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माता-पिता को लड़कियों की शादी को बोझ मानकर क्यों नहीं चलना चाहिए?

लड़कियो की शादी को बोझ मानना हमारे समाज में एक पुरानी सोच है। समाज के विकास और बदलते समय के साथ यह आवश्यक हो गया है कि हम अपनी सोच को भी आधुनिकता के अनुसार बदलें

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Srishti Jha
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Image Credit: Freepik

Why should parents not consider girls' marriage as a burden? लड़कियों की शादी को बोझ मानना भारतीय समाज में एक पुरानी सोच है, जो अब बदलनी चाहिए। समाज के विकास और बदलते समय के साथ यह आवश्यक हो गया है कि हम अपनी सोच को भी आधुनिकता के अनुसार बदलें। यहाँ कुछ मुख्य कारण दिए गए हैं कि माता-पिता को लड़कियों की शादी को बोझ क्यों नहीं मानना चाहिए। 

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माता- पिता को लड़कियों की शादी को बोझ मानकर क्यों नहीं चलना चाहिए?

1. लड़की की शिक्षा और आत्मनिर्भरता

आज के समय में लड़कियों को शिक्षा के समान अवसर मिल रहे हैं और वे विभिन्न क्षेत्रों में अपना करियर बना रही हैं। शिक्षा और आत्मनिर्भरता उन्हें अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय खुद लेने की क्षमता प्रदान करती हैं। लड़कियों की शादी को बोझ मानना उनके आत्मविश्वास और स्वाभिमान को कम करता है, जो कि गलत है। माता-पिता को यह समझना चाहिए कि उनकी बेटी अपने पैरों पर खड़ी हो सकती है और अपने जीवन की दिशा को खुद निर्धारित कर सकती है।

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2. विवाह एक साझेदारी है, बोझ नहीं

विवाह में दो व्यक्ति एक-दूसरे का सहयोग करते हैं और जीवन के सुख-दुःख में साथ रहते हैं। यह एक साझेदारी है, न कि बोझ। विवाह को बोझ मानना इस साझेदारी की भावना को नष्ट करता है। माता-पिता को चाहिए कि वे अपनी बेटियों को विवाह के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करें और उन्हें यह विश्वास दिलाएं कि विवाह एक नया अध्याय है, जिसमें वे अपने जीवनसाथी के साथ मिलकर सुखद और सफल जीवन जी सकती हैं।

3. मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य

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बेटियों की शादी को बोझ मानने से उनके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसी सोच से लड़कियों में हीनभावना उत्पन्न हो सकती है और वे अपने आत्मसम्मान को खो सकती हैं। माता-पिता का यह कर्तव्य है कि वे अपनी बेटियों को मानसिक रूप से मजबूत बनाएं और उन्हें यह विश्वास दिलाएं कि वे किसी भी परिस्थिति का सामना करने में सक्षम हैं।

4. समाज में सकारात्मक बदलाव

समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए माता-पिता की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। यदि वे लड़कियों की शादी को बोझ मानने की पुरानी सोच को त्याग दें और उन्हें स्वतंत्र, आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने में सहयोग करें, तो समाज में एक सकारात्मक बदलाव आ सकता है। यह सोच लड़कियों को अपने जीवन में बेहतर निर्णय लेने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करेगी।

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5. आर्थिक दृष्टिकोण

लड़कियों की शादी को बोझ मानना आर्थिक दृष्टिकोण से भी गलत है। यह सोच उन्हें आर्थिक रूप से निर्भर बना सकती है। आज के समय में लड़कियां आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो रही हैं और अपने करियर में सफलता प्राप्त कर रही हैं। माता-पिता को चाहिए कि वे अपनी बेटियों को आर्थिक स्वतंत्रता के महत्व को समझाएं और उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए प्रोत्साहित करें।

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