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Female Teacher of India source: (Pinterest: ArtStation+ Mera Deen e Islam+ Ashok Gehlot+ shusant)
वैदिक काल के बाद भारत की संस्कृति मे रुढ़िवादी विचारधारा का आगमन हो गया, जिसने महिलाओ को शिक्षा के अधिकार से वंचित करके सिर्फ घरेलू कामकाज तक सीमित कर दिया। लेकिन, क्या रोशनी कभी अंधकार को ठहरने दे सकती है? नहीं, भारत प्रतिभा का धनी देश है और यहाँ जन्मी हर नारी सशक्तिकरण की मिसाल है। तो आइए मिले भारत मे जन्मी महिला शिक्षिका से जिन्होंने समाज को नई सोच और नया नजरिया दिया और समाज की रुढ़िवादी सोच को ललकार दी।
World Teacher's Day: भारतीय महिला शिक्षिका जिन्होंने दी संसार को नई सोच
सावित्रीबाई फुले (1831-1897)
यह आधुनिक भारत की पहली महिला शिक्षिका थी जिन्होंने एक क्रांतिकारी सोच के साथ समाज को नारी शक्ति और बुद्धिमत्ता का नया रूप दिखाया। सावित्रीबाई ने 1848 मे पुणे मे पहला बालिका विधीयले शुरू करने का साहस दिखाया और फातिमा शेख के साथ मिलकर बालिकाओं को शिक्षित करने बेड़ा उठाया। सावित्रीबाई समाजसुधारक रहते हुए समाज के तानों को सहकर आगे बढ़ती रही। उन्होंने विधवा पुनर्विवाह, अस्पृश्यता, और बाल विवाह के खिलाफ जंग छेड़ी।
फातिमा शेख
यह भारत की प्रथम महिला मुस्लिम शिक्षिका बनी और सावित्रीबाई फुले की सहयोगी भी रही थी। यह भी सावित्रीबाई फुले की तरह साहसी और संवेदनशील समाज सुधारक थी, जिन्होंने शिक्षा को ही सामाजिक उत्थान का माध्यम समझा। जब समाज मे महिलाओं की शिक्षा को लेकर काफी विरोध चल रहा था उन कठिनाइयों के बीच इन्होंने दलित, मुस्लिम और वंचित वर्ग की लड़कियों को पढ़ाया और स्बाबलम्बी बनाया। जब सावित्रीबाई ठीक अवस्था मे न थी तब फातिमा जी ने स्कूल का प्रबंधन संभाला और प्रधानाचार्य बनीं।
डॉ. वीना मजूमदार
28 मार्च 1927 को कोलकाता मे जन्मी वीना जी बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, कलकत्ता विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड से शिक्षित भारत की नारीवादी आंदोलन की एक अग्रणी शिक्षाविद्, शोधकर्ता और विचारक बनी। भारत मे महिला अध्ययन (Women’s Studies) को स्वतंत्र और शैक्षणिक क्षेत्र सथापित करने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और महिला विकास अध्ययन केंद्र की संस्थापक और निदेशक बनी। उन्होंने समानता और न्याय पर बाल देते हुए लोकतंत्र मे इसकी भूमिका मे विशेष जोर डाला।
महादेवी वर्मा (1907-1987)
आधुनिक मीरा के नाम से प्रचलित हिंदी साहित्य की महान विभूति जो न केवल छायावाद की प्रमुख लेखिका थी बल्कि शिक्षिका, समाज सुधारक और नारी चेतन की संवाहिका भी थी।
उनके काव्य मे विरह, करुणा, रहस्यवाद और सौदर्यबोध की गहरी छाया है। उन्होंने नारी की व्यथा और चेतना पर अपने साहित्य मे प्रकाश डाला है। महादेवी वर्मा ने नारी स्वतंत्रता, शिक्षा और आत्मसम्मान की वकालत की। उनके काव्य नीहर, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत और यामा विशेष काव्य की श्रेढ़ी मे आते है।
अनुताई वाघ (1910-1992)
अनुताई वाघ एक महान शिक्षिका, समाजसेविका और आदिवासी कल्याण की अग्रदूत थी। उन्होंने शिक्षा के माध्यम से जागरण और आत्मसम्मान का औजार बनाया-विशेषतः उन समुदायों के लिए जिन्हे लंबे समय तक हाशिए पर रखा गया। उन्होंने आदिवासी बाल शिक्षा का कार्य शुरू किया। उन्हे पद्मश्री, बाल कल्याण राष्ट्रीय पुरस्कार और उपाधियों से सम्मानित किया गया।