5 Ways To Keep Learning New Things: आज कल के स्मार्ट और तेज़ रफ़्तार वाले ज़माने में लोगों के साथ चलना ज़रूरी है नहीं तो इंसान बहुत पीछे रह जाता है। इस टेक्नोलॉजी के दौर में रोज़ कुछ न कुछ बदल रहा है और कई बार हम कई चीज़ें मिस भी कर जाते हैं और फिर हमें वो कॉन्सेप्ट समझ ही नहीं आता।
अपनी लर्निंग स्किल्स को कैसे करें डेवलप?
इस डिजिटल युग में ज़रूरी है कि हम अपना कंफर्ट जोन छोड़ कर रोज़ नई-नई चीज़ें सीखें और ज़माने के साथ कंधे से कंधा मिला कर चलें। आइये जानते हैं कि नई-नई चीज़ें आप डेली बेसिस पर कैसे सीख सकते हैं।
1. कम्फर्ट जोन करें एक्सपैंड
अगर आप रोज़ नई चीज़ें सीखने के लिए अपनी लर्निंग पावर को इम्प्रूव करना चाहते हैं तो आपको अपना कम्फर्ट जोन एक्सपैंड करना होगा। इससे आपका माइंड नई चीज़ों को सीखने के लिए अडाप्टिव होगा और आप आसानी से नई लर्निंग को अब्सॉर्ब कर पाएंगे। कंफर्ट जोन को एक्सपैंड करने के लिए नई चीज़ें ट्राई करें और चैलेंजेस एक्सेप्ट करें।
2. रीडिंग है ज़रूरी
चाहे आप कोई अखबार पढ़ें या मैगज़ीन, रीडिंग की आदत बहुत अच्छी है और रोज़ कुछ न कुछ सीखने के लिए ज़रूरी भी। लैंग्वेज पर अपनी कमांड स्ट्रांग करने के लिए अलग-अलग किताबे पढ़ें। देश-दुनिया की खबर लेने के लिए आपको न्यूज़ देखनी या पढ़नी पड़ेंगी, इसके इलावा आप इंटरनेट पर अलग-अलग आर्टिकल्स भी पढ़ सकते हैं। इस तरह आपको पढ़ कर भी कई तरह की नई चीज़ें सीख सकते हैं।
3. नए लोगों से मिलते रहें
कोशिश करें कि आप नए लोगों से मिलते रहें और सोशल गैदरिंग्स और पार्टीज अटेंड करें। लोगों से मिलने पर उनसे बातचीत करें और अलग चीज़ों पर उनके अनुभव के बारे में बातें करें। ऐसे आपकी सोशल स्किल्स भी इम्प्रूव होंगी और आप नए दोस्त भी बना पाएंगे। लोगों का अनुभव सुनने और अपना अनुभव शेयर करने से आप नए आइडियाज एक्स्प्लोर कर सकते हैं।
4. करें दिमागी कसरत
नई चीज़ें सीखने के लिए आपको अपने दिमाग को एक्टिव रखने की ज़रूरत है और इसके लिए आपको पज़ल्स और रिडल्स वगेरा सॉल्व करते रहना चाहिए। इससे आपका दिमाग फिट रहेगा और नई लर्निंग्स को रिटेन करके रखने में सक्षम होगा।
5. हमेशा सीखने के लिए रहें तैयार
आप यह न सोचें कि सीखने का कोई समय या जगह होती है। आपको अपने आस-पास रोज़ कुछ न कुछ सीखने को मिलता रहेगा। आज कल के बच्चे भी इतने स्मार्ट हैं कि अच्छे-भले बुज़ुर्गों को भी नई चीज़ें सिखा देते हैं। हर चीज़ सीखने के लिए क्लासरूम की ज़रूरत नहीं बल्कि सीखने के लिए हमेशा तैयार दिमाग की ज़रूरत होती है।