How Not To Lose Your Patience : हमारी ज़िंदगी में हम सब कभी न कभी धैर्य या सब्र खो बैठते हैं। इसे अधीर होना भी कहा जाता है। जब कोई चीज़ हमारे प्लान के हिसाब से ना हो या कोई काम होने में देरी हो रही हो तब हमें जो बेचैनी होती है और हम रियेक्ट करते हैं तो उसे इंपेशिएंस कहा जाता है। कभी क-बार चेंज और एक्साइटमेंट भी हमें अधीर कर देती है। आज हम बात करेंगे कि हम कैसे पेशेंस खोने से ख़ुद को रोक सकते है।
सब्र के इम्तिहान में कैसे हों पास
करें हर रोज़ अभ्यास
हर रोज़ पेशेंस की प्रैक्टिस करने से आप अपने अंदर कुछ अंतर तो देखेंगे। आप घर या बाहर की किसी भी अकेली जगह पर ख़ुद के साथ कुछ समय बिताएँ, वक्त चाहे कोई भी हो, सुबह, शाम, दोपहर। बैठें और आंखें बंद कर लें। लंबी-लंबी सांसें लें और सोचें कि मुझे हर दिन धैर्य रखना है। इसे रोज़ प्रैक्टिस करने से आपके मन में सब्र आना शुरू हो जाएगा।
मेडिटेशन करें
अंतर्मन हो कर अपने परमात्मा को याद करें, अपनी नेगेटिविटी को साँसों के साथ बाहर और पॉज़िटिविटी को अंदर इन्हेल करें। अपनी फेवरेट चीज़ों के बारे में सोचें - फेवरेट पर्सन, डेस्टिनेशन, ख़ाना, रंगों के बारे में सोचें और शरीर को रिलैक्स करें। आपका मन ख़ुशी से मंत्रमुग्ध हो सकेगा।
मन को क़ाबू करना सीखें
हमारा एक पल का खोया धैर्य हमें गिल्ट में डाल सकता है। हम इंपेशिएंस में कुछ ऐसा कर जाते हैं कि उसका इंपैक्ट हमें उस वक़्त रियलाईज नहीं होता। ऐसी चीज़ों से बचने के लिए हमें अपने मन को क़ाबू करना सीखना पड़ेगा। जैसे ही ग़ुस्सा आने लगे, हल्की-हल्की गहरी साँसें लें और 10 तक गिनें। अपने मन और बॉडी को रिलैक्स करें। जब आप इसको हर बार प्रैक्टिस करेंगे तो आप मन पर कंट्रोल पाना सीख जाएँगे।
असल वजह ढूँढें
अक्सर हमें ग़ुस्सा किसी और चीज़ का होता है लेकिन उसका असर हमारी घर, वर्क या रोज़ की दिनचर्या पर दिखाई देने लगता है। इससे बचने के लिए कोशिश करें कि आप इंपेशिएंस की असल वजह को पहचानें। जब आप यह पता कर लेंगे की आप किस बात से ज़्यादा अधीर होते हैं तो आप उस वजह को ख़त्म भी कर पायेंगे।
ख़ुद को करें डिस्ट्रैक्ट
जब आप अपनी इंपेशिएंस की असल वजह को ढूंढ लेंगे और आप उसे बदल या ख़त्म नहीं कर सकते तो परेशान होने की ज़रूरत नहीं। आप ख़ुद को उस चीज़ से डिस्ट्रैक्ट करने की कोशिश करें या फिर ख़ुद को इतना स्ट्रॉन्ग कर लें कि एक दिन वो चीज़ आप को प्रभावित कर ही ना पाए।
हम जिस दिन अपने मन को क़ाबू कर धैर्य का पूर्ण अभ्यास कर पायेंगे, तब हम अपने मन की असल ख़ुशी भी ढूँढ लेंगे।