Detox Your Mind: नेगेटिव थॉट्स को लेट गो करना क्यों है इम्पॉर्टेंट?

अपने मन को डिटॉक्स करें और नेगेटिव थॉट्स को जाने दें। जानिए कि नकारात्मक सोच को छोड़ना आपके मानसिक स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन के लिए क्यों ज़रूरी है।

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Sakshi Rai
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Photograph: (herzindagi)

Why It's Important to Let Go of Negative Thoughts: कभी-कभी दिमाग इतना भरा हुआ लगता है जैसे हर तरफ बस उलझन और नकारात्मक सोच ही छाई हो। छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आना, हर चीज़ में नेगेटिव देखना या बार-बार पुराने बुरे अनुभवों को सोचते रहना ये सब हमारे मन को थका देते हैं। ऐसा हर किसी के साथ होता है, और कई बार तो हम खुद भी नहीं समझ पाते कि ये सोच हमें अंदर ही अंदर कितना नुकसान पहुँचा रही है।

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हम अपने शरीर का डिटॉक्स तो कर लेते हैं हरी सब्ज़ियाँ, डिटॉक्स वाटर, एक्सरसाइज़। लेकिन क्या कभी सोचा है कि मन का भी डिटॉक्स ज़रूरी है? मन में भरे पुराने गुस्से, दुख, और नेगेटिव थॉट्स को अगर समय रहते नहीं छोड़ा गया तो वे धीरे-धीरे हमारी खुशी हमारा आत्मविश्वास और यहाँ तक कि हमारे रिश्ते भी बिगाड़ सकते हैं।

नेगेटिव थॉट्स को लेट गो करना क्यों है इम्पॉर्टेंट?

हम सभी के जीवन में ऐसे पल आते हैं जब मन में बहुत सारी नकारात्मक बातें भर जाती हैं। कोई बात बुरी लग गई किसी ने कुछ कह दिया किसी से उम्मीद थी पर पूरी नहीं हुई ये सब बातें धीरे-धीरे हमारे मन में बैठ जाती हैं। शुरू में लगता है कि ठीक है समय के साथ सब ठीक हो जाएगा, लेकिन कई बार ये नेगेटिव थॉट्स मन से जाते ही नहीं।

हर घर में हर इंसान ने कभी न कभी ये महसूस किया होगा। कोई अकेलेपन से जूझ रहा होता है कोई रिश्तों में परेशान होता है कोई अपने करियर को लेकर डरा रहता है। और फिर धीरे-धीरे ये सोच इतनी गहराई से दिल-दिमाग में बैठ जाती है कि इंसान हर बात में नेगेटिव देखने लगता है। उसे लगता है कि उसके साथ ही सब गलत हो रहा है बाकी लोग तो खुश हैं।

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सबसे पहले तो यह समझना जरूरी है कि नेगेटिव थॉट्स आना कोई ग़लत बात नहीं है। ये एक आम इंसानी भावना है। लेकिन जब हम उन्हें पकड़कर बैठे रहते हैं बार-बार सोचते रहते हैं तो वहीं से समस्या शुरू होती है। मन भारी हो जाता है चेहरे पर उदासी आ जाती है नींद नहीं आती काम में मन नहीं लगता और धीरे-धीरे शरीर पर भी असर दिखने लगता है।

हर परिवार में कोई न कोई ऐसा होता है जो कहता है, इतना सोचो मत छोड़ो यार जाने दो। पर उस वक़्त लगता है कि ये समझ ही नहीं पा रहे। लेकिन समय के साथ जब हम खुद ही थक जाते हैं, तब समझ आता है कि वो कहने वाले सही थे।

लेट गो करने का मतलब यह नहीं कि जो हुआ वो सही था बल्कि इसका मतलब है कि आप अब उस बोझ को और नहीं ढोना चाहते। जब हम मन से पुरानी बातों को जाने देते हैं, तब नई चीज़ों के लिए जगह बनती है पॉजिटिव सोच, शांति और सुकून।

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हर इंसान को अपने मन के डिटॉक्स की ज़रूरत होती है। और उसकी शुरुआत यहीं से होती है नेगेटिव थॉट्स को धीरे-धीरे छोड़ने से।

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