Advertisment

क्या खुद से बात करना नॉर्मल है? जाने इसके पॉजिटिव और नेगेटिव इफेक्ट

खुद से बात करना एक सामान्य और व्यापक व्यवहार है, जिसे आंतरिक संवाद या "सेल्फ-टॉक" कहा जाता है। यह व्यवहार सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार के प्रभाव डाल सकता है। अक्सर खुद से बात करना मानसिक स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त होता है।

author-image
Pushpa Chauhan
New Update
Is It Normal To Talk To yourself Know Its Positive And Negative Effects

Image credit-pixabay

Is It Normal To Talk To yourself Know Its Positive And Negative Effects: खुद से बात करना एक सामान्य और व्यापक व्यवहार है, जिसे आंतरिक संवाद या "सेल्फ-टॉक" कहा जाता है। यह व्यवहार सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार के प्रभाव डाल सकता है। अक्सर खुद से बात करना मानसिक स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त होता है। यह आपको अपने भावनाओं और विचारों को स्पष्ट करने में मदद कर सकता है। कुछ लोगों के लिए खुद से बात करना उनके आत्मविश्वास को कमजोर कर सकता है, यदि वे अपने विचारों और भावनाओं पर विश्वास नहीं करते हैं। खुद से बात करना आपके स्वाभाविक विकास को बढ़ावा दे सकता है, क्योंकि यह आपको अपने लक्ष्यों और महत्वपूर्ण मुद्दों के प्रति अधिक समझने में मदद कर सकता है। 

Advertisment

क्या खुद से बात करना नॉर्मल है? जाने इसके पॉजिटिव और नेगेटिव इफेक्ट

1. पॉजिटिव इफेक्ट्स

स्वयं की समझ में सुधार

Advertisment

खुद से बात करने से आप अपने विचारों और भावनाओं को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। यह आत्म-विश्लेषण और आत्म-स्वीकृति को बढ़ावा देता है। अपने अंदर के विभिन्न पहलुओं को समझने के लिए समय निकालें। एक अलग और शांत स्थान चुनें जहां आप अपने विचारों को समझ सकें और उनसे संवाद कर सकें।

संकल्पना और योजना

संकल्पना हमें अपने कार्यों में उत्कृष्टता का लक्ष्य रखने में मदद करती है। यह हमें प्रेरित करती है कि हमारे उद्देश्य को पूरा करने के लिए हमें क्या करना चाहिए। खुद से बात करने से आप अपनी योजनाओं और लक्ष्यों को स्पष्ट कर सकते हैं। यह सोचने और योजना बनाने की प्रक्रिया में मदद करता है।

Advertisment

मोटिवेशन और प्रेरणा

मोटिवेशन उद्देश्यों और लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती है, जबकि प्रेरणा उन लक्ष्यों की ओर सम्मोहित कर सकती है जो हमने दूसरों में देखा है। खुद से सकारात्मक बातें करने से आप खुद को प्रेरित कर सकते हैं। यह आत्म-प्रेरणा और आत्म-विश्वास को बढ़ाता है।

तनाव कम करना

Advertisment

खुद से बात करने से तनाव और चिंता को कम किया जा सकता है। यह एक प्रकार का भावनात्मक रिलीज़ है। अपने दिनचर्या में समय-समय पर विश्राम और अवकाश का समय निकालें। इससे मानसिक और शारीरिक थकावट कम होती है और तनाव को दूर करने में मदद मिलती है।

समस्या समाधान

खुद से बात करने से समस्याओं का समाधान खोजने में मदद मिलती है। यह आपकी रचनात्मकता और समस्या-समाधान कौशल को बढ़ा सकता है। समस्या के समधान के लिए विभिन्न विकल्पों की खोज करें। यह विकल्प तकनीकी, सामाजिक, व्यक्तिगत, या किसी अन्य पहलू में हो सकते हैं।

Advertisment

2. नेगेटिव इफेक्ट्स

नकारात्मक आत्म-चर्चा

खुद से नकारात्मक बातें करने से आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास कम हो सकता है। यह आत्म-आलोचना और अवसाद को बढ़ावा दे सकता है।

Advertisment

अत्यधिक चिंता

अत्यधिक खुद से बात करने से चिंता और मानसिक थकान बढ़ सकती है। यह आपको अत्यधिक चिंतित और विचलित कर सकता है।

सामाजिक अलगाव

Advertisment

अगर खुद से बात करना अधिक हो जाता है, तो यह सामाजिक अलगाव और अकेलापन बढ़ा सकता है। लोग आपको अजीब या असामान्य समझ सकते हैं।

ध्यान की कमी

अगर आप सार्वजनिक या कार्यस्थल पर खुद से बात करते हैं, तो यह आपके ध्यान को भटकाता है और आपके काम में व्यवधान डाल सकता है। खुद से बात करना सामान्य है और यह कई सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, यदि इसे सही तरीके से और सकारात्मक दृष्टिकोण से किया जाए। हालांकि, नकारात्मक आत्म-चर्चा या अत्यधिक खुद से बात करने से बचना चाहिए क्योंकि यह मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। संतुलित और जागरूकता के साथ खुद से बात करना आपके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है।

 

क्या खुद से बात करना नॉर्मल है पॉजिटिव और नेगेटिव इफेक्ट
Advertisment