How Healthy Families Talk Through Tough Times: भारतीय समाज में परिवार को हमेशा ही बड़ा दर्जा दिया जाता है। यह कभी सोचने का मौका ही दिया जाता है कि परिवार भी टॉक्सिक हो सकते हैं या फिर उनका भी हमारी मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ सकता है। हम हमेशा परिवार की अच्छी बातों को ही ग्लोरिफाई करते रहते हैं। हमें लगता है कि फैमिली हमारी सबसे बड़ी ताकत है लेकिन कई बार हमारे ट्रॉमा की वजह हमारा परिवार ही होता है क्योंकि वहां पर बातचीत नहीं की जाती है। अगर कोई बातचीत करना भी चाहता है तो उसका साथ नहीं दिया जाता है। ऐसे में माहौल बहुत ज्यादा संकुचित हो जाता है और कोई व्यक्ति बात कर ही नहीं पाता। आज हम बात करेंगे कि कैसे हेल्दी फैमिली में बातचीत को नजरअंदाज नहीं किया जाता है-
Healthy Family में मसलों को नजरअंदाज करने से बेहतर सुलझाना समझा जाता है
हमारी जिंदगी में बहुत कुछ चलता रहता है। ऐसे में अगर हमें कोई सुनने वाला मिल जाए या फिर अगर हम अपनी बात किसी के साथ दिल खोलकर कर ले तो आधी समस्या तब ही सुलझ जाती है लेकिन आज के समय में हमारे पास सुनने वालो की कमी है। परिवारों में भी बच्चों की बात कोई नहीं सुनता है। उन्हें सुरक्षित माहौल नहीं दिया जाता है जहां पर उनकी बात को बिना जज किए सुना जा सके। ऐसे में बच्चे बात कर ही नहीं पाते हैं। इससे उन्हें डिप्रैशन, एंग्जायटी और स्ट्रेस जैसी समस्याओं रहने लग जाती हैं। यह चीज बढ़ती-बढ़ती ट्रामा का रूप ले लेती है। कई बार बच्चे सुसाइड भी कर लेते हैं।
परिवार में बातचीत के लिए खुला माहौल होना जरूरी
किसी भी व्यक्ति के लिए खुलकर बातचीत करना बहुत जरूरी है। अगर आप अपनी जिंदगी को स्मूथ तरीके से चलाना और हर चीज को लेकर स्पष्टता चाहते हैं तो उसके लिए आपको बातचीत करनी ही पड़ेगी। किसी भी प्रॉब्लम को इग्नोर करने से वह खत्म नहीं हो जाती। अगर आपके परिवार में भी बात सुनी नहीं जा रही है या फिर आपको नजरअंदाज किया जा रहा है तो इससे आपकी मेंटल हेल्थ के ऊपर बहुत असर पड़ेगा। आपको लगेगा कि आपकी वैल्यू नहीं की जा रही है या फिर कोई व्यक्ति आपको अपनी जिंदगी में नहीं चाहता है। ऐसे में परिवार को इस बात पर बढ़ावा देना चाहिए कि वह ऐसा माहौल बनाए जहां पर दूसरे लोग वल्नरेबल हो सके और खुलकर अपने ओपिनियन और माइंडसेट को व्यक्त कर सके।
अपनों को सुनना जरूरी
आपको हमेशा ही दूसरों के साथ काइंड रहना चाहिए क्योंकि आप नहीं जानते कि कोई व्यक्ति अपनी जिंदगी में कितने स्ट्रगल से गुजर रहा है। ऐसा नहीं होता है कि बातचीत के दौरान आपको दूसरों को सॉल्यूशन देना ही होता है या फिर चीजों को फिक्स करना है। कई बार सिर्फ दूसरे व्यक्ति को सुनना ही होता है। इससे भी हम किसी व्यक्ति की बहुत बड़ी मदद कर सकते हैं। अगर आप किसी व्यक्ति को इमोशनल रूप से सपोर्ट करना चाहते हैं तो आप उसे सुन सकते हैं। इसलिए अब इस बात को बढ़ावा देने की जरूरत है कि परिवार में एक-दूसरे को सुना जाए।