Why Do Women Feel Burdened In a Household: बचपन से हम बेटियों को यह बोल के, सुना के बड़ा करते हैं कि एक दिन उन्हें किसी और के घर जाकर उनका घर संभालना होगा। यह बात बड़े होते होते और भी ज़्यादा लोगो से सुनने को मिलने लगता है।
महिलाएं घर में बोझ क्यों महसूस करती हैं?
रिश्तेदार, घर वाले, बड़े बुज़ुर्ग पूछने लगते है कि "बेटा, क्या बनाना आता है? घर के काम कितने आते है, रोटी गोल बन जाती है? बच्चे संभलने पड़ेंगे। " और यह चीज़ें सिर्फ लड़कियों से कही जाती है। इसका क्या असर होता है, आप सोचेंगे और वो यह है कि यह बोल-बोलकर हमने हमारे समाज को ऐसा बना दिया है जहाँ लड़कियों से उनकी पूरी ज़िन्दगी यह करने की अपेक्षा की जाती है। आइये पढ़े कुछ ऐसी बातें जिससे पता चलता है की क्यों महिलाओं को घर के सारे कामो से बोझ महसूस होता है।
1. सदियों की रीत अनुसार
हम औरतो से सारा घर अकेले सँभालने की उम्मीद इसीलिए करते है क्यूंकि बरसो से यही चलता आया है। हमने कहानियो में पढ़ा, सुना की आदमी जुंग लड़ने निकलते थे और औरतें घर और बच्चे का ख्याल रखती थी। लेकिन अब समय बदल गया है, क्यूंकि जहाँ मर्द कमाने निकलते है, वहां आज औरतें भी काम करके घर चलाने में हिस्सा लेती हैं। लेकिन औरतों से बाहर का सारा काम करने के बाद यह भी उम्मीद रखी जाती है कि वो घर आकर, उसकी भी देखभाल करे और अकेले करें।
2. लड़कों को काम ना सीखाना
हम अपने बेटियों को घर के सारे कामो में पारंगत कर देते है, लेकिन बेटो को बाहर कमा के लाने के साथ, यह सीख देना भूल जाते है। अधिकतर आदमी अपनी पत्नी की मदद, घर सँभालने में इसलिए नहीं करते, क्यूंकि वह उसे अपना काम नहीं समझते। घर भले ही उनके नाम का हो, लेकिन काम उनका नहीं होगा क्यूंकि, पत्नी है, वो करेगी।
3. घर का काम बांटने की ज़रूरत नहीं समझना
घर, दोनों पति-पत्नी के साथ में काम करने से चलता है। हमें यह पुरुष और महिलाओ, दोनों को बचपन से यह बात सीखनी चाहिए की कोई काम किसी के लिए स्थाई नहीं किया जाता है। घर का हर काम सबके लिए होता है। गलती किसी एक की नहीं है, लेकिन गलती ना सुधारने का दोष हम सब पर है।