Know Your Desire: महिला ऑर्गैज़्म की सच्चाई और समाज की चुप्पी

यौन स्वास्थ्य: महिला ऑर्गैज़्म से जुड़ी सच्चाइयों और समाज की चुप्पी पर चर्चा, क्यों इस विषय पर बात करना ज़रूरी है और जागरूकता कैसे बदलाव ला सकती है।

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Sakshi Rai
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Photograph: (vogue)

The Truth About Female Orgasm and Society’s Silence: हम एक ऐसे समाज में रहते हैं जहाँ सेक्स से जुड़ी बातों पर अक्सर पर्दा डाल दिया जाता है खासकर जब बात महिलाओं की हो। महिला ऑर्गैज़्म एक ऐसा विषय है जिसे आज भी लोग खुलकर नहीं समझते और न ही इस पर बात करना पसंद करते हैं। ज्यादातर महिलाओं को यह भी नहीं बताया जाता कि उनकी बॉडी क्या चाहती है और उन्हें भी सेक्सुअल प्लेज़र का हक है। कई बार महिलाएं खुद भी इस अनुभव को पूरी तरह नहीं जान पातीं क्योंकि समाज ने उन्हें बस चुप रहना सिखाया है। घर हो या स्कूल ये बातें अक्सर दबा दी जाती हैं। लेकिन आज का समय बदल रहा है अब ज़रूरत है कि हम इस पर खुलकर बात करें, ताकि महिलाएं अपने शरीर और भावनाओं को अच्छे से समझ सकें। जागरूकता और जानकारी ही इस चुप्पी को तोड़ने का पहला कदम है।

महिला ऑर्गैज़्म की सच्चाई और समाज की चुप्पी

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जब भी सेक्स की बात आती है, तो हमारा समाज खुलकर सिर्फ पुरुषों के अनुभव पर ही ध्यान देता है। लेकिन जब बात महिलाओं की खुशी और उनके ऑर्गैज़्म की आती है, तो वहाँ चुप्पी छा जाती है। बहुत-सी लड़कियों और महिलाओं को खुद नहीं पता होता कि ऑर्गैज़्म क्या होता है या उन्हें सेक्स में क्या महसूस होना चाहिए। इसका एक बड़ा कारण है बचपन से लेकर शादी तक इस विषय पर कोई बात ही नहीं करता।

अक्सर घरों में बेटियों को सिर्फ यही सिखाया जाता है कि इस तरह की बातें करना या पूछना गलत है। स्कूलों में सेक्स एजुकेशन नाम की चीज़ बस किताबों में ही रह जाती है, और असल ज़िंदगी में ऐसे सवाल पूछना शर्मनाक माना जाता है। इसी वजह से महिलाएं अपनी ही बॉडी को समझ नहीं पातीं, और अपने पार्टनर से भी खुलकर बात नहीं कर पातीं। उन्हें लगता है कि सेक्स सिर्फ एक ज़िम्मेदारी है, न कि कुछ ऐसा जो उन्हें भी खुशी दे सकता है।

असलियत ये है कि ऑर्गैज़्म केवल एक शारीरिक अनुभव नहीं होता बल्कि इसमें मानसिक और भावनात्मक जुड़ाव भी बहुत अहम होता है। जब तक महिला मानसिक रूप से सुरक्षित और कंफर्टेबल महसूस नहीं करेगी तब तक वो खुलकर अनुभव नहीं कर पाएगी। लेकिन अफसोस की बात ये है कि ये बातें किसी भी रिश्ते में खुलकर नहीं की जातीं।

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समस्या सिर्फ जानकारी की कमी की नहीं है बल्कि समाज के सोचने के तरीके की भी है। लड़कियों को खुद पर शर्मिंदगी महसूस कराई जाती है अगर वो अपने शरीर या भावनाओं के बारे में जानना चाहें। मगर अब वक्त बदल रहा है। अब ज़रूरी है कि महिलाएं भी खुद से जुड़ी बातों को जानें समझें और उनके बारे में बात करें। जानकारी और संवाद ही पहला कदम है इस चुप्पी को तोड़ने का।

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