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Why We Do Not Talk Openly About Periods (Image Credit - Hindustan)
Why We Do Not Talk Openly About Periods: हम सभी ने अक्सर यह देखा है कि लोग पीरियड्स के बारे में बात करने से कतराते हैं। यहाँ तक कि लडकियों को जब भी पीरियड्स के बारे में बताना होता है तो वे डायरेक्ट यह नहीं कह पाती हैं कि मुझे पीरियड्स हैं। वे तमाम तरह के सिमटम्स बताती हैं। लेकिन यह नहीं कह पाती हैं कि मुझे पीरियड्स हैं। आखिर आज-कल के समय में भी महिलाएं पीरियड्स के बारे में बात करने से क्यों कतराती हैं। महिलाओं को काम से छुट्टी चाहिए हो या फिर घर के किसी मेल पर्सन को यह बताना हो कि उन्हें पीरियड्स हैं तो वे डायरेक्ट इस बात को कहने से बचती हैं।
आखिर क्यों आज भी महिलाएं पीरियड्स के बारे नहीं बता पाती हैं
आज कल के समय में जब टेक्नोलॉजी इतनी ज्यादा बढ़ चुकी है कि टीवी, फ़ोन, न्यूज विडियोज के माध्यम से महिलाओं में होने वाले पीरियड्स के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है। ना जाने कितने हेल्थ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि पीरियड्स के बारे में खुल कर बाते करें यह कोई छिपाने वाली चीज नहीं है इसके बाद भी खुद महिलाएं आज भी इस बात को बता पाने तक में सक्षम नहीं हैं। आखिर अब तक ऐसा क्यों हैं?
हम सभी ने देखा है कि जब हम सभी पीरियड्स के लिए पैड या टेम्पोन लेने जाते हैं तो हमारे मन में यह होता है कि शॉप पर ज्यादा मेल पर्सन ना हों और हम खुद शॉप कीपर से कहते हैं कि भैया इसे रैप कर के देना। आखिर ऐसा क्यों हैं। कि महिलाएं खुद आज भी पीरियड्स से जुड़ी चीजों को एक्सप्रेस करने से इतना बचती हैं। क्या पुरुषों को इस बारे में कुछ भी ज्ञात नहीं होता है या फिर उन्हें इसकी जानकारी नहीं कि पीरियड्स क्या होते हैं। पीरियड्स महिलाओं के जीवन का अभिन्न हिस्सा है इसकी जानकारी तो सबको है फिर हम क्या छुपा रहे हैं।
क्यों महिलाएं पीरियड्स के बारे में बात करने से कतराती हैं
महिलाओं में मासिक धर्म के बारे में बात न कर पाने के और अपनी फीलिंग को न एक्सप्रेस करने के कई कारण हो सकते हैं। इसके कई सामाजिक, ऐतिहसिक और शैक्षिक कारण हो सकते हैं। बचपन से उन्हें यह सिखाया जाता है कि पीरियड्स अशुद्धि है यह एक कमजोरी का भी संकेत है। छुआ-छूट जैसी तमाम मान्यताएं भी इसका कारण होती हैं कि महिलाएं पीरियड्स के बारे में कतराने लगती हैं।
कई जगहों पर उन्हें यह फील होता है कि ऐसा न हो कि पीरियड्स के बारे में बात करने पर लोग उनका मजाक उड़ायें या उन्हें कुछ ऐसा कहें जो उन्हें बुरा फील कराए। भारतीय समाज में कई ऐसे लोग हैं जो पीरियड्स के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते हैं और रखते भी हैं तो वे महिलाओं की प्रॉब्लम का मजाक बनाते हैं जो कि लड़कियों और महिलाओं को इसके बारे में बात करने से रोकता है।
क्यों महिलाओं को पीरियड्स के बारे में बात करनी चाहिए
कई बार यह बात सामने आती है कि महिलाएं पीरियड्स के बारे मे बात करने से कतराती हैं लेकिन ऐसा उन्हें क्यों नहीं करना चाहिए इसके बारे में भी जानना बहुत जरूरी है। अगर महिलाएं इस बारे में बात करती हैं तो समाज में व्यक्ति में तमाम रुढियों, गलत सोच, मिथक और तमाम मासिक धर्म से जुड़ी बातों के बारे में जागरूकता फैलेगी। जो कि महिलाओं के लिए एक पॉजिटिव इफेक्ट का कारण भी बन सकती है। अगर महिलाएं अपनी शर्म को छोड़कर इस बारे में बात करती हैं तो समाज में पीरियड्स को लेकर महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव को भी कम करने में मदद मिल सकती है और लोग इस बात पर गौर कर सकते हैं कि पीरियड्स कोई समस्या नहीं है बल्कि एक नेचुरल प्रक्रिया है। ऐसा करने से महिलाओं को सशक्त होने में भी सहायता मिल सकती है और पीरियड्स को लेकर सदियों से चले आ रहे कलंक और रूढ़ियाँ खत्म करने में मदद मिलेगी।