A Woman's Guide to Self-Validation: भावनाएं हमारी जिंदगी का महत्वपूर्ण पार्ट हैं। अगर हम इन पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं तो हम कभी भी खुश नहीं रह सकते हैं। इन्हें समझना हर किसी को नहीं आता है। बहुत सारे लोग इसलिए खुश नहीं रहते क्योंकि वो समझ नहीं पाते हैं कि वे क्या महसूस करते हैं। कई बार हम अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते हैं। इसके साथ ही हमें अपनी भावनाएं सही भी नहीं लगती हैं जिस कारण हम इन्हें वैलिडेट नहीं कर पाते हैं। चलिए जानते हैं कि कैसे महिलाएं अपनी भावनाओं को वैलिडेट कर सकती हैं-
कैसे महिलाएं अपनी भावनाओं को वैलिडेट करें?
खुद को स्वीकार करें
सबसे पहले आप खुद को स्वीकार करें। बहुत सारी महिलाएं अपने इमोशंस को इसलिए वैलिडेट नहीं कर पाती हैं क्योंकि वे उन्हें स्वीकार नहीं करती हैं। हम बहुत सारे इमोशंस महसूस करते हैं लेकिन उनकी पहचान और उन्हें व्यक्त करना हर किसी को नहीं आता है। इसलिए आपको खुद को स्वीकार करना पड़ेगा। अगर आपको गुस्सा आ रहा है तो आपको यह मानना पड़ेगा कि आप गुस्से में हैं। अगर आपका चिल्लाने का मन कर रहा है तो आप इस भावना को नजरअंदाज नहीं कर सकते। इसलिए सबसे पहले आप खुद को स्वीकार करें, इमोशन चाहे आपके पॉजिटिव है या फिर नेगेटिव।
जजिंग बंद करें
बहुत सारे लोग खुद को जज करने लग जाते हैं लेकिन आपको ऐसा नहीं करना है। आपको अपनी हर भावना को स्वीकार करना है। इससे अगर आप खुद को जज करने लग जाएंगे कि मुझे गुस्सा ही आता रहता है तो आप कभी भी इन्हें अंदर से निकाल नहीं पाएंगे। ये आपको ऐसे ही तंग करते रहेंगे। अगर आप अपने इमोशंस को वैलिडेट करना चाहते हैं तो आपको जजिंग बंद करनी होगी। जजिंग बंद करने के लिए आपको अपने इमोशंस की जड़ पता होनी चाहिए कि आप ऐसा क्यों महसूस कर रहे हैं? जब आपको कारण पता होगा तब आप खुद को जज नहीं करेंगे।
सेल्फ कंपैशन
खुद के इमोशंस को वैलिडेट करने के लिए आपके अंदर सेल्फ कंपैशन होना चाहिए। बहुत सारी ऐसी महिलाएं होती हैं जो इमोशंस को लेकर बहुत वल्नरेबल होती हैं और कई बार खुद को ही नुकसान पहुंचा लेती हैं। आपको अपने इमोशंस के साथ काइंडनेस से पेश आना है। आपको यह मानना है कि यह सब कुछ नॉर्मल है। अगर मुझे इस तरह महसूस हो रहा है तो इसमें मेरी कोई भी गलती नहीं है। यह सब कुछ आपको डिफाइन नहीं करता है। इमोशंस कुछ समय के लिए होते हैं और इसके कई कारण हो सकते हैं।
बातचीत
महिलाओं को अपने इमोशंस को व्यक्त करने के लिए लोगों के साथ बातचीत शुरू करनी होगी। आपके कुछ ऐसे दोस्त होने चाहिए जिन पर आप भरोसा कर सकते हैं। इसके साथ ही आप जर्नलिंग कर सकते हैं या फिर खुद के इमोशंस को रिकॉर्ड कर सकते हैं। इन्हें अंदर दबाना नहीं चाहिए। इससे आप कभी भी इन्हें समझ नहीं पाएंगे और वैलिडेट करना तो दूर की बात है। ऐसे में आप थेरेपी का सहारा भी ले सकते हैं क्योंकि इससे आपको प्रोफेशनल गाइडेंस भी मिल जाएगी।