इश्यूज: बेटी का जन्म आज भी कई घरों में उत्सव नहीं, चिंता का विषय होता हैं। समाज में बेटियाँ सिर्फ इसलिए घुट रही हैं क्योंकि उनके अस्तित्व को बराबरी का दर्ज नहीं मिला-न सोच में, न संसाधनों में, न अवसरों में।
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