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(Image Credit: Vox)
How Misogyny Affects Women: भारतीय समाज में मिसोगिनी के बहुत सारे रूप देखने को मिलते हैं जैसे लड़कियों को पेट में ही मार देना, दहेज, घरेलू हिंसा, पितृसत्तात्मक समाज, रेप, जेंडर गैप और कत्ल आदि ऐसी घटनाएं हम हर रोज अखबार, टीवी या फिर सोशल मीडिया पर पड़ते और देखते हैं। यह कुछ भी नया नहीं है। पुरुषों की तरफ से सदियों से महिलाओं को घृणा की जा रही है जिसे हम अंग्रेजी में Misogyny कह देते हैं। यह हमारे समाज में बिल्कुल नॉर्मलाइज है। ऐसी घटना होने पर लोगों का एक ही जवाब मिलता होता है कि लड़की ने ही ऐसा करने पर मजबूर किया होगा। अगर किसी लड़की के साथ जुर्म हो रहा है तो हम उसका ही दोष भी उन्हें देते हैं। यह हमारे समाज का हाल है। आइये जानते हैं यह कैसे महिलाओं को प्रभावित कर रही है-
Misogyny का असर महिलाओं के उपर कैसे पड़ रहा है?
उन्हें कंट्रोल किया जाता है
मिसोगिनी के कारण महिलाओं के मन में डर पैदा किया जा रहा है। आज महिलाएं घर से बाहर निकलने से पहले 10 चीजें सोचती हैं। उन्हें अपने ऊपर बंदिशे लगानी पड़ती हैं क्योंकि बाहर का माहौल ऐसा है। लड़कियों के मां-बाप उन्हें ज्यादा देर घर से बाहर नहीं रहने देते हैं क्योंकि उन्हें उनके मन में भी यह भर दिया गया है कि अगर लड़की ज्यादा देर तक बाहर रहेगी उसके साथ कुछ भी हो सकता है। हालांकि यह किसी भी तरीके से जायज भी नहीं है लेकिन इसके नाम पर लड़कियों की जिंदगी को कंट्रोल करना या फिर ऊपर रोक लगाना बिल्कुल भी सही नहीं है।
खुद के ऊपर अधिकार नहीं
महिलाओं का खुद के ऊपर से अधिकतर छीना ही गया है। अगर एक महिला के पेट में बच्ची है तो उसे मार दिया जाता है। क्या यह सही है? महिलाएं अपनी मर्जी से शादी नहीं करवा सकतीं। वह यह नहीं बता सकतीं कि उन्हें बच्चा कब चाहिए या नहीं। वह अपनी मनपसंद कैरियर नहीं चुन सकती। इसके साथ ही महिलाओं को कपड़े भी समाज के अनुसार पहनने पड़ते हैं तो फिर हम कैसे कह देते हैं कि वो जिंदगी को अपने हिसाब जी रही हैं। हमारे समाज में पुरुष महिलाओं को आज्ञा देते हैं कि उन्हें अपनी लाइफ क्या करना चाहिए लेकिन उन्हें यह हक्क किसने दिया? क्या महिलाएं अपने पैसे खुद नहीं ले सकतीं।
वर्कप्लेस पर भेदभाव
आज महिलाएं बेशक नई ऊँचाइयाँ हासिल कर रही हैं। हर क्षेत्र में उनका नाम है लेकिन यह लाइफ आसान नहीं है। उन्हें वर्कप्लेस पर भी बहुत सारी दिक्कतें आती हैं। सबसे पहले बहुत जगह पर महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कम सैलरी दी जाती है लेकिन काम एक जैसा से ही होता है। इसके साथ ही मेंस्ट्रुअल लीव (Menstrual Leave) का मुद्दा भी आज वैसे ही चल रहा है। वर्कप्लेस पर महिलाओं के साथ होने वाली हरासमेंट के बारे में कोई बात ही नहीं करता हैए। यह बहुत ही आम और नॉर्मल चीज है जिसे बहुत सारी महिलाओं को गुजरना पड़ता है और हमें भी इसमें कुछ बुराई नहीं लगती है जो की बहुत गलत बात है।
पितृसत्ता आज भी मौजूद
मिसोगिनी के कारण पितृसत्ता, अभी भी हमारे समाज में मौजूद है। आज भी महिलाओं को घर के चूल्हे के सामने बैठा दिया जाता है और पुरुष को घर से बाहर जाकर कमाते हैं। अगर एक महिला पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करना चाहती है तो उसे चार बातें सुना कर बैठा दिया जाता है जैसे तुम यह कैसे करोगी, क्या तुमने इतनी पढ़ाई-लिखाई की है या क्या तुम्हें काम की बातें समझ आएंगी?