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Why does talking about sex feel so scary?: हमारे समाज में सेक्स ऐसा टॉपिक है जिस पर आज भी खुलकर बात करने में लोग झिझकते हैं। चाहे बच्चे हों या बड़े, घर हो या स्कूल, इस बारे में लोग खुलकर ना बात कर पाते हैं ना ही सुनना चाहते हैं। लेकिन ऐसा क्यों है? जब सेक्स एक नैचुरल चीज़ है, तो फिर इसके बारे में बात करना इतना मुश्किल क्यों हो गया है?
Sexual Silence: सेक्स पर बात करने से इतना डर क्यों लगता है?
सेक्स की सही जानकारी होना जरूरी है
सेक्स की बातें ना करना और ऐसा टॉपिक को छिड़ने से रोकना ही इसके जानकारी के आभाव का सबसे बड़ा कारण है। खासकर किशोर और युवा इसे इंटरनेट या दोस्तों से जानने की कोशिश करते हैं, लेकिन वहां से अक्सर अधूरी या गलत जानकारी पाते हैं। अगर घर या स्कूल में इस पर खुलकर और आसानी से बात की जाए, तो कई गलतफहमियां और डर दूर किए जा सकते हैं।
सोच, परवरिश और समाज का असर
भारत में जहां अभी भी ज़्यादातर लोग पुरानी सोच से बंधे हुए हैं, वहां सेक्स जैसे टॉपिक पर खुलकर बात करना बहुत मुश्किल है। बचपन से ही बच्चों को ये सिखा दिया जाता है कि "ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए", "ये शर्म की बात है" या "ये गलत है"। इसका नतीजा ये होता है कि बच्चे या तो इस टॉपिक से डरने लगते हैं या गलत जानकारी का शिकार हो जाते हैं। पेरेंट्स और टीचर भी इस पर बात करने से बचते हैं, जबकि सबसे पहली सीख सेक्स के बारे में इन्हें ही देनी चाहिए।
सेक्स से जुड़ी गलत धारणाएं और प्रभाव
टीवी, फिल्मों और सोशल मीडिया पर जिस तरह से इसे दिखाया जाता है, उसने इसे एक जरूरी और गंभीर टॉपिक की जगह बस मज़े या टाइमपास की चीज़ बना दिया है। इसलिए जब कोई इस पर ठीक से और समझदारी से बात करना चाहता है, तो लोग उसे टोक देते हैं या उसे शर्मिंदा कर देते हैं। जबकि समाज को ये बातें समझनी चाहिए कि आने वाली पीढ़ी के लिए ये बातें अच्छे से जानना जरूरी है।
पेरेंट्स और स्कूल से होनी चाहिए sex education की शुरुवात
सेक्स जैसे विषय पर खुलकर बात करना घर और स्कूल से ही शुरू होना चाहिए। पेरेंट्स को बच्चों से दोस्ती वाला रिश्ता बनाना चाहिए, ताकि बच्चा बिना डरे कुछ भी पूछ सके। स्कूल में भी सेक्स एजुकेशन को एक आम और ज़रूरी विषय की तरह पढ़ाया जाना चाहिए, न कि किसी शर्म या झिझक के साथ।