Her Money Her Choice: "घर दोनों का तो खर्च एक पर ही क्यों?" कैसे खर्चों में हाथ बाटें?

अक्सर देखा जाता हैं कि घर का खर्च केवल पति की कमाई पर निर्भर होता हैं। महिलाओं की फाइनेशियल इंडिपेंडेंस को लिमिटेड कर दिया जाता हैं, और पुरुषों पर अतिरिक्त प्रेशर आ जाता हैं। सवाल उठता हैं "घर दोनों का हैं, तो खर्च एक पर ही क्यों?"

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Nainsee Bansal
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Finance Independecy

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Her Money Her Choice: अक्सर देखा जाता हैं कि घर का खर्च केवल पति की कमाई पर निर्भर होता हैं। महिलाओं की फाइनेशियल इंडिपेंडेंस को लिमिटेड कर दिया जाता हैं, और पुरुषों पर अतिरिक्त प्रेशर आ जाता हैं। सवाल उठता हैं "घर दोनों का हैं, तो खर्च एक पर ही क्यों?"
इस सवाल का सबसे बड़ा कारण महिलाओं को घर तक सीमित रखना और पितृसत्ता के चलते ज्यादा आजादी न मिलने के डर से उन्हें घर तक सीमित रहने को कहा जाता हैं। लेकिन यह व्यवस्था आज के समय में उपयोगी बिलकुल नहीं हैं। आज परिवार की जिम्मेदारियां और खर्चे किसी एक के नहीं हैं। साथ हीं ज्यादा दबाव मानसिक तनाव भी बढ़ाती हैं। इसलिए, जानते हैं कि फाइनेंशियल फ्रीडम को दोनों कैसे महसूस करे।

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"घर दोनों का तो खर्च एक पर ही क्यों?" कैसे खर्चों में हाथ बाटें?

फाइनेंशियल फ्रीडम

जब महिला खुद कमाती हैं तो वह अपने खर्चे भी खुद उठाती हैं। महिलाओं को अपनी कमाई और फैसलों पर अधिकार मिलता हैं। जब यह खर्चे बराबरी में बांटे जाते हैं तो आपस में तनाव कम होता हैं, और दोनों में परिवार को लेकर समझ भी बढ़ती हैं। Breaking Gender Stereotypes In Finance की पहल भी यह हो सकता हैं। 

म्यूचुअल रिस्पॉन्सिबिल्टी 

जब पति और पत्नी दोनों कमाते हैं तो खर्च आपस में बांटे जाते हैं। किसी एक पर आर्थिक बोझ नहीं आता हैं। खर्च बांटने से दोनों पर बराबर दबाव और संतुलन रहता हैं। 

सम्मान और बराबरी

जब रिश्तों में बराबरी हैं, तो जिम्मेदारियों में क्यों नहीं? अक्सर जब जिम्मेदारियां बांटी जाती हैं तो आपस में कम्युनिकेशन भी improve होता हैं। साथ ही एक दूसरे के प्रति सम्मान भी बढ़ता हैं। Financial Decisions साथ साथ लेने से Autonomy और Equality दोनों आती हैं। 

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भविष्य की सुरक्षा

जब खर्चे बंट जाते हैं तो फ्यूचर प्लानिंग बहुत बेहतर और आपसी साझेदारी से होती हैं। इन्वेस्टमेंट और सेविंग जैसे मुद्दे भी आसान और साथ साथ हो जाते हैं। और घर के बिना जरूरी खर्चों पर भी नियंत्रण आ जाता हैं।

खर्च बांटने के तरीके

आय के अनुसार योगदान 

अक्सर महिला और पुरुष की आय में अंतर होता हैं या बराबर भी तो, जो जितना कमाता हैं उतना बांटे। अक्सर पति आवश्यकता से अधिक खर्च करें तो ऐसे में आप आगे आकर सहयोग दें। और अपनी क्षमता अनुसार बांटने का प्रयास करें।

म्यूचुअल फंड 

हर महीने दोनों पार्टनर अपनी कमाई का कुछ हिस्सा म्यूचुअल अकाउंट में डाले। इससे फ्यूचर प्लानिंग और अंडरस्टिंग दोनों बनती हैं। म्यूचुअल अकाउंट का होना भविष्य की चिंता भी कम कर देता हैं। साथ ही आपस में फाइनेंशियल कम्युनिकेशन ओपन और अच्छा होता हैं।

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जिम्मेदारी बांटना

रिश्तों में अक्सर जिम्मेदारी बांटना आवश्यक होता हैं। कोई किराया या लोन चुकाएं, तो दूसरा ग्रोसरी या बिल संभाले। ऐसे में financial burden बंट जाता हैं। जिम्मेदारी का बांटना दोनों को तनावमुक्त करता हैं और आपसी प्रेम बढ़ाता हैं। 

ट्रांसपेरेंसी

जब आय और खर्च बांटे जाएंगे तो फाइनेंशियल ट्रांसपेरेंसी भी आती हैं। अपने खर्चों को खुलकर बातचीत करें, उन्हें छुपाने की कोशिश बिल्कुल न करें। जितना भी आपके अलग अलग शौक या प्लानिंग है जहां फाइनेंशियल बर्डन आ सकता हैं अपने पार्टनर को जरूर बताएं।

लचीलापन

ऐसा तय न करें कि "मैं तो इतना ही हिस्सा दूंगा या दूंगी चाहे कुछ भी हो।" इससे आपसी संबंध और financial burden किसी एक पर आ जाता हैं। यह तय करें कि "तुम्हें जब भी जरूरत हो मैं हमेशा रहूंगा/ रहूंगी"। इससे आपस में प्रेम और स्वतंत्रता भी बढ़ती हैं। कभी किसी पर ज्यादा बर्डन हो तो दूसरे पार्टनर को आगे से आकर मदद करनी चाहिए।

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