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Holi 2023: 7 मार्च को है होलिका दहन, जानें शुभ मुहूर्त और महत्त्व

Holi 2023: रंगों का त्योहार होली वसंत की शुरुआत और सर्दियों के अंत में आती है। जानिए साल 2023 में होली का पर्व कब मनाया जाएगा क्या रहेगा शुभ मुहूर्त इस फ़ीचर्ड ब्लॉग में-

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Vaishali Garg
28 Dec 2022 | एडिट 06 Mar 2023
Holi 2023: 7 मार्च को है होलिका दहन, जानें शुभ मुहूर्त और महत्त्व

Holi

Holi 2023: हिंदू धर्म में होली के त्यौहार को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। रंगों का त्योहार होली वसंत की शुरुआत और सर्दियों के अंत में आती है। होली के त्योहार की बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। आपको बता दें की हर साल फाल्‍गुन महीने की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन होता है और देश भर में रंग गुलाल से होली खेली जाती है। इस त्योहार के रंग और जीवंतता जीवन के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।

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Holi 2023: जानिए साल 2023 में होली कब है

साल 2023 में होलिका दहन 7 मार्च को मनाया जाएगा और होली पूरे विश्व में व देश में 8 मार्च को खेली जाएगी। आपको बता दें की होलिका दहन को छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है।

Holika Dahan 2023 Muhurat: जानें होलिका दहन 2023 का शुभ मुहूर्त

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फाल्गुन के महीने की पूर्णिमा तिथि 6 मार्च 2023 को 4:17 से प्रांरभ होगी और 7 मार्च 06:09 पर समाप्‍त होगी। इस दौरान होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त 7 मार्च 2023 की शाम 6: 24  से रात 8: 51 तक रहेगा। इसका मतलब यह है कि होलिका दहन के लिए शुभ समय करीब पौने 2 घंटे का ही रहेगा। आपको बता दें होली 8 मार्च को खेली जाएगी

Holika Dahan 2023: जानें होलिका दहन का महत्व

होलिका दहन एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है जो हर साल मनाया जाता है। यह भगवान विष्णु के एक समर्पित अनुयायी प्रह्लाद की कहानी के बारे में है, जिसे उसकी दुष्ट चाची होलिका ने जिंदा जलाने से बचा लिया था। इस होली के त्योहार को अलाव जलाकर मनाया जाता है, और लोग प्रार्थना करने और भक्ति गीत गाने के लिए इसके चारों ओर इकट्ठा होते हैं। अलाव को बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है, यह हमें याद दिलाता है कि अंत में सत्य और धर्म की जीत होती है। इस वर्ष होलिका दहन 7 मार्च 2023 को है।

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Holi 2023: जानिए क्या है होली की पौराणिक कथा

कई पौराणिक कथाओं के मुताबिक, हिरण्याक्ष नाम का एक असुर राजा अहंकार से चूर होकर खुद को भगवान समझने लगा था इसलिए उसने अपने पूरे राज्य में भगवान का नाम लेने, पूजा करने के लिए मना कर दिया था। हिरण्याक्ष का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। 

हिरण्याक्ष को यह देखा नहीं गया और अपने बेटे का वध करने का उसने सोचा। तब उसकी बहन होलिका अपने भतीजे प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठी उस आग में होलिका जल गई लेकिन प्रहलाद बच गया। जबकि होलिका को आग में ना जलने का वरदान मिला था। तब से ईश्वर भक्त प्रहलाद की याद में होलिका दहन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस आग में सब बुराइयां जल जाती हैं। इसलिए इस त्यौहार को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।

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