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Period Poverty के बारे में जानें ये जरूरी बातें

पीरियड एक नॉर्मल और प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें से महिला गुजरती हैं। यह कोई टैबू या स्टिग्मा नहीं है फिर भी इसके बारे में बात करने में शर्म महसूस की जाती हैं उनके पास आम सुख सुविधा भी नहीं होती है।

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Rajveer Kaur
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(Image Credit: Glamour Uk)

Know These Things About Period Poverty: पीरियड एक नॉर्मल और प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें से महिला गुजरती हैं। यह कोई टैबू या स्टिग्मा नहीं है फिर भी इसके बारे में बात करने में शर्म महसूस की जाती हैं उनके पास आम सुख सुविधा भी नहीं होती है जो पीरियड्स के दौरान हर महिला के पास होनी चाहिए। इसे हम पीरियड पॉवर्टी भी कह देते हैं। आज हम इसके बारे में ही बात करेंगे कि कैसे यह महिलाओं के ऊपर प्रभाव डालती हैं- 

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पीरियड पॉवर्टी क्या है?

पीरियड पॉवर्टी का उन महिलाओं के द्वारा सामना किया जाता है जिनकी इनकम बहुत कम होती है या फिर वह गरीब देश में रहती हैं। यह ऐसी गरीबी होती है जो महिलाएं पीरियड्स के संबंध में सहन करती हैं। इसमें लड़कियों के पास पीरियड्स के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले प्रॉडक्ट्स के लिए पैसे ही नहीं होते हैं या फिर उनकी पहुंच के बाहर होते हैं। इसमें मेंस्ट्रूअल पैड, टैम्पोन और कप के अलावा वो दवाइयां भी शामिल हैं जो पीरियड्स के दौरान दर्द को कम करने के लिए खाई जाती हैं। 

कोरोनावायरस पैंडेमिक के दौरान पीरियड पॉवर्टी 

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पीरियड पॉवर्टी के कारण महिलाओं को बहुत सारे चैलेंज का सामना करना पड़ता है जिसमें उनकी मानसिक और शारीरिक सेहत दोनों ही शामिल हैं। हम सब जानते हैं कि पीरियड्स के दौरान महिलाओं को कुछ जरूरी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना ही पड़ता है जिसमें अंडरवियर पैड, टैम्पोन और कप और आदि। इसके साथ ही अगर उन्हें क्रैंप्स या फिर पेन हो रही है तो उसके लिए जो मेडिसिन उन्हें चाहिए। उसके दौरान कुछ और भी तरीका अपनाएंगे उसमें भी पैसा खर्च होता है। जब महिलाओं को ये बेसिक सहूलियत नहीं मिलती हैं तो वे अनसेफ प्रोडक्ट्स की तरफ भागती हैं जो उनकी सेहत के लिए बिल्कुल भी सही नहीं हैं और ना ही हाइजीनिक होती हैं जिससे उन्हें बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

USA  में किए गए एक रिसर्च में बताया गया है कि प्रोडक्ट्स की कम पहुंच और अप्राप्यता के कारण, कोविड-19 महामारी ने पीरियड पावर्टी  को बढ़ा दिया है। यह पाया गया कि 30% उत्तरदाताओं को होम क्वारंटीन के कारण पीरियड प्रोडक्ट्स तक पहुंचने में कठिनाई हुई, 29% को पीरियड प्रोडक्ट्स को खरीदने में मुश्किल आई और 18.5% को महामारी के दौरान किसी भी पीरियड प्रोडक्ट्स को खरीदने में कठनाई का समाना करना पड़ा। 

रिसर्चस यह भी बताती है कि बहुत सारे देशों में अभी भी ऐसी जगह नहीं है जहां पर महिलाएं अपने  पीरियड्स को मैनेज कर सके और आराम से उनकी मेंस्ट्रूअल प्रोडक्ट्स तक पहुंच हो। बहुत सारे स्कूल और वर्कप्लेस भी ऐसे हैं जहां पर महिलाओं को साफ टॉयलेट और पानी भी नहीं मिलता है जो उनकी सेहत पर असर डालता है। अगर महिलाओं के पास पीरियड प्रोडक्ट्स का लिमिटेड एक्सेस हैं तब वह एक ही प्रोडक्ट को लिया को लंबे समय तक इस्तेमाल करेंगी  इससे उन्हें  इन्फेक्शन जैसे UTI या फिर बैक्टीरिया फैलने भी खतरा रहता है।

ओडिशा, भारत (2015) में हुई रिसर्च के अनुसार, जो महिलाएं डिस्पोजेबल पैड का उपयोग करती हैं, उनमें कपडे और पैड आदि का बार बार उपयोग करने वाली महिलाओं की तुलना में लक्षण प्रदर्शित होने या बैक्टीरियल वेजिनोसिस UTI होने की संभावना कम होती है

पीरियड को लेकर शर्म और स्टिग्मा भी एक बड़ा कारण है। महिलाओं को पीरियड्स के दौरान बेसिक पहुंच नहीं मिलती है क्योंकि इसके बारे में खुलकर बात ही नहीं की जाती है ना ही इसके बारे में सही जानकारी होती है। इस कारण भी उन्हें बहुत सारे चैलेंज इन दिनों में देखने पड़ते हैं। जब भी कोई महिला खुलकर पीरियड के बारे में बात करती है तो इसे अच्छा नहीं माना जाता है। उनके साथ भेदभाव किया जाता है।पीरियड्स के दिनों में उन्हें किचन में इंटर नहीं होने दिया जाता है। उन्हें बाकी सब से अलग रहने के लिए मना किया जाता है। बहुत सारी चीजों को छूने नहीं दिया जाता है। इस दौरान उन्हें गंदे कपड़े का इस्तेमाल करने के लिए भी कहा जाता है।

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