What Are The Disadvantages Of Menstrual Unawareness: हमारे समाज में मेंस्ट्रुअल साइकिल के बारे में अभी भी खुलकर और ज्यादा बात नहीं की जाती है। आज के समय में हम कोई भी जानकारी बहुत कम समय में प्राप्त कर सकते हैं लेकिन दूसरी तरफ एक महिला को पहले पीरियड आने तक इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है क्योंकि माता-पिता इसे जरूरी नहीं समझते हैं। इसलिए जब उनकी बच्ची को पहली बार पीरियड्स आते हैं तो उनकी मानसिक सेहत भी बहुत प्रभावित होती है क्योंकि वो इसे प्रोसेस नहीं कर पाती है। महिलाओं को मेंस्ट्रुअल अवेयरनेस न होना उनकी मानसिक और शारीरिक सेहत दोनों के लिए चिंता का विषय है। आइये जानते हैं मेंस्ट्रुअल अवेयरनेस न होने से क्या नुकसान हो सकते हैं-
जानें Menstrual Unawareness के क्या नुकसान हैं?
पीरियड्स को टैबू माना जाएगा
अगर हमने आज भी मेंस्ट्रुअल अवेयरनेस नहीं देनी शुरू की तो पीरियड्स आज भी एक टैबू टॉपिक होगा जिसके बारे में कोई बात नहीं करेगा। जब इसके बारे में बात ही नहीं होगी तो महिलाओं तक इसकी सही जानकारी नहीं पहुंच पाएगी। महिलाओं के साथ भेदभाव होगा और उन्हें शर्मिंदा महसूस करवाया जाएगा। बहुत सारे लोग अभी भी इसे अपवित्र मानते हैं। जब कोई इसके बारे में बात नहीं करेगा तो पुरषों को इसकी जानकारी नहीं होगी और वो अपनी बहन, बीवी और माँ की तकलीफ कभी नहीं समझ पाएंगी।
मिथकों को मानना
पीरियड्स को लेकर बहुत सारी मिथक हैं जिन्हें सिर्फ इसलिए सही माना जाता है क्योंकि लोगों में इसके बारे में सही जानकारी नहीं है। महिलाओं को रसोई में जानें नहीं दिया जाता, उन्हें सबसे अलग रखा जाता है, बर्तन भी अलग रखे जाते हैं और उन्हें फिजिकल एक्टिविटीज करने से रोका जाता है। ऐसे समय में महिलाओं को किसी चीज को हाथ लगाने नहीं दिया जाता है और उन्हें अपवित्र समझा जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम मेंस्ट्रुएशन के बारे में अवेयरनेस नहीं देते हैं। इस तरह की बातें महिलाओं को बाधित कर देती हैं।
मेंस्ट्रुअल हाइजीन और हेल्थ
मेंस्ट्रुएशन के दिनों में हाइजीन का ध्यान रखना बहुत जरूरी है लेकिन महिलाओं को यह जानकारी होती ही नहीं है कि कैसे उन्हें खुद का ध्यान रखना है। अगर हम पीरियड्स के दिनों में साफ सफाई का ध्यान नहीं रखते हैं तो हमें बहुत सारी बीमारियां हो सकती हैं। आज भी बहुत सारी महिलाएं सेनेटरी नैपकिन की बजाय गंदे कपड़े का इस्तेमाल करती हैं। उनके पास पर्याप्त पानी नहीं होता है कि वह खुद को साफ रख सकें। इसके साथ ही उन्हें पीरियड प्रोडक्ट्स जैसे पैड, Tampon और मेंस्ट्रुअल कप के बारे में भी जानकारी नहीं होती है। बहुत सारी महिलाएं एक ही कपड़े को बार-बार धोकर इस्तेमाल करती हैं जिससे बैक्टीरिया फैलने का खतरा हो सकता है। इसके साथ ही कपड़े को धूप में भी नहीं सुखाया जाता है।
ख़राब मेंटल हेल्थ
पीरियड्स का मेंटल हेल्थ के साथ गहरा संबंध है। ऐसे समय में महिलाओं के हार्मोंस में उतार-चढ़ाव होता है और मूड स्विंग भी होते हैं। इसके साथ ही पीरियड्स को मैनेज करने का भी स्ट्रेस महिलाओं के ऊपर होता है। अगर महिलाओं के कपड़ों पर खून का दाग लग जाता है तो आसपास के लोगों की तरफ से मजाक बनाया जाता है। इसके कारण वे ज्यादा समय तनाव में रहती हैं। पीरियड्स के बारे में वह किसी से बात नहीं करती हैं क्योंकि ऐसा करना अच्छा नहीं माना जाता है। इसके साथ ही पीरियड के दिनों में महिलाओं को बहुत सारी पीड़ा का भी सामना करना पड़ता है जिसे नॉर्मल समझा जाता है। इन सभी कारणों से महिलाओं की मानसिक सेहत पर बुरा असर पड़ता है क्योंकि हम उन्हें खुलकर बात ही नहीं करने देते हैं। इस दौरान उन्हें जो भी महसूस होता है वो किसी को बताती नहीं है और अंदर ही अंदर चिंता में डूबी रहती हैं।