मीरा नायर: वह आवाज़ जो पर्दे से समाज को झकझोरती है

मीरा नायर एक फिल्म निर्देशक नहीं हैं- वह एक मूवमेंट हैं। मीरा नायर की फिल्में सिर्फ कहानियां नहीं हैं वे सवाल हैं, प्रतिरोध हैं, और बदलाव की पुकार हैं। उनकी फिल्मों में एक स्पष्ट सामाजिक चेतना भी हैं जो पर्दे से निकलकर दर्शकों के दिलों तक पहुंचती हैं।

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Nainsee Bansal
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Photograph: Instagram

मीरा नायर एक बदलाव हैं, एक ऊर्जा हैं जो बाकी महिलाओं को प्रेरणा देती हैं। मीरा नायर एक फिल्म निर्देशक नहीं हैं- वह एक मूवमेंट हैं। उनके कैमरे की नजर ने उन कहानियों को उजागर किया हैं जिन्हें समाज अक्सर अनदेखा करता हैं। उनकी फिल्मों में न सिर्फ कला हैं, बल्कि एक स्पष्ट सामाजिक चेतना भी हैं जो पर्दे से निकलकर दर्शकों के दिलों तक पहुंचती हैं।

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मीरा नायर: वह आवाज़ जो पर्दे से समाज को झकझोरती है

मीरा नायर: रीयल्टी को जानना 

मीरा नायर का जन्म तो 1957 में ओडिशा में हुआ था। लेकिन उन्होंने 1975 में दिल्ली विश्वविद्यालय से प्रवेश लिया था। उसके बाद उन्होंने हार्वर्ड यूनीवर्सिटी से सोशियोलॉजी में कैमरे के बारे में समझा और कैमरे को ही अपनी जीवनी बना दिया। उन्होंने डॉक्यूमेंट्री के जरिए समाज को जागरूक करने की भरपूर प्रयास किया हैं। उनकी शुरुआती डॉक्यूमेंट्री - India Cabaret और So Far From India ने जेंडर इक्वैलिटी और माइग्रैशन एक्सपीरियंस को सेंटर में रखा।

चेंज की पहली आवाज : सलाम बॉम्बे!

1988 में आई salaam bombay! ने भारतीय सिनेमा में यथार्थवाद की नई लहर शुरू की। यह मुंबई के सड़कों पर रह रहे बच्चों की जिंदगी को बिना किसी ग्लैमर के दिखाती हैं। इनकी यही फिल्म को Caméra d'Or पुरस्कार से नवाजा गया। साथ ही ऑस्कर और BAFTA में नामांकन भी मिला। इसके बाद मीरा नायर ने सलाम बालक ट्रस्ट की स्थापना की, जो आज तक हजारों बच्चों की एजुकेशन और सिक्युरिटी के लिए प्रसिद्ध हैं।

कल्चर और विरोध: Monsoon Wedding 

2001 में Monsoon Wedding एक पारिवारिक शादी की पृष्ठभूमि में पितृसत्ता, यौन हिंसा और कास्ट डिस्क्रिमिनेशन जैसे सामाजिक मुद्दों को उजागर किया हैं। इतनी यह आर्ट गोल्डन लाइन पुरस्कार की विजेता बनी। फिल्म ने इंटरनेशनल लेवल पर भारत के समाज की जटिलता को रूबरू कराया।

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माइग्रेशन, आइडेंटिटी और स्ट्रगल: The Namesake और Queen of Katwe

प्रवासी भारतीयों पर पुस्तक तो खूब लिखी गई हैं। पर फिल्म जो आसानी से दर्शक को उसकी समस्या से जोड़े बहुत कम या न के बराबर हैं। इसलिए जब मीरा नायर ने The Namesake को 2006 में प्रवासी भारतीयों की पहचान की उलझनों का सेंसिटिव रूप लोगों के सामने लाया तो सभी सप्राइज हों गए।

साथ ही Queen of Katwe जब 2016 में युगांडा की एक गरीब लड़की की शतरंज के जरिए आत्मनिर्भरता की कहानी को सबको दिखाया गया-तो यह फिल्म अफ्रीकी महिलाओं की क्षमता और संघर्ष को सम्मान देती दिखी। जिसने बाकी महिलाओं को जागरूक किया।

सामाजिक बदलाव की चिंगारी

मीरा नायर की सामाजिक चेतना सिर्फ कैमरे तक सीमित नहीं रही।उनके बेटे जोहरान ममदानी ने हाल ही में न्यूयार्क सिटी में पहले मुस्लिम मेयर के रूप में इतिहास रचा। यह उनके परिवार की सामाजिक प्रतिबद्धता का विस्तार हैं। जो उनके बोल्ड होने की कहानी और बाकी लोगों को भी बोल्ड बनाने की शक्ति को बताता हैं। मीरा नायर की फिल्में सिर्फ कहानियां नहीं हैं वे सवाल हैं, प्रतिरोध हैं, और बदलाव की पुकार हैं। उन्होंने साबित किया हैं कि सिनेमा एक सामाजिक औजार हैं जो न केवल मनोरंजन करता हैं बल्कि समाज को उसकी की कुरीतियों और मान्यताओं पर सोचने को विवश करता है। भारत के सामाजिक मुद्दे जो आसानी से दिखते नहीं मीरा की best films के जरिए कई छुप नहीं पाते हैं। 

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