Red Flags: रिश्तों का सफर सुंदर, प्रेम भरा और सपोर्ट से भरा होता है, लेकिन कई बार हमें इस सफर में कुछ गलत संगत या आज कल जिससे हम रेड फ्लैग्स कहते हैं, उसका सामना करना पड़ता है। ये रेड फ्लैग्स हमें यह सिखाते हैं कि कुछ तो रिश्ते हमें सुरक्षित नहीं रखने चाहिए, क्योंकि वे हमारे मानसिक स्वस्थ में जोखिम पैदा कर सकते हैं। इस लेख में, हम चर्चा करेंगे कि रिश्तों में कौन-कौन से रेड फ्लैग्स हो सकते हैं और हमें उनके साथ कैसे निपटना चाहिए।
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सेंसिटिविटी की कमी
जब एक इंसान रिश्ते में बराबरी और सेंसिटिविटी की कमी करता है, तो यह एक रेड फ्लैग होने का संकेत हैं। सेंसिटिविटी से मतलब है कि व्यक्ति दूसरों के भावनाओं और अहसासों का सम्मान करता है और उनके साथ सही तरीके से व्यवहार करता है। इसकी कमी से रिश्ते में टूट जाने का खतरा बढ़ सकता है।
निरंतर बात करने या समझने में स्ट्रगल
यदि रिश्ते में लगातार स्ट्रगल और झगड़ा हो रहे हैं, तो यह एक और रेड फ्लैग का संकेत हो सकता है। स्ट्रगल से मतलब है असहमति और आपसी विरोध। यदि यह स्थिति बनी रहती है, तो रिश्ता बीते समय में अधिक दुखद और कठिन हो सकता है।
बैलेंस्ड संबंधों की कमी
रिश्तों में बैलेंस होना जरूरी है। एक-दूसरे के साथ समझदारी और मेल के संबंध से ही एक दूसरे को सपोर्टेड महसूस कराया जा सकता हैं। यदि रिश्तो में ऐसे बैलेंस की कमी है, तो यह रिश्ते टेम्पररी हैं।
जबरदस्ती और कण्ट्रोल
जबरदस्ती और कण्ट्रोल वाले व्यवहार से रिश्ता कभी भी सुधारना मुश्किल होता है। यह एक प्रकार का मेन्टल स्ट्रेस होता है जिससे दूसरा व्यक्ति अपना मानसिक स्वस्थ को खो सकता हैऔर उससे शारीरक समस्या भी हो सकती हैं।
विशेष धार्मिक, सोसाइटी या इकनोमिक दबाव
जब एक व्यक्ति रिश्ते में धार्मिक, सोसाइटी या इकनोमिक दबाव बनाए रखता है, तो यह भी एक रेड फ्लैग की ओर संकेत हैं। रिश्ते में शेयर्ड दबाव का होना संबंध को कठिन बना सकता है और डिप्रेशन भरा बना सकता है।