भारत में विवाह की प्राचीन परंपराएँ और रीतियाँ आज भी कई पितृसत्तात्मक सिद्धांतों पर आधारित हैं। ये सिद्धांत न केवल महिलाओं की स्थिति को कमजोर करते हैं बल्कि समाज में लैंगिक असमानता को भी बढ़ावा देते हैं।
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