग्नोसिस आसान नहीं होता और अक्सर अनदेखा कर दिया जाता हैं।

5. सह- अस्तित्व वालीं स्थितियां

 महिलाओं में ADHD अक्सर डिप्रेशन, चिंता , या हार्मोनल बदलावों के साथ जुड़ा होता है, जिससे सही पहचान और इलाज और कठिन हों जाता हैं।

6. मानसिक स्वास्थ्य को चरित्र से जोड़ना

 बच्चियों में इसे परिवार और समाज शरारत या बदतमीजी समझकर नजरअंदाज करते हैं। और महिलाओं में व्यवहार को अक्सर चरित्र दोष या भावनात्मक कमजोरी समझ कर उसे निदान से टाला जाता हैं।

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महिलाओं में कैसे होता है यह डायग्नोसिस?

महिलाओं में इसे social-conditioning के कारण नजरअंदाज करना आसान हैं और उनका डायग्नोसिस हो नहीं पाता। लेकिन आलिया भट्ट ने न ही इसे पहचाना बल्कि इसे सांझा भी किया, तो आइए जानते हैं आलिया के symptom से डायग्नोसिस तक की यात्रा।

आलिया में ADHD Diagnose  से पहले उसके लक्षणों की शुरुआत सोशल गैदरिंग में बॉडी का ओवरहीटिंग और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई से हुआ, उन्हें ऐसा लगने लगा  कि यह सिर्फ "एक anxious दिन " हैं, पर उन्होंने पहचाना और गहराई से समझा। उन्होंने तीन दिन का प्रोफेशनल टेस्ट कराया, जिससे उनका क्लिनिकल डायग्नोसिस हुआ।

Alia का अनुभव

आलिया बताती हैं, कि वे बातचीत के दौरान और क्लासरूम में Zoned out रहती थीं, अक्सर इसे "ध्यान न देने या लवरवाह" होने से जोड़ दिया जाता है, उन्हें भूलने की आदत भी होने लगीं और सोशल सिचुएशन में uncomfortable होने लगा। साथ ही उन्होंने बताया कि वे अपनी बेटी Raha के साथ होने पर सबसे ज्यादा " present" महसूस करती थी।

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डायग्नोसिस के बाद आलिया बताती हैं, कि 'खुश थीं क्योंकि उनके डायग्नोसिस ने उन्हें जागरूक बनाया और खुद के प्रति और सजग भी।'

उन्हें यह जानकर राहत मिली कि उनकी भावनात्मक और शारीरिक प्रतिक्रियाओं का एक नाम हैं, उन्होंने इसे दवाओं पर निर्भर न होकर लाइफस्टाइल में बदलाव कर और आत्म जागरूकता से मैनेज किया और कर रही हैं।

आलिया की स्वीकृति

आलिया की यह Acceptance और खुल कर बात करना एक साहसिक काम हैं, यह महिलाओं में ADHD की जागरूकता बढ़ाने का महत्वपूर्ण कदम भी हैं। महिलाएं अक्सर खुद भी इसे नजरअंदाज करती हैं, महिलाएं खुद जागरूक हो यह भी आवश्यक हैं, समाज से पहले उन्हें स्वयं में सजगता लानी होंगी। समाज भी इसमें उनका सहयोग करें।

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मानसिक थकान आलिया भट्ट ADHD Diagnose