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Taunts & Women: समाज के ऐसे ताने जो महिलाओं को अक्सर सुनने को मिलते हैं?

काली, गोरी, लम्बी, छोटी, मोटी, पतली महिलाओं को अक्सर इन पैरामीटर पर जज किया जाता है। लोगों को अपनी इंडिविजुअलटी इम्ब्रेस करने के लिए सेलीब्रेट करने की जगह हर अगले दिन कोई ना कोई आंटी कुछ ज्ञान या नुस्खे दे जाती हैं।

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Rajveer Kaur
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Taunts That Every Woman Must Have Heard, Not Just Once Or Twice: काली, गोरी, लम्बी, छोटी, मोटी, पतली महिलाओं को अक्सर इन पैरामीटर पर जज किया जाता है। लोगों को अपनी इंडिविजुअलटी इम्ब्रेस करने के लिए सेलीब्रेट करने की जगह हर अगले दिन कोई ना कोई आंटी कुछ ज्ञान या नुस्खे दे जाती हैं। आज मैं आपके साथ उन तानों को साझा करूंगी जो आपने एक महिला के रूप में एक या दो बार नहीं बल्कि हजारों बार सुने होंगे।

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समाज के ऐसे ताने जो महिलाओं को अक्सर सुनने को मिलते हैं?

महिलाओं को टैटू या Piercing नहीं करवाने चाहिए 

समाज में महिलाओं के टैटू बनाने को इतना अच्छा नहीं माना जाता है। इससे महिलाओं के कैरेक्टर पर भी सवाल उठाए जाते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि महिलाओं को यह सब काम शोभा नहीं देते हैं। महिलाओं की च्वाइस के लिए हमेशा ही उनको जज किया जाता है। लोग यह क्यों भूल जाते हैं कि यह उनकी बॉडी है। दूसरा टैटू की मदद से आप खुद को एक्सप्रेस कर सकते हैं। यह भी एक तरह की आर्ट ही है। इसके पीछे कोई मतलब जरूर छुपा होता है। असलियत में अच्छा यह नहीं लगता है जब आप किसी भी चॉइस की रिस्पेक्ट नहीं करते हैं।

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ऐसी महिलाएं पसंद नहीं हैं जो बहुत तेज आवाज करती हैं 

क्या अब महिलाएं अपने दिल की बात बोलना ही छोड़ दे और न ही अपने इमोशंस को एक्सप्रेस करें। सबसे जरूरी बात यह है की बाकी Stereotypes की तरह यह भी बचकाना है। ऐसा व्यवहार इंडिविजुअल की प्रेफरेंस में डाइवर्सिटी को शो नहीं करता है। हमें इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि जो चीज एक व्यक्ति को पसंद है जरूरी नहीं वो दूसरे को भी हो। अगर एक पुरुष को कोमल महिलाएं पसंद है तो दूसरे पुरुष को स्ट्रांग और कॉन्फिडेंट महिलाएं भी पसंद हो सकती हैं।

महिलाओं को ऐसे नहीं बैठना चाहिए

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अब कुछ लोगों को महिलाओं के बैठने से भी प्रॉब्लम हो जाती है। उनका यह कहना होता है कि महिलाओं को इस तरीके से नहीं बैठना चाहिए क्योंकि यह पुरुषों की तरह लगता है। महिलाओं को अदब के साथ बैठना चाहिए लेकिन यह डिसाइड कौन करता है कि महिलाओं को किस तरीके से बैठना चाहिए। क्या महिलाओं को रिलैक्स होकर बैठने का अधिकार नहीं है? यहां पर भी उन्हें कंट्रोल किया जाएगा कि स्पेसिफिक तरीके से ही बैठना चाहिए। हमें महिलाओं को उनके तरीके से जीने का अधिकार देना होगा। इससे पता चलता है कि हम कैसे महिलाओं को डिक्टेट करते हैं कि उन्हें इस तरीके से ही खुद को दिखाना चाहिए और उनसे सामाजिक अपेक्षाओं को पूरा करने की भी उम्मीद रखते हैं।

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