How Does Matrilineal Society Prevails In Today's Society?: जहां आज भी समझ में औरतों को कमतर समझा जाता है उनको उनकी काबिलियत पर नहीं बल्कि जेंडर पर नापा जाता है और उन्हें प्रतिदिन पीड़ा एवं अपमान का सामना करना पड़ता हैI वहीं यह जानने में आपको कैसा लगेगा कि इस संसार के किसी कोने में ऐसे समाज भी बसते हैं जहां महिलाएं ही करता धर्ता हैं? जानने में हैरानी हुई? अब आप जरूर सोचेंगे कि "महिलाओं के लिए ऐसा समझ तो केवल किसी पैरेलल डाइमेंशन में ही संभव है!" है ना? लेकिन सच तो यह है कि ऐसे समाज होते हैं जो हमारे देश में ही बसते हैं केवल देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में ऐसी कई जगह है जहां पर ऐसी सोसाइटी का वास है जिसे हम मैट्रिलिनियल अथवा मातृवंशीय समाज के नाम से जानते हैंI आपको जानकर और भी हैरानी होगी कि यह समाज किसी बड़े शहर में नहीं बल्कि छोटे-छोटे गांव में बसता है जहां पर वहां के लोग बड़ी इज्जत और खुशी-खुशी नियमों का पालन करते हैंI
क्या है मैट्रिलिनियल सोसाइटी?
मैट्रिलिनियल सोसाइटी एक ऐसा समाज होता है जहां पर औरतें ही घर परिवार एवं कारोबार की बागडोर संभालती हैंI यहां हर रिश्ते आपके माता के वंश पर आधारित होते हैं जहां एक माता के बाद उनकी पुत्री ही परिवार एवं बिजनेस को आगे लेकर जाएगी और जन्म के बाद बच्चे को उसकी माता का उपनाम अर्थात सरनेम प्राप्त होता है और एक मजे की बात यह है कि यहां पर सोसाइटी मैट्रिलोकल है जहां पति को उसके बीवी के घर आना पड़ता है और बिटिया शादी के बाद अपने माता-पिता के घर में या आस-पास ही रहती हैI
कैसे बनी यह सोसाइटी?
कहा जाता है कि पहले के ज़माने में जब दो देशों के बीच में युद्ध होते थे तो घर के पुरुष अपने देश की रक्षा करने के लिए युद्ध में लड़ने निकल पड़ते थे और उनके पीछे उनकी बीवी को घर की सारी जिम्मेदारियां संभालनी पड़ती थीI धीरे-धीरे वही एक नियम होता गया और घर की औरतें ही घर बार की देखरेख करने लगी और ऐसे कई मैट्रिलिनियल समाज हैं जहां केवल लड़कियां ही नहीं बल्कि लड़के भी खुशी-खुशी एक साथ रहते हैंI घर की बागडोर संभालते-संभालते लड़कियों को आत्मविश्वास की अनुभूति होती है और उन्हें जीवन में कुछ कर दिखाने का हौसला मिलता हैI जिस वजह से इस समाज की लड़कियां साहसी एवं निडर बनती हैं और उन्हें डिसीजन मेकिंग की शिक्षा भी मिलती है ताकि आगे जाकर वह घर और व्यवसाय दोनों संभालेंI
कैसे फायदेमंद है यह सोसाइटी हमारे समाज के लिए?
यदि आपको ऐसा लगता है कि इस तरह की सोसाइटी में लड़कियों को ज्यादा महत्व दिया जाता है तो यह बात सच है कि लड़कियों को पहले से ही घर की जिम्मेदारियां संभालने की प्रशिक्षण मिलती है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि घर के पुरुषों को या फिर बेटों को नजरअंदाज कर दिया जाता है जैसा कि हमारे समाज में अक्सर होता है भले ही औरतों के हाथ में बागडोर दी जाती है लेकिन पुरुषों की राय भी ली जाती है और उनकी बातों को भी सुना जाता है यहां किसी भी तरह से घर के मर्दों पर दबाव नहीं बनाया जाता और वह भी खुशी-खुशी घर की औरतों के साथ 'को-एक्जिस्ट' करते हैंI ऐसे समाज हमारे समाज में काफी हद तक बदलाव ला सकते हैं जहां आज भी लड़कियों की स्थिति जटिल है चाहे वह कितना भी पढ़ लिख क्यों ना लें आखिर में उनसे शादी करके घर बसाने की ही अपेक्षा की जाती है जहां पर उनके फैसले की कोई मान्यता नहीं होतीI मैट्रिलिनियल समाज की लड़कियां हमारे समाज की लड़कियों को सिर उठाकर जीना और आत्मविश्वास के साथ अपने फैसले लेना सिखा सकती हैंI
कहां-कहां बस्ती है मैट्रिलिनियल सोसाइटी?
हालांकि, आज भी समाज में हर कोई इस सोसाइटी के बारे में नहीं जानता है लेकिन यह सच है कि मैट्रिलिनियल सोसाइटी का हमारे देश या देश से बाहर के देशों में अस्तित्व हैI यदि हमारे देश की बात करें तो नॉर्थ ईस्ट इंडिया के राज्य मेघालय में बसने वाले दो ट्राईबल समूह- खासी एवं गारो ट्राइब इस सोसाइटी के उदाहरण हैंI खासी ट्राइब विश्व के बचे शेष कुछ मातृवंशीय समाज में से एक हैंI वही केरल में नायर एवं ऐज़हवास जैसे ट्राईबल समूह रहते हैंI नायर के मैट्रिलिनियल परिवारों को 'थारावद' कहा जाता हैI कर्नाटक में बंट एवं बिल्लवा ट्राईबल रहते हैं जहां के परिवार के वंशज को 'आलियासनतना' के नाम से जाना जाता हैI यदि सबसे बड़ी मैट्रिलिनियल समिति की बात करें तो सुमात्रा, इंडोनेशिया में रहने वाले मिनांगकाबाउ लोग दुनिया के सबसे बड़े मैट्रिलिनियल सोसाइटी हैंI