Society Wrong Expectations For Mothers: मां बनने के बाद महिलाओं पर बहुत सारी जिम्मेदारियां आ जाती हैं। साथ ही आता है समाज का प्रेशर जो एक स्टीरियोटाइप और रूढ़िवादी विचारधारा के साथ एक महिला को उसकी जिम्मेदारियों का एहसास कराने का प्रयास करते हैं। हर मां को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास स्वयं होता है। तो समाज उन्हें खुद के ऊपर शक करने पर क्यों मजबूर कर देता है?
क्यों होता है समाज के कारण महिलाओं को अच्छी मां होने पर शक?
केवल मां पर सारी जिम्मेदारियां
मां बनने के बाद कर समाज मां को केवल उसकी जिम्मेदारियां का एहसास करने का प्रयास करता है जबकि पिता के लिए कोई ऐसी पाबंदी या जिम्मेदारियां नहीं रहती। सारी जिम्मेदारियां केवल और केवल मां के ऊपर आ जाती हैं। इन जिम्मेदारियों की ओवरलोड को ना संभाल पाने के कारण उन्हें अपने ऊपर शक होने लग जाता है।
अपना अस्तित्व खो देना
मां बनने के बाद अपने बच्चों का ख्याल रखते रखते कहीं ना कहीं मां अपना अस्तित्व खो देती है। यदि कोई महिला मां बनने के बाद भी अपने लिए जीना पसंद करती है। तो समाज उसे दबाने की कोशिश करता है और उन्हें एहसास करने का प्रयास करता है कि अब उनकी जिंदगी केवल अपने बच्चों के लिए होनी चाहिए।
गलत एक्सपेक्टेशन रखना
मां बनने के बाद महिला की शरीर काफी ज्यादा कमजोर हो जाती है और उसे खुद का ख्याल रखने की आवश्यकता होती है। मगर ऐसे में कई बार अपने बच्चों का ध्यान ना रख पाने या फिर बच्चों की बीमार पढ़ने या अपने नींद से कंप्रोमाइज न करने पर समाज अक्सर एक महिला को क्रिटिसाइज करता है यह सारे गलत एक्सपेक्टेशन ही महिलाओं को खुद के ऊपर शक करने पर बाधित कर देती हैं।
समाज का प्रेशराइज करना
जब एक कामकाजी महिला मां बनने के कुछ समय मत अपने काम पर वापस लौटने की इच्छा जताती है तो अक्सर समाज को काफी प्रकार क्रिटिसाइज करता है। यदि महिला अपने एंजॉयमेंट के लिए भी चीज करना शुरू करती है तो वह भी क्रिटिसाइज की जाती हैं। समाज की है पुरानी विचारधारा कहीं ना कहीं मां को खुद के ऊपर शक करने पर बाधित कर देती हैं।
एक मां बनने के अलावा एक महिला इंसान भी होती है। ऐसे में उनकी गलतियों को लेकर के उन्हें बहुत क्रिटिसाइज करना उनकी मेंटल हेल्थ को भी प्रभावित करता है। साथ ही एक महिला भी यह सब चीज धीरे-धीरे ही सीख पाती है। गलतियां होना आम होता है। खुद को परफेक्ट बनाने के प्रेशर में खुद की मेंटल हेल्थ को नजरअंदाज ना करें।