प्रीमेच्योर मेनोपॉज के कारण और महिलाओं की Sexual Health पर इसका प्रभाव

पिछले कुछ समय में महिलाओं में प्रीमेच्योर मेनोपॉज के ज्यादातर केसेज देखने को मिले हैं जो कि महिलाओं में मासिक धर्म के समय से पहले बंद होने का संकेत है यह महिलाओं की सेक्सुअल हेल्थ को भी प्रभावित करता है। आइये जानते हैं कैसे-

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Priya Singh
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Causes Of Premature Menopause And Its Effect On Women's Sexual Health: प्रीमेच्योर मेनोपॉज एक ऐसी स्थिति है जिसमें महिलाओं में 40 वर्ष की आयु से पहले ही पीरियड बंद हो जाता है। यह स्थिति न केवल प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है, बल्कि महिलाओं की संपूर्ण स्वास्थ्य स्थिति, विशेष रूप से उनकी सेक्सुअलिटी और मानसिक संतुलन पर भी गहरा प्रभाव डालती है। यह समस्या प्राकृतिक कारणों से हो सकती है या फिर किसी अन्य मेडिकल कण्डीशन के कारण भी उत्पन्न हो सकती है। आइये इस आर्टिकल में हम प्रीमेच्योर मेनोपॉज के कारणों और इससे महिलाओं की सेक्सुअल हेल्थ पर पड़ने वाले प्रभावों को जानते हैं।

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प्रीमेच्योर मेनोपॉज के कारण और महिलाओं की Sexual Health पर इसका प्रभाव

प्रीमेच्योर मेनोपॉज के प्रमुख कारण

प्रीमेच्योर मेनोपॉज कई कारणों से हो सकता है, जिनमें जेनेटिक, हार्मोनल और बाहरी कारक शामिल होते हैं। जेनेटिक रूप से, यदि परिवार में किसी महिला को जल्दी मेनोपॉज हुआ है, तो अगली पीढ़ी में भी इसके होने की संभावना अधिक होती है। ऑटोइम्यून बीमारियां, जैसे थायरॉयड और डायबिटीज, ओवरी के सामान्य कार्य में बाधा डाल सकती हैं, जिससे मेनोपॉज जल्दी हो सकता है। कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी जैसी कैंसर उपचार विधियाँ भी अंडाशय को नुकसान पहुंचाकर समय से पहले मेनोपॉज का कारण बन सकती हैं। इसके अलावा, धूम्रपान, खराब खाने की आदतें और अत्यधिक मानसिक तनाव भी इस समस्या को बढ़ा सकते हैं।

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प्रीमेच्योर मेनोपॉज और हार्मोनल असंतुलन

पीरियड रुकने के पीछे सबसे बड़ा कारण एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का असंतुलन होता है। जब ओवरी समय से पहले काम करना बंद कर देते हैं, तो शरीर में हार्मोन का स्तर अचानक गिर जाता है। इससे महिलाओं में मूड स्विंग्स, डिप्रेसन, नींद की कमी और थकान जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसके अलावा, हार्मोनल बदलावों के कारण वजाइनल ड्राईनेस, लिबिडो में कमी और सेक्स में असुविधा जैसी समस्याएं भी देखने को मिलती हैं।

प्रीमेच्योर मेनोपॉज का महिलाओं की सेक्सुअल हेल्थ पर प्रभाव

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एस्ट्रोजन की कमी से वजाइनल टिसूज में लचीलापन कम हो जाता है, जिससे सेक्स के दौरान दर्द महसूस होता है। इसके अलावा, महिलाओं में आत्मविश्वास की कमी और लिबिडो में गिरावट आ सकती है। इस स्थिति से गुजर रही महिलाओं को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और भावनात्मक परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। पार्टनर के साथ रिश्तों में दूरियां बढ़ सकती हैं, जिससे वैवाहिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

समाधान और लाइफस्टाइल में बदलाव

इस समस्या से निपटने के लिए हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) एक विकल्प हो सकता है, लेकिन यह हर महिला के लिए उपयुक्त नहीं होती। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और मेडिटेशन जैसे लाइफस्टाइल में बदलाव इस समस्या से राहत दिलाने में सहायक हो सकते हैं। वजाइना में नमी बनाए रखने के लिए ल्यूब्रिकेंट्स का उपयोग किया जा सकता है और डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट्स लिए जा सकते हैं। साथ ही, मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए काउंसलिंग और थेरेपी लेना भी फायदेमंद हो सकता है।

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