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क्यों घर-परिवार हमेशा औरतों को ही सँभालना है?

भारतीय समाज में औरत को हमेशा से घर पर रखा जाता है और मर्द घर से बाहर जा कर कमाते हैं। हालाँकि आजकल औरतें भी मर्दों के साथ पैसा कमाने लगी हैं फिर भी एक हाउस मेकर वाली जॉब आज भी महिला की ही है।

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Mandie Panesar
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Why Women Are Solely Liable For Household Responsibility? (Image Credit: Pinterest)

Why Women Are Solely Liable For Household Responsibility? : भारतीय समाज में औरत को हमेशा से घर पर रखा जाता है और मर्द घर से बाहर जा कर कमाते हैं। हालाँकि आजकल औरतें भी मर्दों के साथ पैसा कमाने लगी हैं फिर भी एक हाउस मेकर वाली जॉब आज भी महिला की ही है। 

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क्यों घर-परिवार हमेशा औरतों को ही सँभालना है?

घर की साफ़-सफाई से रसोई में खाना पकाने तक की ज़िम्मेदारी सिर्फ औरत की मानी जाती है। कई बार कुछ लड़कियों को तो यह भी बोल दिया जाता है कि 'जितना मर्ज़ी कमा लो, साफ़-सफाई और कुकिंग तो करने ही पड़ेंगे।' अगर औरत घर में फिनांशियली हेल्प करती है तो क्यों मर्द भी उसका घर के काम में हाथ नहीं बंटा सकता। क्यों आज भी घर और बच्चों की ज़िम्मेदारी औरत की ही होती है? आइए जानते हैं कि ऐसी हमारे समाज की ऐसी सोच होने का कारण क्या हो सकता है। 

1. मर्द-प्रधान समाज

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हमारी मेल-डोमिनेटिंग सोसाइटी इसका बहुत बड़ा कारण है। मर्द औरत को हमेशा से अपनी सेवा में हाज़िर होते हुए देखना चाहते हैं। औरत दिन-भर अपनी मर्ज़ी से कुछ भी करे, लेकिन जब मर्द को उसकी ज़रूरत हो तो उसे हाज़िर होना ही पड़ेगा। अगर वह अपने किसी काम में बिज़ी भी हैं तो उससे यही एक्सपेक्ट किया जाता है कि वो सब छोड़ कर पति की बात सुने। ऐसा नहीं हो सकता कि औरत ऑफिस से फ्री हो कर कभी रेस्ट करे और पति घर का काम क्योंकि इस तरह वे सुपीरियर फील नहीं कर पाएंगे। 

2. औरत का समझौता

औरत को सदियों से समझौता करना सिखाया जाता है, चाहे वो मायका हो या ससुराल। सबकी बात चुप-चाप मान लेने में उसकी भलाई जताई जाती है। इसी कारण से औरत चुप-चाप जॉब के साथ घर भी संभाल लेती है क्योंकि घर के काम में कोई भी कमी होगी तो ऊँगली उसी पर उठायी जाएगी कि यह क्या करती है सारा दिन। इस तरह यह ज़िम्मेवारी सोलली औरत पर आकर ठहर जाती है। 

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3. उसकी अपनी चॉइस है

कुछ पति और ससुराल वाले बड़े प्राउड के साथ यह जताते हैं कि औरत अपनी मर्ज़ी से जॉब करती है, लेकिन घर का काम तो उसे ही करना है। वे यह नहीं समझते कि पैसा तो घर में ही आता है और औरत भी तो इंसान है और उसकी भी कैपेसिटी है। अगर कुछ छोटी-मोटी ज़िम्मेदारियाँ ही पति या घर के दूसरे लोग उठा लें तो औरत का कितना काम आसान हो सकता है मगर उन्हें बहु को जॉब करने की छूट देने पर ही गर्व सा होता है। 

4. बच्चों को तो माँ ने संभालना है 

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यह एक और सोच है हमारे समाज में औरत के घर संभालने को लेकर कि बच्चे को माँ ही हैंडल कर सकती है और कोई नहीं। जब माँ कुछ घर या किचन का काम करती है तब तो घर का कोई भी मेंबर उसे संभाल सकता है लेकिन जब औरत की अपनी रेस्ट, केयर या जॉब की बात आती है तब बच्चे को कोई नहीं संभाल सकता और माँ के हाथों में थमा दिया जाता है। 

5. मर्दों की जॉब ज़्यादा हेक्टिक होती है

मर्द को हमेशा फिजिकली औरत से ज़्यादा बलवान माना जाता है लेकिन जब घर के कामों की बारी आती है तो औरत के वर्कलोड को मर्द के वर्कलोड के साथ कंपेर करा जाता है और यह जताया जाता है कि मर्द का काम ज़्यादा मुश्किल होता है और वो ज़्यादा थक जाता है। यह बात कोई नहीं समझना चाहता कि अगर काम को थोड़ा-थोड़ा हर किसी में बाँट लिया जाये तो हर किसी के लिए आसानी हो सकती है। 

हम सब के लिए समझने वाली बात यह है कि घर दोनों का है - पति का भी और पत्नी का भी। इसी तरह बच्चे भी दोनों के हैं तो फिर घर के कामों की ज़िम्मेदारी सिर्फ औरत पर ही क्यों। आज ज़रूरत है इस सोच को बदल कर समाज में बदलाव लाने की। 

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