मेनोपॉज़ पर पोषण की कमी का प्रभाव: भारतीय महिलाओं के लिए एक समझ

मेनोपॉज़ का सफर आसान नहीं होता, खासकर भारतीय महिलाओं के लिए। उन्हें कई पोषण संबंधी कमियों के कारण और भी ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? चलिए Chahat Vasdev से इसके पीछे की वजहों को समझते हैं-

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Rajveer Kaur
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Photograph: (Freepik)

Why Every Woman Needs to be Prepared For Menopause: मेनोपॉज़ का सफर आसान नहीं होता, खासकर भारतीय महिलाओं के लिए। उन्हें कई पोषण संबंधी कमियों के कारण और भी ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? चलिए Chahat Vasdev से इसके पीछे की वजहों को समझते हैं-

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मेनोपॉज़ के दौरान, जब महिला की प्रजनन क्षमता समाप्त हो जाती है, तब शरीर में हार्मोनल बदलाव कई तरह के लक्षण पैदा करते हैं जैसे कि हॉट फ्लैशेज़, मूड में बदलाव, नींद की समस्या और वजन बढ़ना। भारतीय महिलाओं में पोषक तत्वों की कमी आम बात है, जो इन लक्षणों को और भी बढ़ा देती है, जिससे यह प्राकृतिक बदलाव और भी मुश्किल बन जाता है।

मेनोपॉज़ पर पोषण की कमी का प्रभाव: भारतीय महिलाओं के लिए एक समझ

कैल्शियम और विटामिन D की कमी: भारत में पर्याप्त धूप न मिलने के कारण विटामिन D की कमी आम है। जब यह कैल्शियम की कमी के साथ जुड़ती है, तो मेनोपॉज़ के समय ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का कमजोर होना) का खतरा बढ़ जाता है।

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आयरन की कमी: आयरन की कमी एक और बड़ी समस्या है। इस ज़रूरी पोषक तत्व की कमी से थकावट और कमजोरी बढ़ सकती है, जो मेनोपॉज़ के दौरान सामान्य होती है।

विटामिन B12 और फोलेट की कमी: इन पोषक तत्वों की कमी मूड में असंतुलन और मानसिक उलझनों को बढ़ा सकती है, जिससे मेनोपॉज़ का भावनात्मक असर और गंभीर हो जाता है। "याद रखिए, हमारा शरीर एक जुड़ी हुई प्रणाली है। मेनोपॉज़ के दौरान, पोषण की स्थिति यह तय करती है कि लक्षण कैसे सामने आएंगे और वे हमारी जीवनशैली को कितना प्रभावित करेंगे," 
ऐसा कहना है Dr. Sudeshna Ray का, जो Gytree.com की मेडिकल डायरेक्टर हैं। 

यह संस्था महिलाओं के लिए Midlife और Menopause को ध्यान में रखते हुए प्रोटीन और विटामिन गमियों को लॉन्च कर चुकी है।

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पोषण की कमी और मेनोपॉज़: एक सीधा असर

आइए अब विस्तार से समझते हैं कि कैसे पोषण की कमी मेनोपॉज़ को भारतीय महिलाओं के लिए और कठिन बना देती है। जैसे-जैसे हम जीवन में आगे बढ़ते हैं, हम कई नए पड़ावों से गुजरते हैं। मेनोपॉज़ भी महिलाओं के जीवन का एक अहम पड़ाव है। लेकिन यह सफर आसान नहीं होता, खासकर जब शरीर को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिलते।

हड्डियों की मजबूती में कैल्शियम की जरूरत

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उदाहरण के तौर पर, कैल्शियम की कमी को ही लें। कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में मदद करता है। मेनोपॉज़ के बाद महिलाओं में हड्डियों के कमजोर होने (ऑस्टियोपोरोसिस) का खतरा बढ़ जाता है। अगर कैल्शियम ठीक से नहीं लिया जाए, तो हड्डियाँ जल्दी कमजोर हो सकती हैं और फ्रैक्चर होने का खतरा बढ़ जाता है।

विटामिन D और B12 की कमी का असर

यही बात विटामिन D और B12 जैसे पोषक तत्वों पर भी लागू होती है। विटामिन D, जिसे 'सनशाइन विटामिन' भी कहा जाता है, की कमी से हॉट फ्लैशेज़ और मूड में बदलाव जैसे लक्षण और बढ़ सकते हैं। यह हड्डियों को भी कमजोर कर सकता है।
विटामिन B12, खून में लाल कोशिकाएं बनाने में मदद करता है। इसकी कमी से थकावट और कमजोरी महसूस हो सकती है।

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आयरन की कमी और उसका असर

एक और जरूरी बात यह है कि मेनोपॉज़ के समय शरीर में पोषक तत्वों को अच्छे से सोखने की ताकत कम हो जाती है, खासकर आयरन की। इस कारण महिलाओं को आयरन से भरपूर चीजें ज़्यादा खानी चाहिए। इस समय पोषक खाना खाना बहुत जरूरी हो जाता है।

मेनोपॉज़ में खाने का सही तरीका

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भारतीय महिलाओं को अपने शरीर में होने वाले पोषण के बदलावों को समझना जरूरी है। मेनोपॉज़ के समय खाना संतुलित और पूरा होना चाहिए, जिसमें सभी जरूरी पोषक तत्व शामिल हों।

प्रोटीन: ताकत के लिए ज़रूरी

खाने में प्रोटीन जरूर शामिल करें, जो मांसपेशियों को मजबूत बनाए रखता है। यह मछली, चिकन, दाल, बीन्स या पौधों से मिलने वाले प्रोटीन में मिलता है।

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अच्छी वसा: दिमाग और शरीर के लिए फायदेमंद

अच्छी वसा जैसे कि एवोकाडो, नट्स, बीज और फैटी मछली में पाई जाती है। ये शरीर की सूजन कम करती हैं, दिमाग को सही रखती हैं और पेट भरा हुआ महसूस कराती हैं, जिससे वजन भी कंट्रोल में रहता है।

पानी: सबसे जरूरी चीज

इन सबके अलावा, पानी पीना बहुत जरूरी है। ज्यादा पानी पीने से हॉट फ्लैशेज़ और शरीर में पानी की कमी को रोका जा सकता है। ज्यादा चाय, कॉफी और शराब से बचना चाहिए, ताकि लक्षण कम हों और सेहत बनी रहे।

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