Does Marriage Need a Rethink? Kiran Rao Decodes : कई परंपरागत मान्यताओं और अपेक्षाओं से बंधे समाज में, कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो परंपरागत ढांचे को तोड़ने का साहस करते हैं और अपनी खुशी की राह खुद बनाते हैं। उन्हीं में से एक हैं प्रसिद्ध भारतीय फिल्म निर्माता, पटकथा लेखक और निर्देशक किरण राव, जिनकी हालिया फिल्म "लापता लेडीज" को काफी सराहना मिली है।
SheThePeople और Gytree की संस्थापक शैली चोपड़ा द्वारा होस्ट किए जाने वाले नए टॉक शो "The Rulebreaker Show" में अतिथि के रूप में, राव अपने व्यक्तिगत अनुभवों और विचारधाराओं पर खुलकर चर्चा करती हैं, जिससे विवाह और तलाक पर उनके अनोखे नजरिए पर रोशनी पड़ती है।
विवाह और तलाक पर किरण राव का नजरिया
विवाह के बाद महिलाओं पर सामाजिक दबाव (Societal Pressures on Women After Marriage)
राव विवाह पर अपने विचारों और शादी के बाद महिलाओं पर डाले जाने वाले सामाजिक दबावों पर खुलकर चर्चा करती हैं। वह अपनी अनोखी यात्रा को दर्शाती हैं, खासकर अभिनेता आमिर खान के साथ अपने विवाह के संदर्भ में, जिनके साथ उनका एक बेटा है और तलाक के बाद भी वे दोनों मिलकर बेटे की परवरिश कर रहे हैं। "मुझे हमेशा से लगता है कि विवाह एक ऐसी संस्था है जिस पर पुनर्विचार की जरूरत है। आमिर खान और मैं शादी करने से पहले एक साल तक साथ रहे, और तब भी हम जानते थे कि यह एक अच्छी संस्था है, लेकिन तभी अच्छी है जब आप इसके अंदर एक दंपत्ति के रूप में रहते हुए भी एक स्वतंत्र व्यक्ति के रूप में कार्य कर सकें।"
क्यों अक्सर महिलाओं को ही विवाह का बोझ उठाना पड़ता है? (Why Do Women Often Carry The Burden Of Marriage Alone?)
राव विवाह से जुड़ी पारंपरिक धारणाओं को चुनौती देती हैं। वह इस बात पर जोर देती हैं कि व्यक्तियों, खासकर महिलाओं को विवाह के बंधन में रहते हुए भी खुद के प्रति सच्चे रहने के तरीके खोजने की जरूरत है। वह घर की जिम्मेदारियों को संभालने से लेकर पारिवारिक रिश्तों को बनाए रखने तक, महिलाओं पर डाली जाने वाली सामाजिक अपेक्षाओं को स्वीकार करती हैं और इन दबावों से निपटने के बारे में खुलकर चर्चा और बहस की मांग करती हैं।
"राव बताती हैं, "विवाह की संस्था के तहत महिलाओं पर बहुत अधिक जिम्मेदारी डाली जाती है। हमसे परिवार को एक साथ रखने, ससुराल वालों के साथ संबंध बनाए रखने और विभिन्न भूमिकाओं और अपेक्षाओं को पूरा करने की उम्मीद की जाती है। यह चर्चा करना महत्वपूर्ण है कि हम खुद के प्रति सच्चे रहते हुए इन दबावों से कैसे निपट सकते हैं।"
क्या किरण राव को तलाक का डर था? (Did Kiran Rao Fear Divorce?)
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें तलाक का डर था, राव ने दृढ़ता से ना में जवाब दिया। उन्होंने खान के साथ अपने रिश्ते की मजबूती और उनके परस्पर सम्मान और प्रेम को रेखांकित किया। वह साझा करती हैं कि उनका तलाक लेने का फैसला आपसी किसी मतभेद या झगड़े की वजह से नहीं, बल्कि व्यक्तिगत विकास और स्वतंत्रता की इच्छा से उपजा था।
"राव साझा करती हैं, "मैंने इस बारे में काफी सोच-विचार किया, इसलिए मुझे कोई चिंता नहीं थी। आमिर खान और मैं गहरे जुड़े हुए थे, और हम दोनों को ही स्पेस और स्वतंत्रता की जरूरत को समझते थे। हमें तलाक का डर नहीं था क्योंकि हम जानते थे कि हम दोस्ती और आपसी सम्मान बनाए रख सकते हैं।"
विवाह संस्था पर पुनर्विचार जरूरी (The Institution of Marriage Needs Rethinking)
अपनी स्पष्ट अंतर्दृष्टि और अडिग सच्चाई के माध्यम से, किरण राव विवाह, तलाक और व्यक्तिगत पूर्णता की प्राप्ति पर एक ताज़ा दृष्टिकोण प्रदान करती हैं। राव इस बात पर जोर देती हैं कि उनका तलाक विशिष्ट नहीं था, न ही उनका विवाह था, जो समकालीन समाज में विवाह संस्था पर पुनर्विचार करने के महत्व को रेखांकित करता है।