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Women: महिलाएं समाज की नजर में अच्छी नहीं हो सकती, उसे जरुरत भी नहीं

समाज में महिलाएँ जितना मर्ज़ी कर लें, अपने बारे में ना सोचे, दूसरे के हिसाब से अपनी ज़िंदगी के रूल बना लें फिर भी समाज कोई ना गलती निकाल ही लेगा। औरतों को जज करने के लिए हमें बस कोई टॉपिक चाहिए।

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Rajveer Kaur
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Indian Women(Freepik)

(Image Credit: Freepik)

Women Are Never Good Enough For The Society: समाज में महिलाएँ जितना मर्ज़ी कर लें, अपने बारे में ना सोचे, दूसरे के हिसाब से अपनी ज़िंदगी के रूल बना लें फिर भी समाज कोई ना कोई गलती निकाल ही लेगा। औरतों को जज करने के लिए उन्हें बस कोई टॉपिक चाहिए। आज भी यह मर्द प्रधान समाज औरत को अपने कंट्रोल में रखना चाहते हैं। इस बात को समाज बिल्कुल भी हज़म नहीं करता है कि औरत अपनी ज़िंदगी को अपने रूल्स से जिएँ। औरत इन्हें बस जी कहने वाली चाहिए।

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महिलाएं कभी भी समाज के नजर में अच्छी नहीं हो सकती, उन्हें जरुरत भी नहीं 

गुलाबी रंग पहनने वाली लड़कियाँ dumb होती हैं

हमारे समाज में बहुत अजीब और बिना सिर पैर के लॉजिक होते हैं। जिसका कोई मतलब नहीं निकलता है। कैसे कोई इस बात से महिला को जज कर सकता है कि उसने पिंक रंग पहना है तो इसका मतलब वो dumb है। यह बिल्कुल बेबुनियाद बात है। इसके अलावा हमारे समाज में रंग को जेंडर के साथ भी जोड़ा है जिसका भी कोई मतलब नहीं है। मर्द और औरत दोनों पिंक रंग पहन सकते हैं।

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सांवला रंग के साथ अगर आप पढ़ाई में अच्छी मतलब कुछ तो गुण है

महिलाओं में डस्की रंग बिल्कुल अच्छा नहीं माना जाता है। उनका मज़ाक़ बनाया जाता है। अगर सांवले रंग की लड़की पढ़ाई में अच्छी हो तो उसे कह दिया जाता है कि चलो कुछ तो तुम में अच्छा है इसका मतलब है कि डस्की रंग बहुत बुरा है। आज भी डस्की महिलाओं को बहुत कुछ सहन करना पड़ता है। यह हमारी आज के समय में भी छोटी सोच का नतीजा है। समस्या रंग में नहीं होती आपके सोचने के तरीक़े में है।

कामकाजी महिलाएं अच्छी पत्नी, मां या बहू नहीं हो सकती

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हमारे समाज में औरतों को लेकर बहुत सारी धारणाएं हैं जिनमें से एक यह भी है कि जो महिलाएं वर्क या जॉब करती हैं अच्छी मां, बेटी और बहू नहीं हो सकती क्योंकि वह पर्याप्त बच्चों के लिए समय नहीं निकाल पाती। वह सेल्फिश है अपने बारे में सोचती है लेकिन यह सभी चीज गलत है एक महिला अपनी जिम्मेदारियां और रिश्ते निभाने अच्छे से जानती है उन्हें किसी से इसका सर्टिफिकेट नहीं चाहिए।

होम मेकर महिलाएं बेरोजगार हैं और मॉडर्न नहीं होती

समाज को महिला का घर से बाहर जाकर काम करना अच्छा नहीं लगता। इसके अलावा अगर औरत घर पर भी है फिर भी हम उसे जज करते हैं कि उसके पास तो कोई काम नहीं है। वह ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं होगी। होममेकर महिलाएं बिल्कुल मॉडर्न नहीं होती। तुम तो घर पर रहकर अपने बच्चों को संभालती हो, थोड़ा बाहर निकला करो। क्या ऐसे घर पर पड़ी रहती हो। समाज को औरत का किसी भी तरीके से रहना अच्छा नहीं लगता इसलिए कृपया महिलाओं को जज करना छोड़ दे यह उनकी चॉइस है उन्हें होम मेकर रहना है या फिर जॉब करनी है।

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हैल्थ पर ध्यान दिया तो सेल्फिश

आपने घर पर हमेशा देखा होगा कि जब कोई महिला बीमार पड़ती हैं तो उसे बीमारी में भी काम करना पड़ता है लेकिन जब घर में कोई और बीमार हो जाए बच्चे या पुरुष तो महिला उसके पीछे-पीछे उसकी देखभाल के लिए लगी रहती है लेकिन महिलाओं की केयर नहीं कोई नहीं करता। अगर महिला खुद अपनी देखभाल या अपनी  हेल्थ को पहला दे तो इस बात को बिल्कुल भी हजम नहीं किया जाता महिलाओं को उसके लिए  सेल्फिश भी कहा जाता है।

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