What Is The Perspective Of Working Women For The Upcoming Election 2024?: आजकल महिलाएं हर क्षेत्र में खुद को साबित कर रही हैं कि वह किसी पुरुष से काम नहीं और उन्हें किसी लैंगिक असमानता के दायरे में बांधा नहीं जा सकताI भले ही देरी से लेकिन लोगों में यह बदलाव आ रहा है कि बेटी को पढ़ाना और बेटी को आगे बढ़ाना कितना आवश्यक हैI आंकड़ों के अनुसार 2022 तक केवल 23.97% भारतीय महिलाएं काम करती हैंI जबकि देखा जाए तो हमारे देश में 2019 संसद के चुनाव में महिलाओं का वोट 69.47% था और पुरुषों का 69.40%, लेकिन दुख की बात यह है कि इनमें से आधे से ज्यादा महिलाएं काम पर नहीं जातीI जहां महिलाओं का मतदान पुरुषों से ज्यादा है, जिन महिलाओं में देश के प्रति इतनी जागरुकता है तो सोचिए यदि इन्हें काम के लिए सशक्त बनाया जाए तो हमारा देश किन ऊंचाइयों को छूएगा?
कामकाजी महिलाएं देश में क्या बदलाव ला सकती हैं?
यदि हम अपने देश के महिलाओं को पढ़ने लिखने और काम करने के लिए प्रोत्साहित करें और काम के क्षेत्र को उनके लिए अनुकूल बनाए तब जाकर देश का विकास होगा और यह तभी मुमकिन है जब आने वाले इलेक्शन में कामकाजी महिलाओं की समान रूप से भागीदारी होगीI महिलाएं वर्किंग सेक्टर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और उनकी नजरिया और सुझाव नई सरकार के तहत बनने वाली समाज में नारी सशक्तिकरण की नींव बनेगीI चुनावों में भाग लेकर, कामकाजी महिलाएं उन उम्मीदवारों और नीतियों का समर्थन कर सकती हैं जो दफ्तरों में लैंगिक समानता और औरतों की सुरक्षा को बढ़ावा देते हैंI
क्या है कामकाजी महिलाओं का आने वाले इलेक्शन को लेकर नजरिया?
'शी द पीपल टीवी हिंदी' ने विभिन्न कार्यस्थलों से जुड़ी वर्किंग वुमन से वर्तमान वर्किंग सिस्टम से जुड़ी उनके शिकायतों एवं अपेक्षाओं के बारे में उनकी राय जाननी चाही जिस पर उनके विचार कुछ इस प्रकार है-
एक शिक्षिका ने कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए बेहतर सुरक्षा साधनों एवं किसी भी तरह की लैंगिक असमानता से जुड़ी उनकी शिकायत को सुनने की मांग कीI इसके अतिरिक्त, उन्होंने राजनीतिक कार्यालयों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में दिखावे के प्रति आगाह कियाI
एक डॉक्टर ने इन अभियानों की पहल करने पर जोर दिया जैसे कि- फ्लेक्सिबल कार्य व्यवस्था, अफॉर्डेबल चाइल्ड केयर, पैड फैमिली और मेडिकल लीव और केफायती हेल्थकेयर। उन्होंने महिलाओं की जरूरतों को बेहतर ढंग से संबोधित करने के लिए राजनीति में अधिक महिलाओं के होने के महत्व पर भी प्रकाश डाला।
एक पत्रकार ने कामकाजी महिलाओं के लिए मेंस्ट्रूअल लीव लागू करने की मांग कीI इसके अलावा उन्होंने पाया कि राजनीतिक अभियानों में कामकाजी महिलाओं की चिंताओं को दूर करने के लिए बहुत कम काम किया गया है।
एक कंटेंट लेखिका ने उम्मीदवारों को कामकाजी महिलाओं के साथ जुड़ने, वेतन असमानता को दूर करने, कार्यस्थल में भेदभाव से निपटने और परिवर्तनों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
2024 के चुनावों में, कामकाजी महिलाएं ऐसे उम्मीदवारों की तलाश में हैं जो सक्रिय रूप से उनकी आवाज़ सुनेंगे, उनकी ज़रूरतों को प्राथमिकता देंगे और सभी के लिए अधिक आरामदायक एवं सुविधाजनक वर्किंग एनवायरमेंट का निर्माण करेंगे जहां पर लैंगिक असमानता नहीं बल्कि सभी को समान रूप से अवसर प्राप्त होंगे और महिलाओं की आवश्यकताओं एवं शंकाओं को संबोधित किया जाएगाI