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आज के समय में रिश्तों को लेकर Gen Z का नजरिया पहले की पीढ़ियों से काफी अलग दिखता है। शादी, करियर, रिश्ते या किसी भी लॉन्ग-टर्म कमिटमेंट को लेकर उनका एप्रोच ज्यादा प्रैक्टिकल और रियलिस्टिक लगता है। लेकिन सवाल उठता है क्या Gen Z वाकई लॉन्ग-टर्म कमिटमेंट से डरती है या फिर वे सिर्फ नए नजरिए से रिश्तों को देखती है?
क्या Gen Z को लगता है लॉन्ग-टर्म कमिटमेंट से डर ?
Gen Z का कमिटमेंट को लेकर बदलता नजरिया
- करियर और सेल्फ-ग्रोथ पहले – Gen Z का फोकस पहले खुद को पहचानने, अपने करियर को मजबूत करने और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने पर है। वे पहले खुद को स्टेबल करना चाहते हैं फिर किसी लॉन्ग-टर्म रिलेशनशिप में बंधना पसंद करते हैं।
- ऑनलाइन डेटिंग और अनगिनत विकल्प – टिंडर, बंबल और इंस्टाग्राम जैसी सोशल मीडिया ऐप्स ने नए लोगों से जुड़ना आसान बना दिया है। बहुत सारे विकल्प होने से कई बार लोग किसी एक रिश्ते में पूरी तरह से कमिट होने से बचते हैं।
- डिवोर्स और ब्रेकअप्स का बढ़ता आंकड़ा – Gen Z ने अपने आसपास के लोगों में रिश्तों में संघर्ष और तलाक के बढ़ते मामलों को देखा हो तो इससे उनके मन में लॉन्ग-टर्म कमिटमेंट को लेकर एक डर बैठ सकता है।
क्या यह कमिटमेंट फोबिया है या नई सोच?
- फ्रीडम और इंडिपेंडेंस की प्राथमिकता – Gen Z को अपनी आज़ादी बहुत प्यारी है। वे रिश्तों को बोझ समझने के बजाय एक हेल्दी पार्टनरशिप की तरह देखते हैं जहां दोनों लोग बराबरी से ग्रो करें।
- इमोशनल हेल्थ को महत्व – पुरानी पीढ़ियों की तरह सिर्फ समाज की खुशी के लिए कोई रिश्ता निभाने की बजाय, Gen Z मेंटल हेल्थ और इमोशनल कंपैटिबिलिटी को ज्यादा तवज्जो देती है।
- कैजुअल डेटिंग का ट्रेंड – लॉन्ग-टर्म कमिटमेंट के बजाय, शॉर्ट-टर्म और कैजुअल डेटिंग का ट्रेंड बढ़ा है। कई युवा पहले पार्टनर को अच्छे से समझना चाहते हैं फिर कोई बड़ा कदम उठाने के बारे में सोचते हैं।
Gen Z वाकई कमिटमेंट से डरती है या सिर्फ सतर्क है?
Gen Z कमिटमेंट से डरती नहीं बल्कि ज्यादा सोच-समझकर फैसला लेना पसंद करती है। वे अपने करियर, इमोशनल हेल्थ और पर्सनल ग्रोथ को प्राथमिकता देते हैं और फिर सही समय आने पर कमिटमेंट करने के लिए तैयार होते हैं। उनके लिए रिश्ते सिर्फ निभाने की चीज़ नहीं बल्कि एक संतुलित और हेल्दी पार्टनरशिप होनी चाहिए।