How Solo Travel Empowers Women to Take Control? एक ऐसा भी समय था जब महिलाएं घर से बाहर निकलना तो दूर घर में भी घूंघट लेकर रखती थी लेकिन आज के समय में महिलाएं सोलो ट्रिप पर जा रही हैं। यह महिलाओं के जीवन की सबसे बड़ी क्रांतियां में से एक हो सकती है क्योंकि इससे महिलाएं 'जिंदा' महसूस करने लगी है। उनके मन से डर निकलने लग गया है और इस मर्द प्रधान समाज का दबदबा भी कम होने लग गया है हालांकि यह पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है लेकिन अगर हम ऐसे ही महिलाओं को आजादी दिलाने में मदद करते रहेंगे तो आने वाले समय में बराबरी होना तय है। आज हम जानेंगे कि कैसे सोलो ट्रिप पर जाना महिलाओं को सशक्त बना सकता है-
कैसे Solo Trip से महिलाएं सशक्त हो सकती हैं?
आजादी
आजादी एक ऐसा शब्द है जिससे आप उन सभी जंजीरों को तोड़ कर रख देते हैं जिन्होंने आपको बाँध कर रखा होता है। महिलाओं के जीवन में सोलो ट्रिप एक ऐसा रास्ता है जिससे उन्हें आजादी मिलती है। उनके ऊपर किसी का कंट्रोल नहीं होता है। वे अपनी मर्जी से किसी भी जगह पर घूम सकती हैं, किसी से भी मिल सकती हैं, मनपसंद खाना खा सकती हैं और अनगिनत लोगों के साथ मिल सकती है। उनके ऊपर कोई भी पाबंदी नहीं होती है और इसके कारण महिलाओं की पर्सनल ग्रोथ होती है।
खुद के लिए समय
सदियों से महिलाओं को कभी अपने लिए समय नहीं मिला है। उन्होंने हमेशा अपना जीवन मां-बाप, पति, बच्चे या फिर सास-ससुर की देखभाल में ही काट दिया है लेकिन सोलो ट्रिप के जरिए से महिलाओं को रिलैक्स करने का समय मिलता है। उनके ऊपर किसी का कोई प्रेशर या बोझ नहीं होता है। ऐसे उन्हें अपने लिए समय अकेले समय मिलता है और पूरा समय वे अपने बारे में ही सोचती हैं। उन्हें अपने बारे में जानने का मौका मिलता है। आज के समय में वर्क-लाइफ बैलेंस करते-करते महिलाएं बर्नआउट हो जाती हैं लेकिन एक सोलो ट्रिप करने से आप उस बर्नआउट को भी खत्म कर सकते हैं।
सेल्फ लव
खुद के साथ कनेक्ट रहना बहुत जरूरी है और सोलो ट्रिप के जरिए आप ऐसा कर सकते हैं। अगर आप सोलो ट्रिप प्लान कर रहे हैं तो इससे आप खुद के साथ कनेक्टड महसूस करना शुरू करेंगे। आप खुद के बारे में जानना शुरू करेंगे। आप अपने लिए फैसला ले पाएंगे। आपको पता चलेगा कि आपको क्या अच्छा लगता है और क्या नहीं। आप अलग-अलग लोगों से मिलेंगे जिनसे आपको अपनी पर्सनालिटी के बारे में पता चलेगा। आप अपने इमोशंस को मैनेज करना सीखेंगे और आपके अंदर एक धैर्य भी आएंगा।
स्टीरियोटाइप सोच का खात्मा
सोलो ट्रिप करने से महिलाएं स्टीरियोटाइप को चैलेंज करती हैं जो सदियों से चली आ रही है जिसमें महिलाओं को हमेशा चार-दिवारी के अंदर ही रहना सिखाया जाता है। उन्हें हमेशा बताया जाता हैं कि उसकी जगह घर में में हैं। आज की महिलाओं ने साबित किया वो अकेले घूम सकती हैं चाहे आज भी महिलाओं के लिए माहौल सुरक्षित नहीं है लेकिन यह चीज उन्हें जिंदगी जीने से रोक नहीं सकती। वे उन चीजों का मुकाबला कर सकती हैं और उनमें योग्यता है कि वह अकेले घूम सकती हैं। इसके लिए उन्हें किसी पुरुष की जरूरत नहीं है।
सोलो ट्रिप के अनगिनत फायदे हैं। पहली बार सोलो ट्रिप पर जाना किसी महिला के लिए कठिन हो सकता है लेकिन अगर आप एक बार हिम्मत कर लेते हैं तब आप एक अलग इंसान बन जाते हैं। आपके लिए छोटी-मोटी मुसीबत मायने नहीं रह जाते हैं। आप डटकर जिंदगी का मुकाबला करते हैं। आपके अंदर हिम्मत आ जाती है और बॉडी रिचार्ज हो जाती है। आप खुद के साथ कनेक्टड महसूस करते हैं और कभी भी दूसरों को खुद को नीचा नहीं दिखाने देते।