Know Your Body: मेनोपॉज़ की बात घरों में क्यों नहीं होती?

जिस तरह पीरियड्स पर बात करना वर्जित माना जाता है, वैसे ही मेनोपॉज़ पर भी खुलकर चर्चा नहीं की जाती। लेकिन सवाल यह हैं कि आख़िर क्यों? आइए जानें मेनोपॉज़ से जुड़ी आज भी लोगों की मानसिकता के बारे में।

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Udisha Mandal
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Why Is Menopause Not Discussed At Home?

Why Is Menopause Not Discussed At Home?:महिलाओं में मेनोपॉज़ एक ऐसा दौर है जिससे हर महिला गुजरती है, लेकिन इस विषय पर आज भी अधिकतर घरों में बात नहीं किया जाता बल्कि इसे महिलाएं चुपचाप ही सहन करती है कई महिलाओं को तो मेनोपॉज़ के बारे में भी नहीं पता होता। जिस तरह पीरियड्स पर बात करना वर्जित माना जाता है, वैसे ही मेनोपॉज़ पर भी खुलकर चर्चा नहीं की जाती। लेकिन सवाल यह हैं कि आख़िर क्यों? आइए जानें मेनोपॉज़ से जुड़ी आज भी लोगों की मानसिकता के बारे में।

मेनोपॉज़ की बात घरों में क्यों नहीं होती?

1. महिलाओं में जानकारी की कमी होना 

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अभी भी बहुत सी महिलाओं को यह तक नहीं पता कि मेनोपॉज़ क्या होता  है, इसके लक्षण क्या हैं, और इससे कैसे निपटना है। अब जब महिलाओं में इससे जुड़ी जानकारी ही नहीं होती, तो बातचीत की शुरुआत कहां से होगी?

2. उम्र से जुड़ी शर्म का होना

महिलाओं में मेनोपॉज़ अक्सर 45 से लेकर 55 तक की उम्र के बीच होता है। समाज में इसे महिलाओं को बढ़ती उम्र की समस्या का बताकर उनकी भावनाओं और स्वास्थ्य समस्याओं को नजरअंदाज कर दिया जाता है। अक्सर महिलाएं खुद भी उम्र से जुड़ी शर्म के कारण इस बारे में बात नहीं करतीं।

3. मानसिक और भावनात्मक बदलाव पर ध्यान न देना

महिलाओं को मेनोपॉज़ के दौरान मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन, थकावट और डिप्रेशन जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं। लेकिन इनका जिक्र करने पर अक्सर महिलाएं सुनती हैं—"तुम ज़्यादा सोच रही हो" या "अब आदत डाल लो।"

4. पारिवारिक संकोच और चुप्पी

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घर में महिलाओं के शारीरिक या भावनात्मक स्वास्थ्य पर बात करना आज भी एक टैबू की तरह ही है। इस चुप्पी की वजह से मां, बहन या दादी भी एक-दूसरे से मेनोपॉज़ की बात शेयर नहीं कर पाती।

5. पुरुषों का बातों का नजरअंदाज करना

घर के पुरुष अक्सर इस बदलाव को समझ ही नहीं पाते। और महिलाओं की तकलीफों को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे अगर कभी अगर महिलाओं की तकलीफों को गंभीरता से लिया भी जाता है, तो वो भी 'बढ़ती उम्र की परेशानी' मानकर टाल दिया जाता है।

क्या होना चाहिए?

मेनोपॉज़ पर जागरूकता अभियान शुरू करना बहुत जरूरी है।

घर में महिलाओं को स्पेस दिया जाए ताकि वे अपनी भावनाओं और शारीरिक अनुभवों को शेयर कर सकें।

पुरुषों को भी इस विषय पर शिक्षित किया जाए ताकि वे सपोर्ट कर सकें।

हेल्थ चेकअप और काउंसलिंग को सामान्य बनाया जाना चाहिए।

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