Elections 2024: हम सब जानते हैं कि इस साल चुनाव होने जा रहे हैं और इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया की तरफ से लोकसभा चुनाव की तरीकों का ऐलान कर दिया है। यह चुनाव सात चरणों में करवाए जा रहे हैं। जिसके पहले चरण की शुरुआत 19 अप्रैल से होगी और 1 जून को खत्म हो जाएंगे। इसके बाद 4 जून को रिजल्ट आएँगे । इसके साथ ही आदर्श आचार संहिता (MCC- Model Code of Conduct) भी लागू हो चुका है। आइए महिलाओं की इलेक्शन में क्या स्थिति है उसके बारे में जानते हैं-
वोट हमारी सबसे बढ़ी ताकत! इस बार महिलाओं को वोटिंग बढ़-चढ़ कर करनी चाहिए
अब इलेक्शन की इतनी सारी तैयारियों में एक बात हम सबको अपने दिमाग में रखनी है कि वोट हमारी सबसे बड़ी ताकत है। अगर हम एक लोकतांत्रिक देश में रह रहे हैं तो वोट इसका सबसे बड़ा फीचर है। हमें अपने नेता को खुद चुनने का अधिकार है। ऐसे में महिलाओं को इस बार बड़े लेवल पर वोटिंग करनी चाहिए ताकि वह अपने मुद्दों को हाईलाइट कर सकें। इस बार महिला वोटर्स की संख्या पिछले बार से बढ़ी है लेकिन उन्हें इसका इस्तेमाल करने जरुरत है। इसमें उनके पति, भाई और पिता का बहुत योगदान है। उन्हें अपने घर को वोटिंग में प्रोत्साहित करना चाहिए-
Data
महिला वोटर्स की बात की जाए तो भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) के अनुसार 96.8 करोड़ वोटर सात चरणों में वोट करेंगे। इसमें से महिला 47.1 करोड़ हैं। वहीं 2019 में 91.2 करोड़ वोटर्स थें जिसमें महिला वोटर 47.3 थे और उनका मतदान 67.18% था।
महिला उम्मीदवार
वहीं अगर हम महिला उम्मीदवारों की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी की तरफ से अभी दो लिस्टें जारी की गई हैं। पहली लिस्ट की बात की जाए तो इसमें 195 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं जिनमें से महिला उम्मीदवार 28 हैं। दूसरी लिस्ट में कुल 72 उम्मीदवारों के नाम जारी किए गए हैं जिसमें 15 उम्मीदवार महिलाएं हैं। वहीं पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस स्टेट की सभी 42 लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी हैं जिसमें 12 महिलाएं शामिल हैं। इसके साथ ही कांग्रेस की दूसरी लिस्ट 4 महिला उम्मीदवार हैं।
आज के समय में महिलाओं को वोटर्स के साथ-साथ कैंडिडेट्स के रूप में भी उभरने की जरूरत है क्योंकि अभी भी हमारी पार्लियामेंट में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या बहुत कम है। हमें महिलाओं के लिए ऐसा माहौल बनाना पड़ेगा जहां चाहे वो वोटर की तरह या फिर कैंडिडेट की तरह पॉलिटिक्स में आएं। ऐसी रूढ़िवादी सोच जो कहती है कि महिलाओं को पॉलिटिक्स समझ नहीं आती और एक महिला कैसे सरकार चला सकती है या कैसे प्रधानमंत्री या फिर मुख्यमंत्री के रूप में उभर सकती है इस ख़तम करना होगा। इसके मुकाबले ऐसी सोच बिल्ड करनी होगी जिसमें महिलाओं को अगर पॉलिटिक्स में आना है तो उन्हें किसी बात या चीज के बारे में सोचाना न पड़े। उनके लिए सुखद माहौल हो। जब महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी तभी वह अपने मुद्दों को उठा पाएंगी।