सदियों से हमारे घरों में एक सोच बनी है कि मैं लाइन घर का काम करेंगे और मर्द बाहर जाकर पैसा कम कर लेंगे लेकिन अब यह सिनेरियो बदल चुका है।आज के समय की महिला घर भी संभालती है और बाहर जाकर काम भी करती है इसके साथ अगर वह एक मदद भी है तो अपने बच्चों को भी देखती है और अपने इन लॉस का भी ध्यान रखती है। फिर भी यह बात आ जाती है कि महिलाएं खर्चे के लिए अपने पति पर निर्भर होती है या फिर सिर्फ घर के खर्चे का मर्दों ही उठाते है।क्या यह सच है? आज हम इसी टॉपिक के ऊपर बात करेंगे-
Financial Responsibilities: क्या महिलाएं खर्चे का बोझ मर्दों पर डालती है?
महिलाएं कंधे से कंधा मिलाकर चलती है -
आज के समय में महिलाएं अब मर्दों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती है। आप यह भी कह सकते हैं कि महिलाएं डबल जिम्मेदारियां मर्दों के मुकाबले शेयर करती। अगर एक महिला घर से बाहर जाकर जॉब या करियर करना चाहती है तो उसे साथ ही साथ घर भी संभालना होगा। महिला चाहे घर पर हाउस हेल्प भी रख ले लेकिन फिर भी जो बेसिक जिम्मेदारियां होती हैं वह महिला के कंधे पर ही होती हैं। इसके साथ अगर महिला एक मां है तो जिम्मेदारियां की कोई सीमा नहीं है। बच्चों के जन्म से लेकर उसके पालन पोषण, स्कूल तक की जिम्मेदारियां ज्यादातर मां के सिर पर ही होती हैं।
महिलाएं बिलकुल फ्री नहीं होती
अगर कोई महिला जॉब नहीं भी करती तब भी वह साल के 365 दिन अपने घर को देती है । घर के छोटे से लेकर बड़े काम तक महिला समर्पण करती है। इसलिए यह कहना तो बंद करना चाहिए कि महिलाएं जिम्मेदारियां शेयर नहीं करती क्योंकि एक घर सिर्फ पैसे से नहीं चला या फिर अकेले घर की जिम्मेदारियां से भी चलता है। इसके लिए दोनों के एफर्ट लगते हैं लेकिन श्रेय ज्यादा मर्दों को जाता है।
मर्दों को अकेले काम की जरूरत नहीं है
रिश्ता चाहे कोई भी हो आपका पार्टनर हो या आप अपने मां-बाप के साथ रह रहे हो लेकिन एफर्ट बराबर होने चाहिए। महिला और मर्द दोनों को कम बराबर हिस्सों में बांटना चाहिए।महिला घर का काम कर रही है तो मर्द की जिम्मेदारी बनती है वह भी उनके साथ मदद करें।इसके साथ जॉब की बात आती है तब भी जिम्मेदारी दोनों की बनती हैं।