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Photograph: (legalserviceindia)
Important Laws for Women's Safety in India: भारत में महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कानून बनाए गए हैं। समय के साथ महिलाओं के खिलाफ अपराधों में बढ़ोतरी को देखते हुए सरकार ने सख्त कानूनी प्रावधान लागू किए हैं, ताकि उन्हें न्याय और सुरक्षा मिल सके। दहेज प्रथा, घरेलू हिंसा, यौन शोषण, कार्यस्थल पर उत्पीड़न और दुष्कर्म जैसे अपराधों से बचाने के लिए विशेष कानून मौजूद हैं। इन कानूनी अधिकारों की जानकारी हर महिला के लिए जरूरी है, ताकि वह अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहे और जरूरत पड़ने पर उचित कानूनी सहायता ले सके।
महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने और उनकी सुरक्षा के लिए भारत में कौन-कौन से कानून हैं?
हर परिवार में महिलाओं के साथ कभी न कभी किसी न किसी रूप में भेदभाव या हिंसा की स्थिति उत्पन्न होती है। पहले लोग इसे परिवार का मामला समझकर चुप रह जाते थे, लेकिन जैसे-जैसे कानून मजबूत हुए, महिलाओं को न्याय मिलने की उम्मीद भी बढ़ी। आज के समय में, महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई कड़े कानून बनाए गए हैं, जो न सिर्फ अपराधियों को सजा दिलाते हैं, बल्कि महिलाओं को उनके अधिकारों के लिए जागरूक भी करते हैं।
लेकिन असली बदलाव तब आता है जब महिलाएं खुद अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हों और किसी भी अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं। हर परिवार को यह समझने की जरूरत है कि जब महिलाओं को सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन मिलेगा, तभी समाज भी आगे बढ़ेगा।
1. दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961
इस कानून के तहत दहेज लेना-देना अपराध है। अगर कोई महिला दहेज के कारण प्रताड़ित की जाती है, तो दोषियों को 5 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
2. घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 2005
यह कानून शारीरिक, मानसिक, यौन, आर्थिक या किसी भी अन्य प्रकार की हिंसा के खिलाफ महिलाओं को सुरक्षा देता है। घरेलू हिंसा की शिकार महिला कोर्ट में जाकर सुरक्षा, मुआवजा और कानूनी मदद ले सकती है।
3. कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (POSH) अधिनियम, 2013
यह कानून महिलाओं को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए बनाया गया है। इसमें हर कंपनी या संस्थान में एक शिकायत समिति बनाना अनिवार्य है, ताकि पीड़िता को तुरंत न्याय मिल सके।
4. बलात्कार विरोधी कानून (IPC की धारा 376)
भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत बलात्कार के दोषियों को 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा दी जा सकती है। निर्भया कांड के बाद इस कानून को और सख्त किया गया है।
5. बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006
यह कानून 18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 साल से कम उम्र के लड़के की शादी को गैरकानूनी ठहराता है। अगर कोई जबरदस्ती बाल विवाह कराता है, तो उसे सजा हो सकती है।
6. इंडियन पीनल कोड की धारा 498A
इस कानून के तहत अगर शादीशुदा महिला को पति या ससुराल वालों द्वारा दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता है, तो उन्हें सजा दी जा सकती है।
7. शादी के झूठे वादे पर शारीरिक संबंध (IPC धारा 375 और 90)
अगर कोई पुरुष शादी का झूठा वादा करके किसी महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाता है और बाद में शादी से मुकर जाता है, तो यह अपराध माना जाता है और दोषी को सजा हो सकती है।
8. साइबर क्राइम कानून (IT एक्ट, 2000 की धारा 66E, 67, 67A)
ऑनलाइन उत्पीड़न, अश्लील सामग्री फैलाने, मॉर्फिंग या सोशल मीडिया पर गलत तस्वीरें पोस्ट करने के मामलों में यह कानून महिलाओं की सुरक्षा करता है।