Women Perspective: करियर और शादी को लेकर महिलाओं का बदलता नज़रिया

आज की पीढ़ी में महिलाएँ शादी और करियर को नए नज़रिये से देख रही हैं। जानिए कैसे बदल रही है उनकी प्राथमिकताएँ और क्यों सेल्फ-डिपेंडेंसी अब पहले से ज़्यादा ज़रूरी बन गई है।

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Deepika Aartthiya
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Photograph: (Freepik & WeddingSutra.com)

महिलाओं के प्रति समाज में लंबे समय तक ये धारणा रही है कि महिलाओं की ज़िंदगी की सबसे बड़ी उपलब्धि उनकी शादी है। उनके करियर को हमेशा से दूसरे नम्बर पर रखा गया है। लेकिन समय के साथ इस सोच में बदलाव साफ तौर पर देखा जा सकता है। आज महिलाए केवल घर तक सीमित नहीं रह गई है। अब वो अपनी शिक्षा और करियर को भी गम्भीरता से लेने लगी है। हालांकि आज भी कई रूरल एरिया  में देखा गया है कि महिलाओ को अपना करियर छोड़कर शादी का विकल्प चुनना पड़ता है। ऐसे में महिलाओ का अपने करियर को लेकर नज़रिया बदलना बहुत ज़रुरी हो जाता है।

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Women's Perspective: करियर और शादी को लेकर महिलाओं का बदलता नज़रिया

इसमें कोई संदेह नहीं है कि शादी भी ज़िन्दगी का एक इंपोरटेंट हिस्सा है। लेकिन सिर्फ शादी ही सब कुछ नहीं है और पुरुषों की तरह महिलाओं का करियर भी उतना ही मायने रखता है। तो आखिर क्यों और कैसे बदल रहा है ये नज़रिया? चलिए जानते है

1. एज्युकेशन के साथ आत्म निर्भरता (Self Dependency)

एज्युकेशन अपने साथ सेल्फ डिपेंडेंसी भी लेकर आती है। आज की महिलाए करियर ओरिएंटेड है। वो किसी भी तरह से दूसरों पर डिपेंडेंट नहीं रहना चाहती है। जहाँ पहले शादी को सुरक्षा और स्थिरता का साधन माना जाता था। वहीं आज महिलाएँ अपनी पढ़ाई और करियर के दम पर अपने आप को आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत बना रही हैं। और ये ना केवल उनमें आत्मविश्वास जगाता है बल्कि शादी के फैसले में भी उन्हें स्वतंत्रता देता है।

2. क्यों है करियर प्राथमिकता?

पहले के समय में महिलाए शादी को ही अपनी पूरी ज़िन्दगी समझती थी और उसी के लिए अपनी पूरी लाइफ क़ुर्बान कर देती है। लेकिन अब महिलाए शादी को ज़िन्दगी के एक हिस्से के तौर पर देखने लगी है। अब महिलाओ का लक्ष्य शादी से पहले करियर बनाने, अपने क्षेत्र में अनुभव हासिल करने और आर्थिक स्थिरता लाने को प्राथमिकता देना बन गया हैं।

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3. समाज और परिवार के दबाव से आज़ादी

जब महिलाए करियर चुनती है तो उनमें इतना आत्मविश्वास आ जाता है कि वो अपनी ज़िन्दगी के अहम फ़ैसलों के लिए भी अपने आप में सक्षम हो जाती है। उस पर शादी के लिए परिवार या समाज का किसी तरह का दबाव नहीं रहता। बल्कि वो अपने समय और अपनी पसंद के अनुसार अपने लाइफ पार्टनर को चुन सकती है।

4. बदलती पारिवारिक सोच

समय के साथ अब महिलाओ की ही नहीं बल्कि परिवार जनों की सोच में भी बदलाव आया है। पहले घरों में शादी की उम्र और घर बसाना महिलाओं की पहचान तय करते थे, लेकिन आज युवा पीढ़ी में यह सोच बदली है। माता-पिता भी बेटियों की पढ़ाई और करियर बनाने पर ज़ोर दे रहे हैं। लोग अब समझने लगे है कि शादी और करियर एक-दूसरे के विरोधी नहीं हैं। 

5. शादी और करियर के बीच बेलेंस

शादी के बाद कई महिलाएँ अपने करियर को जारी रख रही हैं। एक घर में पति- पत्नी दोनों का कमाना और मिलकर जिम्मेदारियाँ निभाना भी आम बात होने लगी है। ये पति-पत्नी दोनों के बीच बराबरी और एक दूसरे के लिए सम्मान का रिश्ता बनाए रखता है। 

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6.  अकेलेपन का डर नहीं

करियर ओरिएंटेड महिलाओं को ये डर नहीं सताता कि शादी ना करने या किसी अनहोनी की स्थिति में महिला कहां जाएगी या किसके सहारे अपनी ज़िन्दगी बिताएगी। अब महिलाएं जानती है कि वो किसी पर से निर्भर नहीं है और खुद का ध्यान खुद रख सकती है। ये उन्हें लोगो के दबाव और अकेले जीवन जीने के डर को खत्म करता है।

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