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Law And Her: भारत में बेटियों की शादियां कराने का तनाव बाप के साथ-साथ उसके सारे रिश्तेदार भी जैसे उसके पैदा होने से ही लेने लगते हैं। जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं उन्हें यह भी ज़रूर याद दिलाया जाता है कि एक दिन उसे किसी और के घर को विदा होना पड़ेगा। उसे घर का काम भी सीखा देते हैं लेकिन अगर कुछ अपने अधिकारों जितना ज़रूरी छूठ रहा हो, तो उसे भी सिखाया जाना चाहिए। आइये इस ब्लॉग में पढ़े 6 ऐसे शादी से जुड़े अधिकारों के बारे में जो भारतीय महिलाओं को ज़रूर जानने चाहिए।
शादी से जुड़ें अधिकार जो सभी भारतीय महिलाओं को जानने चाहिए
(Rights About Marriage That All Indian Women Should Know)
1. स्त्री धन का अधिकार
किसी भी महिला को शादी के वक़्त, गोदभराई या किसी भी ऐसे सेरेमनी के दौरान मिले हुए कैसे भी गिफ्ट, तौफा, जेवर, कपडे, पैसे या संपत्ति का अधिकार सिर्फ उसी महिला को जाता है। स्त्री धन उसे ही कहते हैं जो तौफे महिला को शादी से पहले या शादी के बाद मिलता है बिना ज़ोर ज़बरदस्ती किये।
2. पैरेंटल संपत्ति में उत्तराधिकार का अधिकार
शादी के बाद भी माँ बाप के संपत्ति की वारिस एक विवाहित बेटी बन सकती है। पहले के कानून में महिलाओं का हिस्सा पिता के संपत्ति पर नहीं हुआ करता था पर अब ऐसा नहीं है। कोई बेटी शादीशुदा हो या ना हो, उसका भी संपत्ति पर उतना ही अधिकार जितना बाकी किसी बच्चे का होगा।
3. दहेज़ निषेध एक्ट
कोई भी महिला अपने माता-पिता या लड़के के माता-पिता के खिलाफ दहेज़ लेने के लिए केस दर्ज कर सकती है और इससे वह अरेस्ट भी हो सकते हैं। दहेज़ लेने वाले और देने वाले, दोनों कानून के नज़र में अपराधी होते हैं।
4. एबॉर्शन का अधिकार
एक महिला शादी के बाद भी अपने बच्चे को अपने इच्छा से गिरवा सकती है बिना अपने पति या परिवार को कंसल्ट किये।
5. प्राइवेट डिफेंस के अधिकार
महिला के साथ किसी भी तरीके का ज़बरदस्ती शादी या कोई भी और संबंध बनाने को नहीं किया जा सकता है। महिला अपने पसंद से शादी करने के लिए कानूनी तौर से हक़दार होती है।
6. कमिटेड रिश्ते का अधिकार
एक विवाहित महिला के पति, किसी भी और महिला के साथ दूसरा मानसिक या शारीरिक सम्बन्ध नहीं बना सकते हैं।