Why We Need To Accept Depression? डिप्रेशन एक मानसिक बीमारी है जो आज के समय में बहुत आम है लेकिन इसका बहुत मजाक बनाया जाता है। जब हमें पता चलता है कि कोई व्यक्ति डिप्रेशन से जूझ रहा है तो हम लोग इसे बहुत हल्के में ले लेते हैं। हमें लगता है कि शायद वो व्यक्ति ड्रामा कर रहा है या फिर उसका काम करने का मन नहीं है। हमें यह भी लगता है कि शायद वो आलसी है लेकिन ऐसा नहीं है। डिप्रेशन हर व्यक्ति के लिए एक अलग अनुभव हो सकता है और हमें उसके स्ट्रगल को समझना चाहिए। चलिए आज डिप्रेशन के बारे में बात करते हैं-
Depression को लेकर किसी का मजाक बनाना गलत बात
आजकल के समय सोशल मीडिया पर अगर कोई अपने डिप्रेशन की बात करता है तो उसे ट्रोलिंग का सामना करना पड़ता है। ऐसा बोला जाता है कि इतनी छोटी सी बात पर किसी को डिप्रेशन कैसे हो सकता है? लेकिन बात यह नहीं है कि उनके साथ छोटी घटना हुई है या बड़ी लेकिन यह बहुत ज्यादा मैटर करता है कि इसका असर उनके ऊपर कितना गहरा पड़ा है।
यह सिर्फ आपके दिमाग में नहीं
डिप्रेशन आपके दिमाग में नहीं है। यह एक सीरियस बीमारी है जिसे इलाज की जरूरत होती है। अगर आप लंबे समय तक इसका इलाज नहीं करते हैं तो यह बहुत खतरनाक हो सकता है। इसलिए डिप्रेशन को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। अगर किसी व्यक्ति को सही महसूस नहीं हो रहा है या फिर उसकी फिजिकल और मेंटल वेल्बीइंग के ऊपर बुरा असर पड़ रहा है तो आपको जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाना चाहिए और इसका इलाज शुरू करवाना चाहिए। डिप्रेशन का मतलब ट्रॉमा नहीं होता है।
ट्रामा इसका अकेला कारण नहीं
डिप्रेशन सिर्फ उन घटनाओं से नहीं होता है जो आपको ट्रामा देकर जाती है। इससे डिप्रेशन होने के चांस बढ़ सकते हैं लेकिन यह मतलब नहीं है कि हर बार डिप्रेशन का कारण यह ही हो। डिप्रेशन के बहुत सारे कारण होते हैं लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि इसका कोई ठोस कारण ही नहीं होता है। इसलिए किसी व्यक्ति को लेबल मत करें बल्कि उसकी स्थिति को समझने की कोशिश करें।
इस पर किसी का जोर नहीं
डिप्रेशन हमारी मर्जी से आता या जाता नहीं है। कोई भी व्यक्ति इससे ग्रस्त हो सकता है और यह एक बीमारी है। हम जितनी जल्दी इस बात को समझ लेंगे तो उतना ही हम अपने आसपास के लोगों की मेंटल हेल्थ को ठीक रख पाएंगे। डिप्रेशन में व्यक्ति को साथ की जरूरत होती है लेकिन लोग ऐसी कड़वी बातें बोलते हैं जिसके कारण उसकी समस्या और भी ज्यादा खराब हो जाती है। कुछ लोग इस बात को मानने में भी शर्म महसूस करते हैं कि उन्हें डिप्रैशन है क्योंकि उन्हें महसूस ही ऐसा करवाया जाता है कि डिप्रेशन कुछ भी नहीं है। बहुत सारे लोग ऐसा भी बोलते हैं कि यह लोग सिर्फ सिंपैथी या फिर दया लेने के लिए डिप्रेशन का ढोंग कर रहे हैं लेकिन ऐसा नहीं होता है।