Things Indian Moms Should Say: माताओं को बच्चों को सकारात्मक सोच और दृष्टिकोण सिखाना चाहिए। भारतीय माताओं को अपने बच्चों को सकारात्मक प्रेरणा देनी चाहिए। "तुम्हें गर्व है" और "तुम बहुत अच्छे हो" जैसे शब्द बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ा सकते हैं। "हर समस्या का समाधान है" और "हर दिन नया अवसर लाता है" जैसी बातें बच्चों को जीवन में आगे बढ़ने में मदद करेंगी। पढ़ते है और कोन सी बातें माओं को ज़रूर कहनी चाहिए।
Motherhood Struggles: भारतीय माताओं को अपने बच्चों से क्या कहना चाहिए
1. जब उसे कोई पसंद आएगा तब शादी कर लेगी
शादी अभी 25 की तो हुई है, जब उसे कोई पसंद आएगा तब करेगी। आजकल के समय में शादी की उम्र को लेकर समाज में बहुत सारे दबाव होते हैं। लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि शादी एक ऐसा निर्णय हो जो खुद के खुशी और सहमति से हो। "शादी अभी 25 की तो हुई है, जब उसे कोई पसंद आएगा तब करेगी" यह एक सकारात्मक और सहायक दृष्टिकोण है। इससे बेटियों को यह महसूस होता है कि उनके माता-पिता उनकी भावनाओं और निर्णयों का सम्मान करते हैं।
2. दोस्त के साथ सुरक्षित घर आ जाना
घर आते-आते देर हो जाएगी, कोई बात नहीं बेटा, दोस्त के साथ सुरक्षित घर आ जाना। आजकल के व्यस्त जीवन में दोस्तों के साथ समय बिताना एक आम बात है। माओं को अपने बच्चों के सुरक्षा के बारे में चिंता होती है, लेकिन यह कहना कि "घर आते-आते देर हो जाएगी, कोई बात नहीं बेटा, दोस्त के साथ सुरक्षित घर आ जाना" बच्चों को आज़ादी और सुरक्षा दोनों का एहसास कराता है। इससे बच्चों को यह महसूस होता है कि उनकी माएं उनकी आज़ादी का सम्मान करती हैं और उनकी सुरक्षा के बारे में पता हैं।
3. शर्मा जी की बेटी ने टॉप किया तो क्या हुआ
शर्मा जी की बेटी ने टॉप किया तो क्या हुआ, तुम जिसमे में इंटरेस्ट हो वो पर्स्यू करो आराम से। अक्सर माएं अपने बच्चों की तुलना दूसरों से करती हैं, जिससे बच्चों पर अनावश्यक दबाव आता है। "शर्मा जी की बेटी ने टॉप किया तो क्या हुआ, तुम जिसमे में इंटरेस्ट हो वो पर्स्यू करो आराम से" कहना एक सकारात्मक संदेश है। इससे बच्चों को यह समझ में आता है कि उनके माता-पिता उनके रूचियों और प्रतिभाओं को महत्व देते हैं और उन्हें अपने तरीके से आगे बढ़ने की आजादी देते हैं।
4. भाई है न गेस्ट्स को चाय देने के लिए
तुम क्यों टेंशन ले रही हो, भाई है न गेस्ट्स को चाय देने के लिए, तुम आराम से अपना काम खत्म कर लो। घर के कामकाज में संतुलन बनाना और बच्चों को समान जिम्मेदारियां देना महत्वपूर्ण है। "तुम क्यों टेंशन ले रही हो, भाई है न गेस्ट्स को चाय देने के लिए, तुम आराम से अपना काम खत्म कर लो" कहकर माएं बच्चों को यह संदेश देती हैं कि घर के कामकाज में सभी का योगदान होना चाहिए। इससे बच्चों में समानता और टीमवर्क की भावना विकसित होती है।
5. सारे काम अपने हस्बैंड के साथ ही करोगी क्या?
अरे ट्रिप पे ही तो जाना है, तो जाओ न, सारे काम अपने हस्बैंड के साथ ही करोगी क्या? माएं अक्सर बच्चों की सुरक्षा और जिम्मेदारियों के बारे में चिंता करती हैं, लेकिन उन्हें यह भी समझना चाहिए कि बच्चों को स्वतंत्रता और अनुभवों का महत्व है। "अरे ट्रिप पे ही तो जाना है, तो जाओ न, सारे काम अपने हस्बैंड के साथ ही करोगी क्या?" कहकर माएं बच्चों को स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता का महत्व सिखा सकती हैं।
6. बेटा, तुम्हारा गोरा और सुंदर होना जरूरी नहीं है
सौंदर्य मानदंडों के प्रति समाज का दबाव अक्सर बच्चों के आत्मसम्मान को प्रभावित करता है। "बेटा, तुम्हें गोरा और सुंदर होना जरूरी नहीं है" कहकर माएं बच्चों को उनके आत्ममूल्य और आत्मसम्मान का महत्व समझा सकती हैं। इससे बच्चों को यह एहसास होता है कि उनकी माएं उन्हें उनके असली रूप में स्वीकार करती हैं और उन्हें उनके गुणों और क्षमताओं के आधार पर महत्व देती हैं।
7. यह तेरा घर है, था और हमेशा रहेगा
बच्चों को यह समझाना कि उनका घर हमेशा उनका रहेगा, उन्हें सुरक्षा और स्थायित्व का एहसास कराता है। "यह तेरा घर है, था और हमेशा रहेगा" कहकर माएं बच्चों को यह विश्वास दिला सकती हैं कि वे हमेशा उनके लिए वहां मौजूद रहेंगी। इससे बच्चों में आत्मविश्वास और सुरक्षा की भावना विकसित होती है।
8. कभी खुलकर जी ही नहीं पाओगी
समाज के दबाव और मानदंडों के कारण बच्चों का जीवन संकीर्ण हो सकता है। "सोसायटी के बारे में सोचोगी तो कभी खुलकर जी ही नहीं पाओगी" कहकर माएं बच्चों को यह संदेश दे सकती हैं कि उन्हें अपने जीवन को अपनी शर्तों पर जीना चाहिए और समाज के दबावों को नकारना चाहिए। इससे बच्चों में आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान की भावना विकसित होती है।
इन सकारात्मक और सहायक संदेशों के माध्यम से भारतीय माएं अपने बच्चों को बेहतर तरीके से समझ और समर्थन प्रदान कर सकती हैं, जिससे उनका जीवन अधिक खुशहाल और संतुलित हो सकता है। ये बातें भारतीय माताओं को अपने बच्चों को कहनी चाहिए ताकि वे आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी और खुशहाल जीवन जी सकें।