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इन प्रैक्टिकल टिप्स से मैनेज करें Intrusive Thoughts

इंट्रूसिव थॉट्स अनवांटेड और इंवॉलंटरी थॉट्स होते हैं जो अक्सर डिस्टर्बिंग और डिस्ट्रेसिंग होते हैं। ये अचानक से आपके मन में आ जाते हैं और अक्सर बार-बार आते हैं जिससे यह बेहद शक्तिशाली लगते हैं। कई बार ये वायलेंट और खतरनाक भी हो सकते हैं।

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Shruti
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Practical Tips To Manage Intrusive Thoughts : इंट्रूसिव थॉट्स अनवांटेड और इंवॉलंटरी थॉट्स होते हैं जो कि अक्सर डिस्टर्बिंग और डिस्ट्रेसिंग होते हैं। ये अचानक से आपके मन में आ जाते हैं और अक्सर बार-बार आते हैं जिससे यह बेहद शक्तिशाली लगते हैं। यह थॉट्स आउट ऑफ़ कैरेक्टर होते हैं और कई बार एक आदमी के वैल्यूज और बिलीफ के भी अगेंस्ट होते हैं। कई बार ये वायलेंट और खतरनाक भी हो सकते हैं। जानिए कैसे इन इंट्रूसिव थॉट्स से कोप अप किया जाए 

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इन प्रैक्टिकल टिप्स से मैनेज करें इंट्रूसिव थॉट्स

1. अपने रूटीन को रेगुलर रखें

यह सुनने में तो एक जनरल लाइफ एडवाइस जैसा लगता है परंतु यह एक बहुत बड़ा डिफरेंस बना‌ सकता है। इंट्रूसिव थॉट्स को रोकने के लिए एक रूटीन बनाने से आपके दिन में एक स्ट्रक्चर और प्रेडिक्टिबिलिटी बनती है। जिससे स्ट्रेस कम होता है और इंट्रूसिव थॉट्स के आम ट्रिगर्स भी कम हो जाते हैं। एक रूटीन के तौर पर आप मॉर्निंग में मेडिटेशन, रेगुलर मील टाइम्स, एक्सरसाइज और कंसिस्टेंट स्लीप शेड्यूल जोड़ सकते हैं। जिससे आपका मन शांत रहेगा एवं आप पूरे दिन किसी न किसी काम में व्यस्त रहेंगे।

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2. एक बैलेंस डाइट अपनाएं

एक बैलेंस डाइट आपकी ओवर ऑल ब्रेन के हेल्थ को बूस्ट कर देती है। खाना जो कि ओमेगा 3 फैटी एसिड्स जैसे की फिश, नट्स, सीड्स और जो एंटीऑक्सीडेंट में हाई हो जैसे कि फ्रूट्स और वेजिटेबल्स, ब्रेन फंक्शन और मूड रेगुलेशन में मदद करता है। अपने कैफीन और अल्कोहल के कंजप्शन को भी कम करें। क्योंकि कैफीन और अल्कोहल स्ट्रेस के लेवल्स बढ़ाते हैं जो कि इंट्रूसिव थॉट्स को ट्रिगर कर सकता है।

3. माइंडफुलनेस मेडिटेशन करें

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आपने ये नोटिस ज़रूर किया होगा कि किसी भी चीज से सामना करना आसान होता है जब आप वहां पूरे तरीके से प्रेजेंट होते हैं। इसी का अर्थ है माइंडफुलनेस। माइंडफुलनेस मेडिटेशन आपकी सांस, आपके बॉडी के सेंसेशंस और आपके आसपास की आवाजों पर ध्यान करने को कहते हैं। इसका अर्थ है कि आपको उस प्रेजेंट मोमेंट की अवेयरनेस है। यह अवेयरनेस आपको आपके थॉट्स को ऑब्जर्व करने में बहुत मदद करती है। हमेशा याद रखिए कि थॉट्स सिर्फ थॉट्स होते हैं। ये आपको डिफाइन नहीं करते।

4. कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी

कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (सीबीटी) आपकी मदद करता है यह समझने में कि आपके थॉट्स, फिलिंग्स और बिहेवियर में क्या रिश्ता है। ये एक वेल इस्टैबलिश्ड फॉर्म है थेरेपी का जो कि आपकी मदद करता है। आपकी नेगेटिव थॉट पैटर्न्स को जानने में और यह भी समझने में कि क्या चीज आपके इंट्रूसिव थॉट्स को ट्रिगर करती है। सीबीटी के थैरेपिस्ट की गाइडेंस से आप अपने इंट्रूसिव थॉट्स की फ्रीक्वेंसी को कम कर सकते हैं और उनसे एक नए तरीके से रिलेट कर सकते हैं।

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5. अपने पालतू जानवरों के साथ समय बताएं

एनिमल्स के पास बहुत अमेजिंग तरीका होता है हमें प्रेजेंट मोमेंट में दोबारा लाने का। उनके प्लेफुल और लविंग नेचर के आसपास होने से इंसान को इंट्रूसिव थाट से डिस्ट्रैक्शन मिलता है।  किसी भी पालतू जानवर के साथ समय बिताने से मन को शांति मिलती है और हैप्पी हारमोंस बूस्ट होते हैं।

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