/hindi/media/media_files/NRiRU2tHHxz9rwmqnvF3.png)
file image
Women Hesitate to Use Female Condoms: महिलाओं के सुरक्षित यौन स्वास्थ्य के लिए फीमेल कंडोम (Female Condom) एक बेहतरीन साधन है, लेकिन इसके प्रति जागरूकता और स्वीकार्यता की कमी देखी जाती है। दिलचस्प बात यह है कि शिक्षित और स्वतंत्र विचारों वाली महिलाओं में भी फीमेल कंडोम को लेकर झिझक बनी हुई है। हाल ही में हुई विभिन्न रिसर्च और सर्वेक्षणों में इस मुद्दे को उजागर किया गया है।
फीमेल कंडोम को लेकर पढ़ी-लिखी महिलाओं में भी है झिझक, जानिए क्या कहती है इस पर हुई रिसर्च
फीमेल कंडोम के प्रति महिलाओं की झिझक क्यों?
हालांकि फीमेल कंडोमपुरुष कंडोम की तरह ही प्रभावी है और अनचाहे गर्भधारण व यौन संचारित रोगों (STDs) से बचाव करता है, फिर भी इसे अपनाने में महिलाएं हिचकिचाती हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं:
जानकारी की कमी: फीमेल कंडोम को लेकर सही जानकारी का अभाव अभी भी बना हुआ है। अधिकांश महिलाएं इसे कैसे इस्तेमाल किया जाए, इस बारे में स्पष्ट नहीं होतीं।
सामाजिक धारणाएं: भारतीय समाज में महिलाओं की यौन स्वतंत्रता को लेकर अभी भी कई रूढ़िवादी सोच बनी हुई है। फीमेल कंडोम का इस्तेमाल करने को कई बार नैतिकता से जोड़ा जाता है।
असहजता और प्रयोग की जटिलता: पुरुष कंडोम की तुलना में फीमेल कंडोम का इस्तेमाल थोड़ा पेचीदा लग सकता है, जिससे महिलाएं इसे अपनाने से कतराती हैं।
उपलब्धता की समस्या: फीमेल कंडोम अभी भी हर मेडिकल स्टोर या सुपरमार्केट में आसानी से उपलब्ध नहीं होता, जिससे इसे खरीदने में परेशानी आती है।
साथी की प्रतिक्रिया: कई बार महिलाएं इस डर से फीमेल कंडोम का इस्तेमाल नहीं करतीं कि उनका साथी इसे पसंद नहीं करेगा या इसे लेकर गलत धारणा बना सकता है।
रिसर्च क्या कहती है?
हाल के अध्ययनों और सर्वेक्षणों में यह सामने आया है कि 60% से अधिक महिलाएं फीमेल कंडोम के बारे में जानती हैं, लेकिन केवल 10-15% महिलाएं ही इसे इस्तेमाल करने का विचार करती हैं।
अधिकांशमहिलाएं इसे खरीदने में संकोच महसूस करती हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनके चरित्र को लेकर सवाल उठ सकते हैं।
शहरी क्षेत्रों में भी महिलाओं में इसके प्रति जागरूकता कम है, जबकि ग्रामीण इलाकों में यह लगभग न के बराबर है।
समाधान क्या हो सकता है?
शिक्षा और जागरूकता बढ़ाना: महिलाओं को सही जानकारी देकर उनकी झिझक दूर की जा सकती है।
खुली बातचीत को बढ़ावा देना: सेक्स और गर्भनिरोधकउपायों पर खुलकर चर्चा करना जरूरी है।
सुविधाजनक उपलब्धता: मेडिकल स्टोर्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर इसकी उपलब्धता बढ़ाई जानी चाहिए।
सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों का सहयोग: महिलाओं को जागरूक करने के लिए हेल्थ कैंप और वर्कशॉप्स आयोजित की जानी चाहिए।