माता-पिता हमेशा अपने बच्चों के लिए चिंतित रहते हैं, और वे कभी उन्हें कष्ट में नहीं देखना चाहते। कभी-कभी यही चिंता उन्हें अपने बच्चों को “ना” कहने के रूप में व्यक्त करनी पड़ती है।
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