मीना कोटवाल ने SheThePeople के डिजिटल वुमन अवार्ड्स 2024 में इम्पैक्ट श्रेणी में अपने समर्पण और कार्य के लिए पुरस्कार जीता। उनका मीडिया प्लेटफार्म 'The Mooknayak' भारत के हाशिए पर रहने वाले समुदायों, खासकर दलितों, आदिवासियों और महिलाओं की आवाज उठाता है।
जानिए कैसे मीना कोटवाल ने 'The Mooknayak' के माध्यम से दलितों, आदिवासियों और महिलाओं के लिए आवाज उठाई
The Mooknayak: एक महत्वपूर्ण पहल
The Mooknayak का उद्देश्य जातिवाद, लिंग भेदभाव और सामाजिक अन्याय जैसे मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करना है। यह मीडिया प्लेटफार्म उन मुद्दों पर बात करता है जिनकी मुख्यधारा के मीडिया में अनदेखी की जाती है। इसके माध्यम से भारत के हाशिए पर रहने वाले लोगों की संघर्ष, सहनशक्ति और आकांक्षाओं को उजागर किया जाता है।
सोशल मीडिया के जरिए आवाज़ को बुलंद करना
मीना कोटवाल ने डिजिटल प्लेटफार्मों का प्रभावी उपयोग किया है। उनके यूट्यूब चैनल पर 87,000 सब्सक्राइबर्स हैं, जबकि ट्विटर पर 220,000 से अधिक फॉलोअर्स हैं। इन प्लेटफार्मों के जरिए उन्होंने जातिवाद और सामाजिक असमानताओं के खिलाफ जागरूकता फैलाने के साथ-साथ विशेष समुदायों के संघर्षों को सामने लाया है।
भविष्य की दिशा और विस्तार की योजना
मीना का मानना है कि डिजिटल मीडिया में बढ़ते हुए अवसरों का लाभ उठाकर 'The Mooknayak' को अधिक से अधिक समुदायों तक पहुँचाया जा सकता है। आने वाले समय में प्लेटफार्म मराठी और तेलुगु जैसी भाषाओं में विस्तार करेगा, जिससे 300 मिलियन से अधिक दलित और आदिवासी आबादी तक पहुँच बन सके।
मीडिया की मुख्यधारा में जगह बनाना
मीना कोटवाल के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक मुख्यधारा के मीडिया से बाहर निकलकर अपने प्लेटफार्म को स्थापित करना था। दलित महिला के रूप में उन्हें जातिवाद, लिंग भेदभाव और व्यक्तिगत रूप से गंभीर धमकियों का सामना करना पड़ा। बावजूद इसके, उनके समर्पण और उनके टीम के संघर्ष ने उन्हें इस प्लेटफार्म को मजबूत बनाने में मदद की।
The Mooknayak का यह सफर ना केवल एक मीडिया आउटलेट का विकास है, बल्कि यह भारत के हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए न्याय और समानता की लड़ाई भी है। मीना कोटवाल के नेतृत्व में यह प्लेटफार्म भारत के डिजिटल मीडिया परिदृश्य को बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है।