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Breastfeeding: ऐसे 5 मिथक जो ब्रेस्टफीडिंग माँ को पता होने चाहिए

माँ बनना एक ख़ुशी और जिम्मेदारियों का सफर है, जिसमें ब्रेस्टफीडिंग माँ और बच्चे के बीच सम्बन्ध बनाता है। यह एक्सपीरियंस न केवल बच्चे की ग्रोथ के लिए बल्कि माँ के लिए भी यादगार होता है। हालांकि, इससे जुड़े कई मिथक और भ्रम हैं जो हमें सच लगते हैं।

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Hindi Team
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BreastFeeding

(Image Credit- Freepik)

Breastfeeding: माँ बनना एक ख़ुशी और जिम्मेदारियों का सफर है, जिसमें ब्रेस्टफीडिंग माँ और बच्चे के बीच सम्बन्ध बनाता है। यह एक्सपीरियंस केवल बच्चे की ग्रोथ के लिए बल्कि माँ के लिए भी यादगार होता है। हालांकि, इससे जुड़े कई मिथक और भ्रम हैं जो हमें सच लगते हैं इस लेख में, हम उन पाँच मिथकों के बारे में जानेंगे जो ब्रेस्टफीडिंग के कॉन्टेक्स्ट में उभरकर आए हैं और जो हमें इस पवित्र प्रोसेस की सच्चाई से मिलता है।

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क्या हैं ऐसे 5 मिथक जो ब्रेस्टफीडिंग माँ को जानने चाहिए

सिर्फ 6 माह तक के बच्चों को ही होता है लाभ?

यह एक ऐसा मिथक है जिसने कई माँओं को बच्चे के 6 माह के बाद ब्रेस्ट फीडिंग से दूर रखा हकीकत यह है कि माँ का दूध नवजात शिशु से लेकर उसके बाद 3 साल तक के बच्चो को सभी चरणों में लाभ होता है। नए रिसर्च के अनुसार, माँ का दूध शिशु को सपोर्ट और सिक्योरिटी देने के साथ-साथ उसके ग्रोथ को भी बढ़ावा देता है।

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बॉटल फ़ीडिंग ही सही रास्ता है?

यह एक और ऐसी मिथ है जहा लैक्टेटिंग माँ बोतल के दूध को ब्रैस्ट दूध से ज़्यादा पोषण देने वाला पदार्थ समझती हैं और बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग से दूर रखती हैं। जबकि, बोतल के दूध में उन पोषण की कमी होती हैं जो ब्रैस्ट मिल्क बच्चे के बढ़ते बदलाव को नुट्रिशन देती हैं। ब्रैस्ट मिल्क में एंटीबॉडीज़ होती हैं जो बच्चे का इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग करती हैं और बच्चे को बीमारियों से भी बचाती हैं।

 क्या जल्दी अनाज खिलाना शुरू करना सही?

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यह एक ऐसी मिथ है जो आज भी काफ़ी प्रैक्टिस में है। यहाँ माँ अपने बच्चे को वक़्त से पहले ही पक्का अनाज खिलाना शुरू कर देती हैं क्यूंकि उससे यह लगता हैं कि बच्चे की ग्रोथ जल्दी और अच्छे से होगी। जबकि डॉक्टर्स का यह कहना हैं कि पूरे 6 माह तक बच्चे को ब्रैस्ट मिल्क पर ही रखना चाहिए क्यूंकि जितनी देरी पक्का अनाज खिलने में होगी बच्चे को खाने से एलर्जी के चान्सेस और डाईजेस्टिव सिस्टम से जुड़ी समस्या नहीं होगी।

 ब्रेस्टफीडिंग रुकावट में है कमजोरी?

कई महिलाएं यह धारणा रखती हैं कि ब्रेस्टफीडिंग उन्हें कमजोर बना देता है और उनकी सेहत को बिगड़ता है। यह मिथक बेकार सोच है। रियलिटी में, ब्रेस्टफीडिंग माँ को स्ट्रांग बनाए रखने में मदद करता है, उसकी हड्डियों को मजबूत रखता है और उसे बीमारियों से बचाता है।

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 ब्रेस्टफीडिंग से शिशु को अच्छा पोषण मिलता है

अंत में, इस मिथक का सबसे महत्वपूर्ण समापन है कि कुछ महिलाएं मानती हैं, वे ब्रेस्टफीडिंग करती हैं तो उनकी स्वास्थ्य को कमी होती है और उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पढ़ सकता हैं ब्रेस्टफीडिंग करने वाली माताएं भी स्वस्थ रह सकती हैं और इससे उनके शिशु को बेहतर पोषण मिलता है, जिससे वह सुरक्षित और स्वस्थ रहता है।

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