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Dealing Tantrums:पेरेंट्स को अक्सर बच्चों को प्यार और पेशेंस के साथ पालने को कहा जाता हैं। लेकिन कई बार बच्चे बहुत ही बड़ी जिद्द और समय से अलग नखरे करते देखे जाते हैं। ऐसे में पेरेंट्स उनकी जिद्द कैसे पूरा करें उन्हें समझ नहीं आता हैं। पेरेंट्स तेज रोना और चिल्लाना सुनकर बच्चों को गुस्से और जिद्दी जैसे टैग दे देते हैं। लेकिन बच्चों के नखरे और जिद्द पेरेंट्स की परीक्षा होते हैं जिनसे उन्हें प्यार और पेशेंस से झेलना होता हैं। गुस्से या झुंझलाहट से प्रतिक्रिया करने से बच्चे भी सहम जाते हैं, और मन में डर और अविश्वास को जगह दे देते हैं। लेकिन कुछ ऐसे तरीके हैं जिनसे पेरेंट्स बच्चों के नखरे बहुत आसानी से उठा सकते हैं।
Dealing Tantrums: पैरेंट्स बच्चों की जिद्द और नखरे कैसे स्मार्टली झेले
1. शान्त रहें और प्यार से हैंडल करे
अक्सर गुस्से से स्थिति बिगड़ जाती हैं। पहले बच्चों की जिद्द को उनसे पूछे और फिर सवाल करें कि क्या उनकी जिद्द सचमे जरूरी है या नहीं। अक्सर बच्चे जब प्रश्न का जवाब नहीं दे पाते तो और अड़ियल बनकर बर्ताव करने लगते हैं। बच्चों को प्यार से अपने पास बैठाएं और पूछे कि "क्या आप सचमें चाहते है कि मम्मी पापा आपकी जिद्द पूरी करें?" जब ऐसे सवाल पूछे जाते हैं तो बच्चे अक्सर गहराई से सोचते हैं और जिद्द को भूल भी जाते हैं।
2. भावनाओं को मान्यता दें
जब बच्चा जिद्द करें तो प्यार से उन्हें उनके इमोशनल होने का कारण बताएं। साथ ही उनसे कहे कि मम्मी पापा आपकी भावना समझते हैं। अगर बच्चा ज्यादा नाराजगी और उदासी दिखा रहा हैं, तो उसे अपने पास बैठाकर उनकी भावनाओं को मान्यता देने को कहे। जब आप बच्चे को भावना को नाम देते हैं तो इससे वे समझते हैं कि मम्मी पापा उनकी फीलिंग्स को समझते हैं।
3. ध्यान को हटाने का प्रयास करें
बच्चों को थोड़ाक्रिएटिव होकर उनकी बातों से हटाने का प्रयास कर सकते हैं। बच्चों को उनके सुपर हीरो की कहानी सुनाकर, उनका फेवरेट टॉय देकर या नया खेल शुरू करकर उनका ध्यान हटाने का प्रयास करें। जब उनका ध्यान हट जाता हैं तो बच्चे जिद्द को भूल जाते हैं। लेकिन प्रयास करें कि स्क्रीन या फोन को न पकड़ाएं। क्योंकि स्क्रीन का ज्यादा एक्सपोजर बच्चों के लिए अच्छा नहीं।
4. बच्चों को ऑप्शंस दे
बच्चों को ज्यादा जिद्द की स्थिति में ऑप्शंस दें। उन्हें छोटे चुनाव करने दें कि उन्हें कैसा रंग पसंद हैं?, वे किस समय खेलना पसंद करेंगे?, जब ऐसे सवाल पूछे जाते हैं तो बच्चे उनके मैन जिद्द से भटक जाते हैं। इससे बच्चा समझता हैं कि हां पेरेंट्स मेरी बात को समझने का प्रयास कर रहे हैं।
5. शेड्यूल बनाएं और फॉलो करवाएं
जब बच्चा शेड्यूल को फॉलो करता हैं तो कम जिद्द करता हैं। बच्चों को खाने, सोने और पढ़ने का समय जब तय होता हैं तो वह कम जिद्द करते हैं। अक्सर जब बच्चों को समय अधिक मिलता हैं तो वे जिद्द करने ज्यादा लगते हैं। ऐसे में जरूरी हैं कि बच्चों को टाइम टेबल बना कर काम करने को कहे और छोटे छोटे अचीवमेंट्स पर एप्रिशिएट करें।
6. पॉजिटिवली ध्यान रखें
बच्चे को उसकी छोटी-छोटी अचीवमेंट्स पर क्लैपिंग करना और साथ ही उन्हें स्टार देना जैसे काम करने से बच्चे कम जिद्द करते हैं। अक्सर जब पेरेंट्स उन पर ध्यान नहीं देते तब वह जिद्द करते हैं। जब माता पिता उन पर ध्यान देंगे तो वे जिद्द कम करेंगे। बच्चों का प्यार से समझना और समझाना दोनों ही जरूरी हैं। बच्चे को समझे क्योंकि बच्चा बहुत मासूम और दुनिया से अनछुआ होता हैं।
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