Women Participation In 2024 Elections: लोकतांत्रिक देश की सबसे बड़ी ताकत वोट है। इससे मतदाता अपने लिए सूटेबल कैंडिडेट चुन सकते हैं जो उनके हित और भलाई के लिए काम करें। जब बात महिलाओं की आती है तब महिला कैंडिडेट कम नजर आते हैं जिस कारण महिलाओं के मुद्दे ज्यादा हाईलाइट नहीं होते हैं या उन पर किसी की नजर नहीं जाती है। अभी भी राजनीतिक मर्द प्रधान है। यहां पर मर्दों का ही बोलबाला है। अगर कोई महिला कैंडिडेट किसी पद पर नियुक्त भी हो जाए लेकिन सत्ता पीछे पुरुष ही संभालते हैं। ऐसे स्ट्रक्चर में महिलाओं को लीडरशिप में मजबूत होने की जरूरत है। उन्हें अपनी हिस्सेदारी ज्यादा बढ़ाने की आवश्यकता है। आइये जानते हैं कि इस बार के चुनाव में महिलाओं को ज्यादा हिस्सेदारी लेने की जरूरत क्यों है
Election 2024: औरतों की चुनाव में ज्यादा हिस्सेदारी क्यों होनी चाहिए?
महिला की हिस्सेदारी वोटर और कैंडिडेट दोनों के रूप में होनी चाहिए। हर महिला को अपना वोटर कार्ड बनाना अनिवार्य है। उन्हें यह सोचने की जरूरत नहीं है कि हम वोट क्यों देने जाएं या हमारे वोट से क्या फर्क होगा? अगर आप अपने इस अधिकार का इस्तेमाल नहीं करेंगे तो आपकी आवाज नहीं सुनी जाएगी। महिलाओं को लीडरशिप में आने की बहुत जरूरत है। अगर आपके पास काबिलियत और क्वालिफिकेशन दोनों ही है तो आप अपने हल्के में उम्मीदवार के रूप में जरूर हिस्सा लें। आइये जानते हैं इससे क्या होगा?
अहम हिस्सा
महिलाएं किसी भी देश, राज्य, जिला या फिर परिवार इनमें से सभी का ही अहम हिस्सा है। ऐसा कहा जाता है कि एक घर को जोड़ने में औरतों की भूमिका ज्यादा होती है। अगर महिलाएं इलेक्शन में आगे बढ़कर हिस्सा लेंगी तो इससे देश में बदलाव आ सकता है। महिलाएं जननी हैं। जब हम उन्हें सशक्त करेंगे चाहे वह राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य के रूप में हो तब आप पूरे समाज को सशक्त कर सकते हैं।
पितृसत्ता सोच खत्म हो सकती है
सदियों से जो पित्रात्मक सोच है जो यह कहती है कि मर्द औरत से ऊपर हैं। महिलाओं को उनके नीचे रहना चाहिए। उनके आगे बोलना नहीं चाहिए, आज्ञा माननी चाहिए ऐसी सोच को मुंह तोड़ जवाब मिलेगा। जब महिलाएं पॉलिटिकल राजनीति में आगे बढ़ेगी और सत्ता में पैर रखेंगी तो इससे दूसरी महिलाओं को एंपावर करने की कोशिश करेगी। इससे ऐसी सोच रखने वाले लोगों को भी एक नया दृष्टिकोण मिलेगा कि नहीं हम महिलाओं के बारे में गलत सोच रखते हैं। अगर महिलाएं हमारे साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेगी तब देश का विकास बेहतर तरीके से होगा। सभी को एक जैसे मौके मिलेंगे।
महिलाओं को प्लेटफार्म मिलेगा
राजनीति में शामिल होने से या फिर वोटिंग करने से महिलाओं को एक ऐसा प्लेटफार्म मिलेगा जहां पर अपने साथ होने वाले अन्याय को लोगों को बता सकती हैं। अपनी समस्याओं को बेहतर तरीके से पेश कर सकती हैं। जब तक राजनीति में मर्द प्रधानता रहेगी तब तक महिलाओं के मुद्दे दबे रहेंगे क्योंकि मर्द औरतों के मुद्दे को उतने बेहतर तरीके से नहीं समझ सकते हैं। एक महिला उम्मीदवार उन्हें बेहतरीन ढंग से पेश कर सकती हैं। इसे महिलाओं की भागीदारी से उनके साथ होने वाले क्राइम पर भी असर पड़ सकता है, महिलाओं के लिए नए मौके भी पैदा होंगे जब उनकी समस्याओं का समाधान निकलेगा।
आंकड़ों में सुधार आएगा
डाटा के अनुसार अभी महिलाओं की संसद में भागीदारी सिर्फ 14% है जो कम है। अगर महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी तो इससे डिसीजन मेकिंग भी बेहतर होगा। इसका असर अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भी दिखाई देगा। देश की ज्यादा तरक्की होगी। देश की जनसंख्या में महिलाओं की भागीदारी हर हिस्से में मौजूद है।
संसद में मर्द प्रधानता कम होगी
जब महिलाओं की भागीदारी संसद में बढ़ेगी तब संसद में मर्द प्रधानता का कम होगी। ऐसी खबरें बाहर आती हैं जब महिला सांसदों को बोलने का मौका नहीं दिया जाता है या उन्हें बीच में रोक दिया जाता है। जब महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर होगी तो उनकी मौजूदगी भी हाइलाइट होगी। उनके मुद्दों पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। मीडिया का ध्यान भी महिला सांसदों के ऊपर ज्यादा जाएगा।