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हर Stereotypes को तोड़ कर, एक बेहतर लीडर बन रहीं है आज की महिलाएं!

जब एक महिला किसी भी फिल्ड में आगे बढ़ती है और मश्किलों का सामना कर खुद की नई पहचान बनती है तो वो खुद के साथ अनेक लड़कियों और महिलाओं के लिए नया रास्ता खोलती हैं।

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Khushi Jaiswal
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women in leadership overcoming stereotypes

(Image credit : The ohio state university)

Stereotypes : जब एक महिला किसी भी फिल्ड में आगे बढ़ती है और मश्किलों का सामना कर खुद की नई पहचान बनती है, तो वो खुद के साथ अनेक लड़कियों और महिलाओं के लिए नया रास्ता खोलती हैं। उसके लिए ये चीजें आसान नहीं होती पर समाज के बनाए हुए हर स्टीरियोटाइप को तोड़ कर अगर एक महिला आगे बढ़ती है, तो बहुत प्रगती होती हैं। एक महिला के अंदर लीडर बनने और बदलाव लाने की शक्ति होती है, लेकिन आज भी अगर लीडर का पोजीशन देखें तो आपको महिलाओं का अकड़ा कम और पुरुषों का अकड़ा ज्यादा दिखेगा। कोई बड़ा देश हो या कोई बिज़नेस वहां आपको एक महिला लीडर का ग्राफ पुरुषों के मुकाबले हमेशा निचे की ओर जाता हुआ दिखेगा और ये समाज की सच्चाई हैं।  

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चलिए आपको एक उदाहरण के साथ समझाती हूँ, आपने द ट्रिब्यून का नाम तो सुना ही होगा ये देश के सबसे पुराने अख़बारों में से एक हैं। इसकी स्थापना सन 1881 में सरदार दयाल सिंह द्वारा लाहौर में हुई थी। इस न्यूज़ पेपर ने लगभग 143 का सफर तय किया है और आज भी देश के कई शहरों से पब्लिश होता हैं। पर आपको आचर्य होगा की 143 सालों में अबतक इसकी एक भी एडिटर इन चीफ कोई महिला नहीं रहीं है। हाली में द ट्रिब्यून में पहली बार एक महिला को एडिटर इन चीफ का पद सौपा जाएगा। मुझे सोच कर भी ये आचर्य होता है की एक महिला को एडिटर इन चीफ बनाने के लिए द ट्रिब्यून को 100 साल से भी अधिक वक्त लगा। इससे साफ़ है की अगर कोई महिला आगे आ रहीं है और एक लीडर का पद संभाल रहीं है, तो उसने अनेक स्टीरियोटाइप को तोड़ कर इस सफलता को पाया है और समाज के प्रति महिलाओं के सोच को नई दिशा दी हैं। 

जेंडर स्टीरियोटाइप आज भी सोसाइटी को अंदर से खोखला बनाता जा रहा है, कोई महिला लीड करें ये बात समाज को पचती नहीं, इसलिए हमेशा से महिलाओं को पीछे खींचा गया है। चलिए हम समाज के उन लूप होल्स के बारें में आपको बताते है, जिसे भरके हम आने वाले कल में एक से बढ़कर एक महिला लीडर समाज को दे सकते हैं।   

चीजें जो एक महिला को लीडर बनने से रोकती है 

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1. महिलाओं का खुद पर विश्वास नहीं होना 

कई बार एक महिला को काफी बार सिर्फ उनकी गलतियों के लिए टोका जाता है, जिसके कारण उनको खुदसे विश्वास उठने लगता है। वो सशक्त होकर भी खुद में विश्वास न होने के कारण कोई भी नई अवसर को लेने से डरती है। जिससे वो पीछे रह जाती है।  

2. लड़कियों पर कोई इन्वेस्टमेंट नहीं होना 

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अक्सर समाज में लोग किसी महिला पर इन्वेस्ट नहीं करते जिससे उनकी ग्रोथ रुक जाती है। अगर पुरुषों की तरह महिलाओं को भी सही सलाह, स्पोंसरशिप मिले तो वो भी अपने फिल्ड में एक नया आसमान पा सकती है।   

3. स्किल डेवलपमेंट 

एक महिला को अपने स्किल्स पर काम करना होगा और खुद के अंदर कई  लीडरशिप स्किल्स को डेवेलप करना होगा, ताकि वो आगे बढ़ सके और समाज में बने कई सारे स्टीरियोटाइप तोड़ सके।

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4. प्रशिक्षण की कमी

एक महिला को अगर एक लीडर बनाने के लिए सही प्रशिक्षण दी जाए, तो वो एक बेहतर और कामयाब लीडर बन सकती हैं। ट्रेनिंग से उनका आत्माविश्वास भी बढ़ेगा और वीमेन एम्पावरमेंट भी आएगा।   

वैसे तो समाज में अभी एक महिला को लीडर बनाने से पहले हिचकिचाहट देखी जाती है, पर ऐसी कई महिलाएं है जो इन सभी सीमाओं को तोड़ समाज में एक बेहतर लीडर बनकर उद्धरण पेश किया हैं। हम साथ में महिलाओं को अवसर और गाइडेंस देकर और भी कई महान महिला लीडर को जन्म दे सकते हैं।    जिससे हमारे समाज की तरक्की होगी।  

Stereotypes जेंडर स्टीरियोटाइप द ट्रिब्यून
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