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Photograph: (AI & Fab Occasions)
हमारे समाज में शादी को अक्सर “दो लोगों का मिलन” कहा जाता है, लेकिन असल में ये दो लोगों से ज़्यादा, दो अलग सोच, दो अलग परवरिशों और दो अलग तरह से जिए परिवारों का मेल होता है। रिश्तों में प्यार ज़रूरी है, लेकिन शादी जैसे रिश्ते की बुनियाद केवल प्यार पर नहीं रखी जा सकती। शादी दो लोगों की साझेदारी है जिसमें दोनों पार्टनर्स को मिलकर कई तरह के चैलेंजेस का भी सामना करना पड़ता है। ऐसे में शादी से पहले कपल्स का एक-दूसरे से खुलकर बात करना बहुत ज़रूरी है। तभी वो दोनों शादी के बाद भी एक-दूसरे को बेहतर समझ पाते हैं। इसीलिए ज़रूरी है कि रिश्ते की शुरुआत मीठी बातों के साथ-साथ ईमानदार और ज़रूरी बातचीत भी हो।
जानिए Before Marriage क्यों ज़रूरी है इन मुद्दों पर Partner से खुलकर बात करना?
1. फाइनेंस: बात सिर्फ़ खर्च की नहीं, सोच की भी है
हर इंसान की सोच पैसे को लेकर अलग हो सकती है। कोई सेविंग्स को अहम मानता है, कोई एक्सपीरियंस पर खर्च को। शादी के बाद सबसे ज़्यादा झगड़े अकसर इसी मुद्दे पर होते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि शादी से पहले ये तय किया जाए कि expenses कैसे बाँटे जाएंगे, सेविंग्स, EMI या इन्वेस्टमेंट को लेकर दोनों की सोच कितनी मिलती है।
2. बच्चों को लेकर सोच
कई बार शादी के बाद बच्चों को लेकर मतभेद पैदा हो जाते हैं। “कब” और “कितने” जैसे सवाल रिश्ते में स्ट्रेस ला सकते हैं। अक्सर शादी होने के कुछ समय बाद ही फ़ैमिली की तरफ़ से बच्चे को लेकर बातें होने लगती है। हो सकता है उस समय आप करियर पर ध्यान देना चाहते हों या रेडी ना हों, ऐसे में आप दोनों सिचुएशन को कैसे हैंडल करेंगे। ये बातचीत पहले ही हो जानी चाहिए कि दोनों पार्टनर्स की फैमिली प्लानिंग को लेकर क्या सोच है।
3. फैमिली का रोल
शादी दो लोगों की है, पर असर दोनों के परिवारों पर भी पड़ता है। शादी से पहले ये स्पष्ट करना ज़रूरी है कि परिवार किस हद तक रोज़मर्रा के फैसलों में शामिल होंगे। इससे आगे चलकर “मेरे घर” बनाम “तुम्हारे घर” वाली बहस से बचा जा सकता है। दोनों मिलकर फ़ैमिलीज़ को कैसे समझाएंगे।
4. घर के काम और ज़िम्मेदारियाँ
अब वो दौर नहीं रहा जब घर के काम सिर्फ़ एक की ज़िम्मेदारी माने जाते थे। लेकिन कई बार बिना बातचीत के ये असमानता रिश्ते में टेंशन पैदा कर देती है। इस पर बात करना कि कौन क्या संभालेगा, घर चलाने में कौन कैसे सहयोग देगा, रिश्ते को हेल्दी और बैलेंस बनाता है। इस तरह से दोनों पार्टनर्स एक दूसरे को समान और सम्मान की नज़रों से देखते हैं।
5. Loyalty और ट्रस्ट पर ऑनेस्ट बातचीत
Fidelity यानी वफ़ादारी, जो कि किसी भी शादी की बुनियाद होती है। ये सिर्फ़ “धोखा ना देना” नहीं बल्कि “ईमानदारी से बातचीत करना” भी है। अपनी expectations को लेकर खुले रहना, गलतफहमियों से बचाता है। पार्टनर्स मिलकर रिश्ते में दोनों के लिए कुछ सीमाएं तय करें।
6. झगड़े और कॉन्फ्लिक्ट्स को हैंडल करना
हर रिश्ते में मतभेद आते हैं, फर्क बस इतना होता है कि उन्हें संभालने का तरीका क्या है। शादी से पहले ये जानना ज़रूरी है कि आपका पार्टनर गुस्सा या disagreement को कैसे हैंडल करता है, बात करके या चुप रहकर? इससे शादी के बाद भी आप एक दूसरे के इमोशंस और conflicts को आसानी से हैंडल कर पाएंगे।
7. लाइफ गोल्स और फ्यूचर प्लान्स
किसी का सपना विदेश में बसना होता है, किसी का अपने शहर में करियर बनाना। अगर दोनों की life direction अलग है, तो रिश्ता बाद में संघर्ष बन सकता है। इसलिए ज़रूरी है कि goals, ambitions और priorities पर बात साफ़-साफ़ हो।
8. इंटिमेसी और कम्फर्ट
फिज़िकल इंटिमेसी शादी का अहम हिस्सा है, लेकिन इसके बारे में खुलेपन से बात करना आज भी taboo माना जाता है। जबकि कम्फर्ट, बाउंडरीज़ और म्यूचुअल रिस्पेक्ट की चर्चा इमोशनल कनेक्शन को और गहरा बनाती है।
ये कहना गलत नहीं होगा कि शादी से पहले की ऑनेस्ट कन्वर्जेशन, शादी के बाद की कई गलतफहमियों से बचाती है। प्यार खूबसूरत है, लेकिन समझ और बातचीत की कमी रिश्ते को एक बोझ और लड़ाई में बदल सकता है। क्योंकि आपसी समझ ही शादी को मज़बूत और मैरिड लाइफ को एक खुशनुमा ज़िंदगी का सफ़र बनाती है।
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